सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 1 अप्रैल से बीएस-3 वाहनों पर प्रतिबंध के बाद दो पहिया वाहन की खरीद पर विभिन्न कम्पनियों द्वारा ताबड़तोड़ छूट दी जा रही हैl हालांकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और देश के कुछ और शहरों में बीएस-4 उत्सर्जन मानक वाले वाहनों का परिचालन पहले से ही लागू हैl लेकिन क्या आपको पता है कि बीएस-3 या बीएस-4 उत्सर्जन मानक क्या है और यह भारत में कब से लागू हैं? इस लेख में हम भारत स्टेज उत्सर्जन मानक (BSES) के बारे में विस्तारपूर्वक विवरण दे रहे हैं जिससे इसके बारे में आपकी समझ और भी विकसित होगीl
भारत स्टेज उत्सर्जन मानक (BSES)
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भारत स्टेज उत्सर्जन मानक (BSES) मोटर वाहनों सहित आंतरिक दहन इंजन उपकरणों से होने वाले वायु प्रदूषण को कम करने के लिए भारत सरकार द्वारा निर्धारित किया गया उत्सर्जन मानक हैl इस मानक के क्रियान्वयन के लिए समयसीमा का निर्धारण पर्यावरण और वन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली संस्था केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा किया जाता हैl
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यूरोपीय नियमों पर आधारित इस मानक को भारत में पहली बार 2000 में पेश किया गया थाl इसके बाद से इसमें लगातार सख्त मानदंडों को अपनाया गया हैl इन मानकों के क्रियान्वयन के बाद निर्मित सभी नए वाहनों को इन नियमों के अनुरूप होना आवश्यक हैl अक्टूबर 2010 में पूरे देश में भारत स्टेज (BS) III मानदंडों को लागू किया गया था। लेकिन अप्रैल 2010 में ही देश के 13 प्रमुख शहरों में, भारत स्टेज (BS) IV उत्सर्जन मानदंड को लागू किया जा चुका है जबकि 1 अप्रैल 2017 से पूरे देश में भारत स्टेज (BS) IV उत्सर्जन मानदंड लागू हो जाएगाl 2016 में भारत सरकार ने घोषणा की थी कि देश में भारत स्टेज (BS) V उत्सर्जन मानदंड को लागू नहीं किया जाएगा और 2020 में पूरे देश में भारत स्टेज (BS) VI उत्सर्जन मानदंड को अपनाया जाएगाl
वाहन उत्सर्जन से संबंधित नियमों के कारण ही दो-पहिया वाहनों में चरणबद्ध तरीके से 2-स्ट्रोक इंजन का प्रयोग होने लगा है, मारुति 800 का उत्पादन समाप्त हो गया है और इलेक्ट्रॉनिक नियंत्रण वाले वाहनों के निर्माण में तेजी आई हैl
हालांकि इन मानको को लागू करने से प्रदूषण के स्तर को कम करने में मदद मिली है, लेकिन बेहतर तकनीक और बेहतर ईंधन की कीमतों के कारण वाहन की लागत में वृद्धि हुई हैl हालांकि, निजी वाहनों की लागत में वृद्धि को सार्वजनिक रूप से स्वास्थ्य लागतों में बचत के द्वारा संतुलित किया जा सकता है, क्योंकि हवा में प्रदूषक कणों कमी के कारण कम मात्रा में बीमारी होती हैl वायु प्रदूषण के कारण श्वसन और हृदय रोग होते हैं और एक रिपोर्ट के अनुसार 2010 में 6.2 लाख लोगों की मौत का कारण वायु प्रदूषण थाl इसके अलावा भारत में वायु प्रदूषण के कारण होने वाले रोगों की रोकथाम एवं बचाव के लिए सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 3% खर्च किया जाता हैl
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भारत में उत्सर्जन मानक का इतिहास
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भारत में सर्वप्रथम 1991 में पेट्रोल से चलने वाले वाहनों के लिए और 1992 में डीजल से चलने वाले वाहनों के लिए उत्सर्जन मानक पेश किया गया थाl इसके बाद पेट्रोल से चलने वाले वाहनों के लिए “उत्प्रेरक परिवर्तक” (Catalytic converter) अनिवार्य कर दिया गया और बाजार में सीसा-रहित पेट्रोल की शुरूआत की गईl
29 अप्रैल 1999 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि भारत में सभी वाहनों को 1 जून 1999 तक यूरो I या भारत 2000 के मानदंडों को पूरा करना होगा और अप्रैल 2000 से “राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र” (NCR) में यूरो II के मानदंडों को पूरा करना अनिवार्य होगाl हालांकि कार निर्माता इस तरह के बदलाव के लिए तैयार नहीं थे जिसके कारण बाद के फैसले में यूरो II के मानदंडो के क्रियान्वयन की तारीख को लागू नहीं किया गया थाl
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2002 में भारत सरकार ने उत्सर्जन मानक के संदर्भ में “माशेलकर समिति” द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट को स्वीकार कर लियाl इस समिति ने भारत के लिए यूरो आधारित उत्सर्जन मानदंडों को लागू करने के लिए एक रोड मैप प्रस्तावित किया थाl इसके साथ ही भविष्य में उत्सर्जन मानदंडों के चरणबद्ध क्रियान्वयन की सिफारिश की गई थी, जिसके अनुसार सभी मानदंडो को पहले बड़े शहरों में लागू किए जाने के बाद कुछ वर्षों के अन्तराल में देश के बाकी हिस्सों में लागू करने की सिफारिश की गई थीl
इस समिति की सिफारिशों के आधार पर 2003 में आधिकारिक तौर पर एक “राष्ट्रीय ऑटो ईंधन नीति” घोषित की गईl इसके साथ “भारत स्टेज” मानदंडों के क्रियान्वयन के लिए 2010 तक का रोडमैप निर्धारित किया गया थाl इस नीति के द्वारा वाहनों के ईंधन, पुराने वाहनों द्वारा होने वाले प्रदूषण में कमी, वायु गुणवत्ता संबंधी आंकड़ों के निर्माण और स्वास्थ्य संबंधी प्रशासनिक कार्यों के लिए दिशानिर्देश भी तैयार किए गएl
चार पहिया वाहनों के लिए भारतीय उत्सर्जन मानदंड
उत्सर्जन मानदंड | वर्ष | क्षेत्र |
1. भारत 2000 (यूरो I) | 2000 | पूरा देश |
2. भारत स्टेज II (यूरो II) | 2001 | राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई |
अप्रैल 2003 | राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बंगलौर, अहमदाबाद, हैदराबाद, पुणे, सूरत, कानपुर, लखनऊ, शोलापुर, जमशेदपुर, आगरा | |
अप्रैल 2005 | पूरा देश | |
3. भारत स्टेज III (यूरो III) | अप्रैल 2005 | राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बंगलौर, अहमदाबाद, हैदराबाद, पुणे, सूरत, कानपुर, लखनऊ, शोलापुर, जमशेदपुर, आगरा |
अप्रैल 2010 | पूरा देश | |
4. भारत स्टेज IV (यूरो IV) | अप्रैल 2016 | राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बंगलौर, अहमदाबाद, हैदराबाद, पुणे, सूरत, कानपुर, लखनऊ, शोलापुर, जमशेदपुर, आगरा |
अप्रैल 2017 | पूरा देश | |
5. भारत स्टेज V (यूरो V) | लागू नहीं किया जाएगा |
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6. भारत स्टेज VI (यूरो VI) | अप्रैल 2020 (प्रस्तावित) | पूरा देश |
दो पहिया एवं तीन पहिया वाहनों के लिए भारतीय उत्सर्जन मानदंड
उत्सर्जन मानदंड | वर्ष | क्षेत्र |
1. भारत 2000 (यूरो I) | 2000 | पूरा देश |
2. भारत स्टेज II (यूरो II) | अप्रैल 2005 | पूरा देश |
3. भारत स्टेज III (यूरो III) | अप्रैल 2010 | पूरा देश |
4. भारत स्टेज IV (यूरो IV) | अप्रैल 2017 | पूरा देश |
5. भारत स्टेज V (यूरो V) | लागू नहीं किया जाएगा |
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6. भारत स्टेज VI (यूरो VI) | अप्रैल 2020 (प्रस्तावित) | पूरा देश |
भारत स्टेज IV ईंधन बनाने पर खर्च
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उच्चतम न्यायालय में 27 मार्च 2017 को हुई सुनवाई में केन्द्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जेनरल रंजीत कुमार ने कहा था कि “भारत स्टेज IV” की गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाला ईंधन काफी स्वच्छ हैl तेल शोधन कम्पनियां इसे बनाने में 2010 से लेकर अब तक 30,000 करोड़ रूपए खर्च कर चुकी हैl
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