Vijay Diwas: 16 दिसंबर की वह कहानी, जिस पर हर भारतीय को होता है गर्व, यहां पढ़ें

Vijay Diwas: भारत में हर साल 16 दिसंबर का दिन विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह वह दिन है, जब पाकिस्तान की सेना ने भारतीय सैनिकों के शौर्य के आगे घुटने टेक दिए थे। पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण के बाद बांग्लादेश को आजादी मिली थी।

Dec 16, 2024, 12:43 IST
विजय दिवस 2024
विजय दिवस 2024

Vijay Diwas 16 December: भारतीय सेना अपने शौर्य, पराक्रम और साहस के लिए जानी जाती है। सेना द्वारा समय-समय पर कई युद्ध लड़े गए हैं, जिसमें सेना ने अपने साहस का परिचय दिया है। इस बीच साल 1971 का युद्ध भी ऐसा ही युद्ध है, जिसमें सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ दिया था।

इस युद्ध में भारतीय सैनिकों के आगे पाकिस्तानी सेना ने घुटने टेकते हुए आत्मसमर्पण कर दिया था, जिससे बांग्लादेश को आजादी मिली थी। यह युद्ध कुल 13 दिनों तक चला था। ऐसे में इस दिन को विजय दिवस के दिन के रूप में याद करते हुए पूरे देश हमारे वीर सैनिकों को सलाम करता है।  

Vijay Diwas: कैसे बना था बांग्लादेश

भारत का जब विभाजन हुआ, तो उस समय भारत के दो हिस्सों को बांट दिया गया था। इसमें एक हिस्से को पूर्वी पाकिस्तान और दूसरे हिस्से को पश्चिमी पाकिस्तान का नाम दिया गया। इसमें बंगाल के बड़े हिस्से को पूर्वी पाकिस्तान के रूप में जाना जाता था।

हालांकि, पश्चिमी पाकिस्तान द्वारा पूर्वी पाकिस्तान के साथ भेदभाव किया गया। करीब 24 सालों तक पश्चिमी पाकिस्तान द्वारा पूर्वी पाकिस्तान के ऊपर हुकूमत चलाई गई और कई अत्याचार किए गए। 

93000 सैनिकों के साथ किया आत्मसमर्पण

बांग्लादेश ने पाकिस्तान के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई शुरू की। इसमें भारत ने भी बांग्लादेश का साथ दिया और अपने सैनिकों को मैदान में उतार दिया। इस कड़ी में भारत के करीब 4000 जांबाज सैनिक शहीद हुए। वहीं, पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल एए नियाजी खान द्वारा 93000 हजार सैनिकों के साथ भारतीय सेना के आगे आत्मसमर्पण कर दिया गया। 

3 दिसंबर को शुरू हुआ था युद्ध 

भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की शुरुआत 3 दिसंबर 1971 को हुई थी। इस दौरान पूरे 13 दिनों तक दोनों सेनाओं के बीच जमकर संघर्ष हुआ और भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सेना को खदेड़ दिया। अंत में 16 दिसंबर को पाकिस्तानी सेना ने हाथ खड़े कर दिए। 

फील्ड मार्शल मानिक शॉ कर रहे थे नेतृत्त्व

साल 1971 के युद्ध का नेतृत्त्व फील्ड मार्शल मानिक शॉ कर रहे थे। वहीं, उस समय भारत के प्रधानमंत्री के रूप में इंदिरा गांधी के हाथों में कमान थी। उस समय पाकिस्तानी सेना के प्रमुख एए नियाजी खान द्वारा भारतीय सेना का युद्ध में नेतृत्व कर रहे लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने सरेंडर किया गया था। 

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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