P2P लेंडिंग क्या होती है और इसमें लोन कैसे दिया जाता है?

P2P लेंडिंग या पीयर-टू-पीयर लेंडिंग लोन लेने और देने का एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म है. यह एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है जहाँ पर कुछ लोग लोन देने और कुछ लोग लोन लेने के इच्छुक होते हैं. ध्यान रहे कि पी2पी लोन लेने के लिए कोई कागजी कार्रवाई नहीं होती है. लोन लेने वाले व्यक्ति के एड्रेस का फिजिकल वेरिफिकेशन किया जाता और बाकी की पी2पी लेंडिंग की पूरी प्रक्रिया आनलाइन होती है.

Hemant Singh
Jan 14, 2020, 18:13 IST
P2P Lending explanation
P2P Lending explanation

अब तक लोन लेने के लिए हम लोग दोस्त, साहूकार, बैंक और अन्य वित्तीय संस्थाओं का सहारा लेते थे. बैंकों से लोन लेने के लिए अच्छा सिविल स्कोर होना चाहिए, लेकिन अब एक लोन लेने का एक नया माध्यम आया है, इन्टरनेट. इसे बिज़नस की भाषा में P2P लेंडिंग कहते हैं. इसका फुल फॉर्म है पीयर-टू-पीयर लेंडिंग.

P2P लेंडिंग या पीयर-टू-पीयर लेंडिंग का अर्थ (What is peer to peer lending)

P2P लेंडिंग या पीयर-टू-पीयर लेंडिंग लोन लेने और देने का एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म है. यह एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म होता है जहाँ पर कुछ लोग लोन देने और कुछ लोग लोन लेने के इच्छुक होते हैं.P2P प्लेटफॉर्म पर कर्ज लेने और देने वाले दोनों खुद को रजिस्टर कराते हैं.

ध्यान रहे कि सभी पी2पी प्लेटफॉर्म को गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFCs) माना जाता है. इनका नियंत्रण भारतीय रिजर्व बैंक करता है और दिशा निर्देश जारी करता है.  पीयर-टू-पीयर लेंडिंग कंपनी को "कंपनी अधिनियम-2013" की धारा 2 के खंड (20) में परिभाषित किया गया है.

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हर कंपनी जो कि एनबीएफसी-P2P के रूप में बैंक के साथ पंजीकरण कराना चाहती है उसके पास नेट फण्ड कम से कम 2 करोड़ रूपये होना चाहिए.

P2P लेंडिंग के माध्यम से लोन कैसे दिया जाता है (How does Peer to Peer Lending work)

यह एक ऑनलाइन लैंडिंग प्लेटफॉर्म होता है. इसमें लोन लेने वाले और लोन देने वाले दोनों लोग अपने आप को रजिस्टर करते हैं. जो लोग लोन देना चाहते है वे P2P लेंडिंग कंपनी में पैसा जमा कर देते हैं, इस कारण से कंपनी के पास बहुत रुपया जमा हो जाता है.

peer-to-peer-lending-process

अब यह लेंडिंग कंपनी इस पैसे को उन लोगों को उधार दे देता है जो उधार चाहते हैं. ध्यान रहे कि कंपनी लोन देने की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन करती है लेकिन लोन लेने वाले के एड्रेस का सत्यापन उसके घर जाकर ही किया जाता है. लोन लेने वाला अपने डाक्यूमेंट्स ऑनलाइन जमा कर सकता है.

कितना ब्याज लिया जाता है? (Interest rate on P2P Lending)

लोन देने के समय ही यह तय हो जाता है कि ब्याज दर कितनी है, कितने समय के लिए लोन दिया गया है और कितनी अमाउंट उधार दी गयी है?
यहाँ पर यह बताना जरूरी है कि ब्याज दर कितनी होगी यह इस बात पर निर्भर करता है कि लोन देने वाले कितने हैं और लोन लेने वाले कितने? अर्थात मांग और पूर्ती के सिद्धांत पर ब्याज दर तय होती है. लेकिन यहाँ पर लोन देने वाले को बैंक से ज्यादा ब्याज मिलता है जबकि उधार लेने वाले को सस्ती रेट पर ब्याज मिलता है.

उधार लेने और देने की सीमा (Borrowing and Lending limit on P2P)

P2P प्‍लेटफॉर्म पर शादी-ब्‍याह और छुट्टी मनाने, कर्ज चुकाने जैसे किसी भी कार्य के लिए लोन लिया जा सकता है. साधारणतः ये लोन 3 से 36 महीनों के बीच की अवधि के होते हैं और एक व्यक्ति को अधिकतम 50 हजार रूपये तक की लोन दिया जा सकता है. इसके उलट जो लोग(व्यक्ति, बिज़नसमेन या वित्तीय संस्था) लोन देना चाहते हैं उनके लिए लिमिट को रिज़र्व बैंक ने 5 दिसम्बर को 10 लाख से बढाकर 50 लाख रुपये कर दिया है.

क्या P2P प्‍लेटफॉर्म सेफ है (Is Peer to Peer lending safe)

बैंकों की तुलना में P2P प्‍लेटफॉर्म कम सेफ है, क्योंकि यदि उधार लेने वाला व्यक्ति लोन चुकाने में आनकानी करता है या चुकाता ही नहीं है तो उससे पैसा निकालना काफी कठिन  हो सकता है. हालाँकि रिज़र्व बैंक यह प्रयास कर रहा है कि कोई भी व्यक्ति पैसा लेकर गायब ना हो. 

उम्मीद है कि ऊपर दिए गए लेख से यह स्पष्ट हो गया होगा कि P2P लेंडिंग क्या होती है और यह कैसे काम करती है?

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