उत्तर प्रदेश भारत में जनसंख्या के हिसाब से सबसे बड़ा राज्य है। इसकी विविधता इसे एक अद्वितीय पहचान देती है। साथ ही, यहां की संस्कृति, कला, धर्म और इतिहास मिलकर इस राज्य को एक विशेष स्थान प्रदान करते हैं।
भारत का यह राज्य सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी खास पहचान रखता है और सांस्कृतिक घरोहरों का केंद्र है। यहां की संस्कृति और समृद्ध इतिहास इसे अन्य राज्यों से भिन्न करने में सहयोग करते हैं। इस कड़ी में क्या आप जानते हैं कि उत्तर प्रदेश का एकमात्र शास्त्रीय नृत्य कौन-सा है, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
कैसे हुआ उत्तर प्रदेश का गठन
उत्तर प्रदेश से पहले यहां कौशल और पांचाल साम्राज्य हुआ करता था। बाद में यहां शर्कियों का शासन हुआ और जौनपुर बसाया गया। कुछ समय बाद यहां मुगल पहुंचे, तो उन्होंने यहां पास में अवध सूबा बसाया। समय बदला और ब्रिटिश का राज हुआ, तो उन्होंने उत्तर-पश्चिम प्रांत का गठन किया, जिसे बादे में अवध सूबे में मिला दिया गया, जो कि संयुक्त प्रांत नाम से जाना गया।
देश आजाद हुआ और यह संयुक्त प्रांत उत्तर प्रदेश में तब्दील हो गया। राज्य का गठन 1 नवंबर, 1956 को किया गया था।
उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा और सबसे छोटा जिला
उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े जिले की बात करें, तो यह लखीमपुर खीरी जिला है, जो कि 7680 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। वहीं, सबसे छोटा जिला हापुड़ है, जो कि 660 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
उत्तर प्रदेश के प्रमुख लोक नृत्य
उत्तर प्रदेश के प्रमुख लोक नृत्यों की बात करें, तो यह इस प्रकार हैं,
रास नृत्य
क्षेत्र: ब्रज
झूला नृत्य
क्षेत्र: ब्रज
मयूर नृत्य
क्षेत्र: ब्रज
चरकुला नृत्य
क्षेत्र: ब्रज
ख्याल नृत्य
क्षेत्र: बुंदेलखंड
घोड़ा नृत्य
क्षेत्र: बुंदेलखंड
कठघोड़वा नृत्य
क्षेत्र: पूर्वांचल
धोबिया नृत्य
क्षेत्र: पूर्वांचल
देवी नृत्य
क्षेत्र: बुंदेलखंड
जोगिनी नृत्य
क्षेत्रः अवध
उत्तर प्रदेश का एकमात्र शास्त्रीय कौन-सा है
उत्तर प्रदेश का एकमात्र शास्त्रीय नृत्य की बात करें, तो यह कथक नृत्य है।
कौन है कथक नृत्य के प्रणेता
अब सवाल है कि कथक नृत्य के प्रणेता कौन हैं, तो आपको बता दें कि ठाकुर प्रसाद को कथक नृत्य का प्रणेता माना जाता है।
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