दिल्ली को देश का दिल भी कहा जाता है। वहीं, इसके नई दिल्ली इलाके को दिल्ली का दिल कहा जाता है। दिल कहे जाने वाले इस इलाके में कई महत्त्वपूर्ण और एतिहासिक इमारतें बनी हुई हैं, जिन्होंने दिल्ली को अपने सामने बदलते हुए देखा है। इस कड़ी में लोकतंत्र का मंदिर कहा जाने वाले पुराना संसद भवन भी यहां मौजूद है।
आपने पुराने संसद भवन के बारे में जरूर पढ़ा और सुना होगा। आप में से कुछ लोगों ने यहां विजिट भी जरूर किया होगा। वर्तमान में इसके पास साफ-सुथरे रोड और हरे-भरे बाग देखने को मिल जाएंगे। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि कभी संसद भवन तक भी ट्रेन चला करती थी। हालांकि, बाद में इस ट्रेन सेवा को बंद कर दिया गया। क्या थी ट्रेन चलाने की वजह, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
पुराने संसद भवन का निर्माण
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि पुराने संसद भवन का निर्माण कब हुआ था। आपको बता दें कि पुराने संसद भवन के डिजाइन की जिम्मेदारी एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर को दी गई थी। दोनों ब्रिटिश नागिरक थे, जिन्होंने नई दिल्ली का डिजाइन तैयार किया था। साल 1921 में पुराने संसद भवन का निर्माण हुआ था।
पहले इस नाम से जाना जाता था भवन
आपको बता दें कि पुराने समय में संसद भवन को इसके वर्तमान नाम से नहीं जाना जाता था, बल्कि संसद भवन को काउंसिल हाउस कहा जाता था। बाद में इसका नाम संसद भवन किया गया।
क्यों चली थी संसद भवन के सामने ट्रेन
पुराने संसद भवन का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया था। यह पत्थर दिल्ली के बाहर से लाया जाता है। जिस समय संसद भवन का निर्माण हो रहा था, उस समय पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन हुआ करता था। ऐसे में रेलवे स्टेशन से भारी पत्थरों को नई दिल्ली तक लाने में अधिक मेहनत और लागत लगती थी। इस वजह से अंग्रेजों ने संसद भवन तक एक रेल पटरी बिछाई और यह कनॉट प्लेस से होकर गुजरी। इसके माध्यम से भारी-भरकम पत्थरों को ढोया जाता था।
क्यों बंद कर दी गई ट्रेन सेवा
आपको बता दें कि जब पुराना संसद भवन का निर्माण पूरा हो गया, उस समय ढांचागत विकास को बढ़ावा देने के लिए ट्रेन की पटरियों का हटाने का निर्णय लिया गया। इस वजह से संसद भवन तक बिछी पटरियों को हटा दिया गया। वर्तमान में कुछ पुरानी पटरियों की लाइन उत्तर रेलवे जनसंपर्क कार्यालय के पास देखने को मिल जाएगी।
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