भारत दुनिया का सातवां सबसे बड़े देश है, जो कि 38,87,263 वर्ग किलोिमीटर में है, जो कि पूरी दुनिया का करीब 2.4 फीसदी है। भारत में वर्तमान में 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं। इन सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की अपनी-अपनी विशेषताएं हैं, जिससे एक विविध भारत का निर्माण होता है।
इन विशेषताओं में यहां के शहरों की विशेष भूमिका है। आपने भारत के अलग-अलग शहरों के बारे में पढ़ा या सुना होगा। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि भारत का इकलौता शहर कौन-सा है, जिसके नाम पर बैंक, स्टेशन और सूट का नाम भी है। कौन-सा यह शहर, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
पंजाब का पांचवा सबसे बड़ा शहर
आपको बता दें कि यह शहर पंजाब का पांचवां सबसे बड़ा शहर है, जो कि अपनी विविधता, संस्कृति और अनूठी परंपराओं के लिए जाना जाता है। यह शहर पंजाब के आधुनिक शहरों में आता है।
चंड़ीगढ़ से सिर्फ 70 किलोमीटर दूर
पंजाब का यह शहर इसकी राजधानी चंडीगढ़ से ज्यादा दूर नहीं है, बल्कि यह सिर्फ 70 किलोमीटर दूर है। साथ ही, यह विविधता और संस्कृति का केंद्र भी है। इस वजह से इस शहर को हम पंजाब के प्रमुख शहरों में गिनते हैं।
किस शहर के नाम पर कोर्ट, बैंक, स्टेशन और सूट का नाम
अब सवाल है कि आखिर किस शहर के के नाम पर कोर्ट, बैंक, सूट और स्टेशन का नाम है, तो आपको बता दें कि इस शहर का नाम पटियाला है। पटियाला के नाम पटियाला हाउस कोर्ट दिल्ली में है। वहीं, पटियाला बैंक भी है। इसके अतिरिक्त महिलाओं के लिए पटियाला सूट भी खास है। यहां पटियाला स्टेशन है। इन सभी चीजों के अलावा आपने पटियाला पेग के बारे में सुना होगा।
क्यों कहा जाता है पटियाला पेग
यह बात है साल 1920 की, जब अंग्रेजों की एक टीम पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह के साथ क्रिकेट का मैच खेलने के लिए पहुंचती है। भूपिंदर सिंह अंग्रेजों को हर हाल में हराना चाहते थे। ऐसे में उन्होंने मैच से एक रात पहले सभी अंग्रेजों को दावत पर बुलाया और दावत में बड़े-बड़े पेग भरकर पिलाए, जिससे उन्हें हैंगऑवर हुआ, जो कि अगले दिन तक नहीं उतरा। इस वजह से भारत का पटियाला पेग काफी प्रसिद्ध हुआ।
पटियाला शहर की विशेषता
पटियाला कभी पंजाब की रियासत हुआ करता था। हालांकि, बाद में सभी रियासतों का भारत में विलय हो गया। वर्तमान में यहां किला मुबारक को देखा जा सकता है, जो कि अपनी वास्तुकला के लिए जाना जाता है। पटियाला शहर जाट वास्तुकला के लिए जाना जाता है। वहीं, भारत का पहला डिग्री कॉलेज मोहिंदर कॉलेज की स्थापना 1870 में इसी शहर में ही हुई थी।
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