उत्तर प्रदेश उत्तर भारत के प्रमुख राज्यों में से एक है, जो कि कृषि प्रधान राज्य के रूप में भी जाना जाता है। भारत का यह राज्य सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य भी है। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, यहां की जनसंख्या 19 करोड़ 98 लाख 12,341 दर्ज की गई थी। इसका कुल क्षेत्रफल 240,928 वर्ग किलोमीटर है, जो कि पूरे भारत का 7.33 फीसदी है।
हालांकि, वर्तमान में यह आंकड़ा करीब 24 करोड़ पहुंच गया है। इसके साथ ही भारत का राज्य सबसे अधिक जिले वाला राज्य भी है। आपने उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों के बारे में सुना और पढ़ा भी होगा। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि उत्तर प्रदेश का कौन-सा जिला काशी की बहन कहा जाता है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
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उत्तर प्रदेश का काशी जिला
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि उत्तर प्रदेश के कौन से जिले को हम काशी के नाम से जानते हैं, तो अमूमन सभी लोग यह जानते हैं कि उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले को हम बनारस या फिर भगवान शिव की नगरी काशी के रूप में भी जानते हैं।
समृद्ध इतिहास के साथ-साथ सांस्कृतिक विरासत वाला यह शहर अपनी अनोखी परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं के साथ सबसे पुराने शहरों में गिना जाता है, जिसका इतिहास इतिहास से भी पुराना बताया जाता है। गंगा नदी के किनारे बसा यह शहर अपने अलौकिक दृश्य और धार्मिक रंगों के लिए जाना जाता है। हर साल यहां बड़ी संख्या में देशी-विदेशी सैलानी पर्यटन के लिए पहुंचते हैं। तस्वीरों से लेकर हकीकत तक बनारस के घाटों की खूबसूरती एकाएक लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है।
कौन-सा जिला है काशी की बहन
अब सवाल है कि उत्तर प्रदेश का कौन-सा जिला काशी की बहन के रूप में भी जाना जाता है, तो आपको बता दें कि यह जिला भी गंगा नदी के किनारे बसा हुआ एक शहर है, जिसे वर्तमान में गाजीपुर जिले के नाम से भी जाना जाता है। भारत का यह जिला बिहार की सीमा के नजदीक स्थित है।
जिले में स्थित एशिया का सबसे बड़ा गांव
धार्मिक मान्यताओं के रंग ढंग में बस यह जिला एशिया के सबसे बड़े गांव गहमर के लिए भी जाना जाता है, जो कि इस जिले में ही मौजूद है। इस गांव में प्रत्येक घर में न्यूनतम एक व्यक्ति सेना में तैनात है।
किसने की थी जिले की स्थापना
गाजीपुर जिले की स्थापना को लेकर इतिहास पर गौर करें, तो तुगलक वंश के शासनकाल में सैयद मसूद गाजी द्वारा इस जिले की स्थापना की गई थी। ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार, गाजीपुर के कठपउत में चौहान राजा मांधाता का गढ़ था, जिन्होंने दिल्ली सुल्तान की अधीनता को अस्वीकार कर स्वतंत्र रूप से शासन किया था।
जब दिल्ली वंश के सुल्तान को इसकी सूचना मिली, तो मोहम्मद बिन तुगलक के सिपहसालार सैयद मसूद अली हुसैनी ने सेना की टुकड़ी के साथ यहां पर हमला कर दिया, जिसमें राजा की पराजय हुई और राजा की मौत के बाद राजा की संपत्ति का उत्तराधिकारी सैयद मसूद अली हुसैनी को बना दिया गया। वहींं, हुसैनी को मलिक-अल-सादात-गाजी की उपाधि से भी नवाजा गया, जिसने बाद में कठउत के बगल में गौसपुर को अपने गढ़ बनाया था।
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