किचन कैबिनेट किसे कहते हैं ?

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 74 कहता है कि भारत के राष्ट्रपति को सलाह एवं सहायता देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी जिसका प्रमुख प्रधानमन्त्री होगा. मंत्री परिषद् में तीन प्रकार के मंत्री होते हैं. कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और उपमंत्री. इन मंत्रियों के अलावा प्रधानमन्त्री की सहायता के लिए एक किचन कैबिनेट होती है जिसमें प्रधानमन्त्री की पसंद के लोग होते हैं.

Sep 7, 2018, 17:05 IST

रतीय संविधान का अनुच्छेद 74 कहता है कि भारत के राष्ट्रपति को सलाह एवं सहायता देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी जिसका प्रमुख प्रधानमन्त्री होगा. मंत्री परिषद् में तीन प्रकार के मंत्री होते हैं. कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और उपमंत्री.

कैबिनेट मंत्रियों के पास केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण मंत्रालय जैसे गृह, वित्त, रक्षा, विदेश और मानव संसाधन होते हैं. कैबिनेट मंत्री, कैबिनेट के सदस्य होते हैं और इसकी बैठकों में भाग लेते हैं तथा देश के लिए महत्वपूर्ण विभिन्न मुद्दों पर कानून बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं.

किचन कैबिनेट के बारे में;

मंत्रीपरिषद 60 से 70 मंत्रियों से मिलकर बनने वाला एक निकाय होता है जबकि मंत्रिमंडल एक लघु निकाय है जिसमें 15 से 20 मंत्री होते हैं. किचन कैबिनेट में प्रधानमंत्री के विश्वास पात्र 4 से 5 लोग होते हैं जिनसे वह हर समय चर्चा करता है. किचन कैबिनेट में जनता द्वारा चुने गए सांसदों के अलावा वे लोग भी शामिल होते हैं जो कि जनता द्वारा नहीं चुने जाते हैं. अर्थात इसमें कैबिनेट मंत्रियों के अलावा प्रधानमन्त्री के मित्र व परिवार के सदस्य भी शामिल होते हैं. किचन कैबिनेट या आंतरिक कैबिनेट, प्रधानमन्त्री को महत्वपूर्ण राजनीतिक तथा प्रशासनिक मुद्दों पर सलाह देती है. किचन कैबिनेट को आंतरिक कैबिनेट भी कहा जाता है.

आंतरिक कैबिनेट या किचन कैबिनेट का किसी भी प्रकार का जिक्र भारत के संविधान में नहीं है लेकिन यह कैबिनेट पूर्व प्रधानमन्त्री जवाहर लाल नेहरु के समय से चली आ रही है. जवाहर लाल नेहरु की किचन कैबिनेट में सरदार पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद, गोपालस्वामी अयंगार, रफी अहमद किदवई शामिल थे.

इंदिरा गाँधी के समय की किचन कैबिनेट में बहुत ही शक्तिशाली थी. इसी समय से आंतरिक कैबिनेट को किचन कैबिनेट कहा जाने लगा था. इंदिरा की किचन कैबिनेट में उमा शंकर दीक्षित, वाई वी.चव्हाण, डॉ कर्ण सिंह, फखरुद्दीन अली अहमद जैसे लोग शामिल थे.

अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और प्रमोद महाजन जैसे कद्दावर लोग शामिल थे.

प्रधानमन्त्री को किचन कैबिनेट या आंतरिक कैबिनेट की जरुरत क्यों पड़ती है;

1. यह एक समान विचारधारा वाले लोगों का छोटा सा समूह होता है जिससे किसी भी महत्वपूर्ण मुद्दे पर निर्णय लेने में तत्परता होती है.

2. यह कैबिनेट प्रधानमन्त्री को किसी राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे पर गोपनीयता बरतने में सहयता करती है.

3. इसकी नियमित बैठकें होती रहतीं हैं. जिससे निर्णय जल्दी लिए जा सकते हैं.

किचन कैबिनेट के दोष;

1. चूंकि इस कैबिनेट में सभी प्रतिनिधि जनता द्वारा नहीं चुने जाते हैं इसलिए यह जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के महत्व को कम करती है.

2. किचन कैबिनेट में बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश से देश के लिए महत्वपूर्ण जानकारी के लीक होने के कारण असुरक्षित हाथों में जाने का खतरा उत्पन्न हो जाता है.

भारत में किचन कैबिनेट की मौजूदगी अनोखी नहीं है. अमेरिका और ब्रिटेन में भी इस प्रकार की कैबिनेट पायी जाती है. वास्तव में भारत में किचन कैबिनेट के क्या फायदे और नुकसान हैं इस बारे में कुछ भी निश्चितता के साथ नहीं कहा जा सकता है.

संक्षेप में इतना कहा जा सकता है कि अगर इस कैबिनेट के द्वारा लिए गए निर्णय देश के विकास के लिए लाभदायक हैं तो निश्चित रूप से इस प्रकार की कैबिनेट का होना देश के लिए जरूरी है अन्यथा नहीं.

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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