जानें सर क्रीक विवाद क्या है?

Sep 10, 2019, 10:47 IST

सर क्रीक (Sir Creek) गुजरात (भारत) और सिंध (पाकिस्तान) के बीच विवादित पानी की एक 96 किलोमीटर लंबी पट्टी है. अर्थात सर क्रीक विवाद (Sir Creek) भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर और सियाचिन जैसा ही सीमा विवाद है. भारत को आजादी मिलने से पहले यह क्रीक प्रांतीय क्षेत्र ब्रिटिश भारत के बॉम्बे प्रेसीडेंसी का भाग था.  सर क्रीक मामले पर विवाद 1960 के दशक में शुरू हुआ था. इस विवादित पट्टी का सर क्रीक नाम इसमें पाई जाने वाली 'सीरी' नामक मछली के नाम पर पड़ा है.

Sircreek dispute
Sircreek dispute

सर क्रीक विवाद क्या है (Sir Creek Dispute) ?
सर क्रीक विवाद भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर और सियाचिन जैसा ही सीमा विवाद है. सरक्रीक भारत और पाकिस्तान के बीच विवादित पानी की एक 96 किलोमीटर लंबी पट्टी है. जो भारतीय राज्य गुजरात और पाकिस्तान के राज्य सिंध के बीच स्थित है. सर क्रीक पानी के कटाव के कारण बना है और यहाँ ज्वार-भाटे के कारण यह तय नहीं हो पाता है कि इसका कितना हिस्सा पानी में रहेगा और कितना पानी के बाहर.

जल की धारा को मूल रूप से “बान गंगा” के नाम से जाना जाता है. सर क्रीक की यह धारा पाकिस्तान के सिंध प्रांत को गुजरात के कच्छ क्षेत्र से विभाजित करती हुई अरब सागर में गिरती है. सर क्रीक सीमा रेखा का यह नाम एक ब्रिटिश प्रतिनिधि के नाम पर रखा गया है. सर क्रीक मामले पर विवाद 1960 के दशक में शुरू हुआ था.

वर्तमान में इस नाले का नाम सरक्रीक है लेकिन कच्छ के पुराने दस्तावेजों में इसे सर क्रीक कहा गया है. इसका कारण ये बताया जाता है कि पहले इस नाले में “सीरी” नामक मछली पाई जाती थी, जिसके नाम पर इस नाले का नाम सर क्रीक पड़ा.

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सर क्रीक विवाद का इतिहास:

आजादी के पहले “कच्छ” देश की एक प्रमुख रियासत थी, जिसके राजा का नाम महाराव था. बीसवीं सदी की शुरुआत में कच्छ महाराव और सिंध प्रांत के तत्कालीन प्रशासन के बीच एक फौजदारी मामले को लेकर विवाद शुरू हुआ था.
इस विवाद के बाद ही कच्छ रियासत और सिंध प्रांत की सीमा तय करने के लिए 1914 में दोनों पक्षों के बीच एक समझौता हुआ, जिसके आधार पर सीमा को चिन्हित करने के लिए सीमा पर पत्थर लगाने का काम 1925 में खत्म हुआ था.

पाकिस्तान द्वारा प्रस्तुत दावों के अनुसार, वर्ष 1914 में तत्कालीन सिंध सरकार और कच्छ के राव महाराज के बीच हस्ताक्षरित ‘बंबई सरकार संकल्प’ (Bombay Government Resolution) के अनुसार पूरे क्रीक क्षेत्र पर उसी का अधिकार है.

भारत को आजादी मिलने से पहले यह क्रीक प्रांतीय क्षेत्र ब्रिटिश भारत के बॉम्बे प्रेसीडेंसी का भाग था. वर्ष 1947 में भारत की आज़ादी के बाद सिंध पाकिस्तान का हिस्सा बन गया, जबकि कच्छ भारत का ही हिस्सा रहा.

ध्यातव्य है कि इस संकल्प-पत्र में इन दोनों क्षेत्रों के बीच की सीमाओं को सीमांकित किया गया. इसमें क्रीक को सिंध के हिस्से के रूप में शामिल किया गया है. तब से क्रीक के पूर्वी भाग की सीमा को ग्रीन लाइन (Green Line) के रूप में जाना जाता है.
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भारत विभाजन के बाद पाकिस्तान ने खाडी के प्रदेश पर अपना मालिकाना हक जताया. इसके जवाब में भारत का प्रस्ताव था कि कच्छ के रण से लेकर खाडी के मुख तक की एक सीधी रेखा को सीमा रेखा मान लेना चाहिए परंतु इस प्रस्ताव को पाकिस्तान ने मानने से इंकार कर दिया है.

सर क्रीक का भारत और पाकिस्तान के लिए महत्व

सर क्रीक अरब सागर में स्थित है इस कारण यह एशिया के सबसे बड़े मछली पकड़ने वाले क्षेत्रों में से एक है. इसकी इसी विशेषता के कारण भारत के मछुआरे इस क्षेत्र का प्रयोग मछली पकड़ने के करते हैं लेकिन सीमा का सही निर्धारण नहीं होने के कारण वे पाकिस्तान की नौसेना द्वारा पकड़ लिए जाते हैं. चूंकि सर क्रीक क्षेत्र में सीमा का निर्धारण नहीं हुआ है इस कारण इस समुद्री क्षेत्र में मौजूद तेल और गैस के विशाल भंडारों का दोहन नहीं किया जा सका है.

आसान शब्दों में कहें तो सर क्रीक सीमा रेखा विवाद वस्तुतः कच्छ और सिंध के बीच समुद्री सीमा रेखा की अस्पष्ट व्याख्या के कारण पैदा हुआ है.

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Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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