एक नई रिसर्च में पाया गया है कि COVID-19 टिनिटस को बदतर बना सकता है. यानी टिनिटस का लक्षण जिसमें कानों में आवाज गूंजती है, लॉन्ग कोविड का लक्षण भी बन सकता है. टिनिटस से ग्रसित लोगों में कानों में आवाज गूंजती है. कोरोना के कुछ मरीजों में इस प्रकार के लक्ष्ण दिखे हैं और साथ ही जो मरीज पहले से टिनिटस से जूझ रहे थे उनमें इसका असर और गंभीर हुआ है.
अर्थात रिसर्च का उद्देश्य था यह ज्ञात करना कि ऐसे COVID-19 पीड़ित जो पहले से टिनिटस के मरीज़ हैं उनमें संक्रमण के बाद कान में आवाज गूंजने की समस्या बढ़ती है या कम होती है.
आइये रिसर्च के बारे में जानते हैं?
यह रिसर्च ब्रिटेन में एंग्लिया रस्किन यूनिवर्सिटी (Anglia Ruskin University) द्वारा ब्रिटिश टिनिटस एसोसिएशन और अमेरिकन टिनिटस एसोसिएशन (British Tinnitus Association and the American Tinnitus Association) के समर्थन से किया गया था.
रिसर्च में टिनिटस से ग्रसित 3,103 लोगों को जोकि 48 देशों के थे को शामिल किया गया, जिनमें से अधिकांश लोग UK और USA से संबंधित थे. इसमें यह पाया गया कि COVID-19 के लक्षणों को प्रदर्शित करने वाले 40% लोग एक साथ टिनिटस से प्रभावित हुए.
अध्ययन में पहले से मौजूद टिनिटस वाले लोगों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया था. प्रतिभागियों की एक छोटी संख्या से यह भी पता चला कि उनकी स्थिति शुरू में COVID-19 लक्षणों के विकसित होने से शुरू हुई थी. इससे यह ज्ञात होता है कि कुछ मामलों में टिनिटस COVID-19 का एक लक्षण भी हो सकता है.
रिसर्च में यह भी पाया गया है कि लोगों का एक बड़ा हिस्सा यह भी मानता है कि सामाजिक दूरी (Social Distancing) के उपायों के कारण टिनिटस उनमें बदतर बनता जा रहा है.
46% ब्रिटेन के उत्तरदाताओं (Respondents) के अनुसार जीवनशैली में बदलाव ने उत्तरी अमेरिका के 29% लोगों की तुलना में उनके टिनिटस को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है.
रिसर्च में यह भी बताया गया है कि टिनिटस के लक्षणों की गंभीरता को बढ़ाने के साथ-साथ COVID-19 महामारी ने भी लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवा का उपयोग करना अधिक कठिन बना दिया है. यह इमोशनल स्ट्रेस को और बढ़ा सकता है और टिनिटस के लक्षणों को और खराब भी कर सकता है.
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आखिर टिनिटस क्या है?
टिनिटस एक प्रकार की सामान्य स्थिति है जिसमें कान और सिर में शोर या बजने की आवाज़ होती है. यानी जब मरीज़ कान में गुंजन या किसी अतिरिक्त ध्वनि को अनुभव करता है तो उस स्थिति को टिनिटस कहा जाता है.
यह आवाज़ कान में तब भी महसूस की जा सकती है जब बाहर से शोर न आ रहा हो और यह कानों में सिटी के बजने की तरह हो सकती है. ऐसा कहा जाता है कि यह समस्या अस्थायी होती है, लेकिन कुछ मामलों में यह मरीज़ को लंबे समय तक या लगातार परेशान कर सकती है.
टिनिटस एक या दोनों कानों को प्रभावित कर सकता है. सामान्य तौर पर इसके कारण श्रवण हानि नहीं होती है परन्तु यह ध्यान देने व सुनने की क्षमताओं को निश्चित तौर पर बाधित कर सकता है. यानी ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि इससे सुनने की क्षमता कमज़ोर हो सकती है. कुछ मामलों में यह समस्या वास्तविक ध्वनि पर ध्यान न केन्द्रित कर पाने और सुनने की क्षमता को बादित कर सकती है.
टिनिटस के लक्षण
- कानों में सिसकारी
- दहाड़ जैसी आवाजें सुनाई देना
- कानों का बजना एवं आवाज का कानों में गूंजते रहना
- तेज़ सिरदर्द और कान में तेज़ी से घंटी का बजना
- आवाज़ की तीव्रता कभी तेज़ तो कबी धीमी हो जाती है
- ऐसा भी देखा गया है कि यह समस्या कई बार अपने आप होती है और कई बार ठीक भी हो जाती है और यह लगातार भी बनी रह सकती है.
- जब यह समस्या गंभीर हो जाती है तब कानों में बजने वाला शोर इतना तेज़ होता है कि सामान्य या रोज की गतिविधियों को बाधित करने लगता है.
टिनिटस होने के कारण
इसके होने के कई कारण हैं जैसे-
- कान का इन्फेक्शन
- साइनस इनफेक्श
- मैल जमा होने की वजह से कानों का बंद होना
- Meniere’s disease
- वृद्धावस्था
- शोर भरी आवाजों के लगातार संपर्क में आना
- सर या गर्दन की चोट
- अत्यधिक तनाव एवं थकान
- माइग्रेन का सरदर्द
- ऑटोस्क्लैरौसिस (otosclerosis)
- VII cranial nerve को प्रभावित करने वाला ट्यूमर, इत्यादि.
यह आवाजें समस्या की गंभीरता के अनुसार कम या ज्यादा तीव्रता वाली हो सकती हैं. आवाज का गूंजना एक या दोनों कानों में भी हो सकता है. और तो और यह समस्या कुछ दिनों तक या लंबे समय तक भी रह सकती है.
कान के भीतरी हिस्से से ध्वनि के संचालन में या Central Nervous System द्वारा ध्वनि के प्रसंस्करण में परेशानी होने के कारण भी टिनिटस हो सकता है.
टिनिटस से बचाव के उपाय
इससे बचने के लिए लोगों को तेज़ आवाज के संपर्क में नहीं आना चाहिए.
सुनने की क्षमता को खोने से बचाना चाहिए जैसे तेज़ आवाज वाले माहौल में अगर जा रहे हैं तो कानों की सुरक्षा का ध्यान दें, कानों मे मफलर या इयरप्लग का इस्तेमाल करें और यह भी ध्यान रखें कि कान में इस्तेमाल करने वाले उपकरणों की आवाज धीमी हो.
धुम्रपान छोड़ना, धीमे संगीत सुनना, अपने कानों को किसी चोट से बचाए रखना इत्यादि.
ऐसा भी बताया जाता है कि शारीरिक व मानसिक रूप से स्वास्थ्य होने पर भी टिनिटस होने से या होने की संभावना से नहीं रोका जा सकता है. लेकिन पूर्ण रूप से स्वास्थ्य होने पर इस समस्या की तीव्रता को कम या सिमित किया जा सकता है. इसके लिए व्यायाम करें, टिनिटस ग्रसित मरीज़ो को खाने में नमक की मात्रा को सिमित करना चाहिए, साथ ही कॉफ़ी, चॉकलेट और चाय के सेवन को कम करना चाहिए, संतुलित भोजन करना चाहिए, नींद पर्याप्त लेना भी अनिवार्य माना जाता है, सामाजिक और मनोरंजनात्मक गतिविधियों में हिस्सा लें, तनाव दूर करने के तरीकों पर वर्क करें इत्यादि.
टिनिटस की पहचान करने के लिए निम्नलिखित जाँच की जा सकती हैं
- विजुवल ऐनालॉग स्केल (Visual Analogue Scale)
- श्रवणमिति (Audiometry)
- टिनिटस मिलान (Tinnitus Matching)
- तीव्रता मिलान जाँच (Loudness Match Test)
- यूस्टाशियन ट्यूब फंक्शन के साथ इम्पीडैन्स श्रवणमिति जाँच (Impedance audiometry with Eustachian tube function tests) , इत्यादि.
तो अब आपको टिनिटस और हाल ही में आई रिसर्च के बारे में ज्ञात हो गया होगा. कोरोना महामारी से सतर्क रहें और सुरक्षित रहें.
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