यह बात हम सभी जानते हैं कि भारत को 15 अगस्त, 1947 को आजादी मिली। हालांकि, भारत का यहां तक पहुंचने का सफर आसान नहीं था, क्योंकि ब्रिटिश के खिलाफ आंदोलन में कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों की आहूति दी, जिसके बाद आजाद भारत की तस्वीर की परिकल्पना सच हुई।
भारत की स्वतंत्रता के लिए महात्मा गांधी की ओर से भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई गई, जो कि भारत की ओर से ब्रिटिश के साथ बातचीत के लिए प्रमुख व्यक्ति रहे। साथ ही गांधी ने अपने प्रमुख आंदोलनों के साथ ब्रिटिश के खिलाफ अपनी आवाज मुखर की। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि भारत में एक व्यक्ति ऐसे भी हैं, जिन्हें कोसी का गांधी के नाम से भी जाना जाता है। कौन हैं यह व्यक्ति और क्या है इसका पीछे का कारण, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
किस व्यक्ति को कहा जाता है कोसी का गांधी
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि आखिर कोसी का गांधी किस व्यक्ति को कहा जाता है। आपको बता दें कि राम बहादुर सिंह को हम कोसी के गांधी के रूप में भी जानते हैं।
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कौन थे राम बहादुर सिंह
अब सवाल है कि राम बहादुर सिंह कौन थे, तो आपको बता दें कि राम बहादुर सिंह का जन्म 5 मई, 1901 में बिहार में पंछगछिया गांव में हुआ था। राम बहादुर सिंह में बचपन से ही स्वतंत्रता को लेकर जुनून था।
17 साल की उम्र में हो गई थी शादी
राम बहादुर सिंह की शादी कम उम्र में ही कर दी गई थी। उनका विवाह 17 साल की उम्र में ही कृति देवी के साथ कर दिया गया था। इसके बाद राम बहादुर सिंह ने कोसी में शुरू हुए स्वतंत्रता आंदोलनों का नेतृत्व करना शुरू किया।
कई बार की जेल की यात्रा
रामबहादुर सिंह को भारत की आजादी की राह में कई बार जेल की यात्रा भी करना पड़ी। साल 1919 में जब वह पंचगछिया में रौलेक्ट एक्ट के खिलाफ भाषण दे रहे थे, तब अंग्रेजों द्वारा उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 10 महीने की जेल के बाद वह लौटे और जनसहोयग आंदोलन की तैयारी की, लेकिन इस बीच वह फिर से गिरफ्तार हो गए और 22 माह की सजा काट बाहर आए।
वहीं, 1932 में भारत सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान उन्हें फिर से गिरफ्तार किया गया। यहां 17 महीने की जेल काटने के बाद 1940 में उन्हें व्यक्तिगत आंदोलन के लिए गिरफ्तार किया गया।
1950 में हुआ देहांत
बिहार में जब विनाशकारी भूकंप के बाद 15 जनवरी,1934 में महात्मा गांधी पहुंचे, तो यहां उनकी यात्रा का नेतृत्व हीरा और रामबहादुर सिंह द्वारा किया गया। साल 1947 में देश आजाद हुआ और 1949 में वह पांडीचेरी चले गए। उनका स्वास्थ्य बिगड़ता रहा और साल 1950 में उनकी देहांत हो गया। बिहार में स्वतंत्रता आंदोलन की लड़ाई लड़ने के लिए रामबहादुर सिंह को हम कोसी के गांधी के रूप में भी जानते हैं।
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