प्रेषण आनुवंशिकी (Transmission Genetics) क्या है?

Nov 30, 2017, 17:04 IST

आनुवंशिक ट्रांसमिशन जीन से आनुवंशिक जानकारी का स्थानांतरण एक अन्य पीढ़ी (माता-पिता से लेकर वंश तक), लगभग आनुवंशिकता का पर्याय है. प्रेषण आनुवंशिकी की खोज कैसे हुई, यह क्यों महत्वपूर्ण है आदि के बारे में इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.

बेट्सन ने सर्वप्रथम 1903 में ‘जेनेटिक्स’ (genetics) शब्द का प्रयोग किया था. इसी वर्ष बेट्सन को मटर पर अध्ययन के दौरान दो लक्षणों में सहलग्नता (linkage) के प्रमाण मिले, परन्तु वे इसकी सही व्याख्या नहीं कर सके. 1905 में उन्होंने पनेट के साथ जीन अन्योन्यकरण (gene interaction) का प्रमाण प्रस्तुत किया. इसके बाद, मेंडेलीय अनुपातों (Mendelian ratios) के विभिन्न रूपान्तरणों (Modifications) की खोज हुई.

What is transmission genetics

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वर्ष 1909 में जोहैन्सन (Johannsen) ने पहली बार मात्रात्मक लक्षणों (quantitative characters) में विविधता का आनुवांशिक (genetic) एवं वातावरणीय आधार (environmental basis) प्रस्तुत किया. इसी आधार पर जीनप्ररूप (genotype) एवं लक्षणप्ररूप (phenotype) धारणाओं का जन्म हुआ. जोहैन्सन ने शुद्ध वंशक्रम सिद्धांत (pureline) को भी जन्म दिया. ज्ञातव्य है कि एक सहयुग्मजी (homozygous) तथा स्वपरागित पौधे की सन्ततियों को शुद्ध वंशक्रम (pureline) कहते हैं.   

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यूल (Yule) ने 1906 में मात्रात्मक लक्षणों की व्याख्या के लिए बहुकारकों (multiple factors) की परिकल्पना की. इस धारणा के अनुसार कई जीन एक ही लक्षण को प्रभावित करते हैं; प्रत्येक जीन का प्रभाव अल्प (small) होता है, तथा सभी जीनों का प्रभाव आपस में योग्शील (additive) होता है. यह सिद्धांत कालान्तर में मात्रात्मक वंशागति (quantitative inheritance) का आधार बना.  

Genetic transmission
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इसके एक वर्ष बाद (1910) में टी.एच. मार्गन (Morgan) ने ड्रोसोफिला नामक फलमक्खी में श्वेताक्ष (white eye) लक्षण की वंशागति का अध्ययन किया. प्राप्त परिणामों से उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि श्वेताक्ष जीन ड्रोसोफिला के एक्स-क्रोमोसोम (X-Chromosome) पर स्थित होता हैं. इस प्रकार, सटन एवं बावेरी द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत की मॉर्गन ने पुष्टि की और सर्वप्रथम एक जीन की एक निश्चित क्रोमोसोम पर स्थिति प्रमाणित की जा सकी. इस अध्ययन से लिंग सहलग्नता (sex-linkage) तथा सहलग्नता (linkage) का पता चला, जिनके आधार पर आगे चलकर विभिन्न जीवों में क्रोमोसोम चित्रण (chromosome mapping) किया गया. मॉर्गन को इस तथा अन्य कार्यों के लिए 1934 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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