जानें गुरु रामदास और उनके कार्यों के बारे में

गुरु रामदास सिखों के चौथे गुरु थे और उनका जन्म 9 अक्टूबर 1534 में हुआ था. उन्होंने अपने समय में कई ऐसे काम किए जिससे सिखों का मार्गदर्शन हुआ और इस प्रथा को कैसे आगे बढ़ाना है का भी पता चला. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं गुरु रामदास जी के बारे में ओत उनके द्वारा किए गए प्रमुख कार्यों को.

Aug 22, 2019, 12:59 IST
Who were Guru Ram Das and what are his works?
Who were Guru Ram Das and what are his works?

गुरु रामदास का जन्म 9 अक्टूबर, 1534 ई. को हुआ था और वे सिखों के चौथे गुरु थे. इन्होंने अमृतसर नामक शहर की स्थापना की थी और इन्हीं के जन्मदिवस पर प्रकाश पर्व या गुरुपर्व मनाया जाता है. क्या आप जनते हैं कि अमृतसर पहले रामदासपुर के नाम से जाना जाता था. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते है गुरु रामदास और उनके द्वारा किए गए कार्यों के बारे में.

गुरु रामदास जी को गुरु का पद किसने दिया?

गुरु रामदास जी के बचपन का नाम जेठा था. इनका जन्म 9 अक्टूबर, 1534 को चूना मंडी जो अब लाहोर में है, हुआ था. इनके पिता हरिदास और माता अनूप देवी जी थी. गुरु रामदास जी का विवाह गुरु अमरदास जी की पुत्री बीबी बानो से हुआ था. जेठा जी की भक्ति भाव को देखकर गुरु अमरदास ने 1 सितम्बर 1574 को गुरु की उपाधि दी और उनका नाम बदलकर गुरु रामदास रखा. यानी रामदास जी ने सिख धर्म के सबसे प्रमुख पद गुरु को 1 सितम्बर, 1574 ई. में प्राप्त किया था और इस पद पर वे 1 सितम्बर, 1581 ई. तक बने रहे थे. उन्होंने 1577 ई. में 'अम्रत सरोवर' नामक एक नये नगर की स्थापना की थी, जो आगे चलकर अमृतसर के नाम से प्रसिद्ध हुआ.

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गुरु रामदास जी के कार्य

- गुरु रामदास जी ने सिख धर्म के लोगो के विवाह के लिए आनंद कारज 4 फेरे (लावा) की रचना की और सिक्खों को उनका पालन और गुरुमत मर्यादा के बारे में बताया. यानी गुरु रामदास जी ने सिक्ख धर्म के लिए एक नयी विवाह प्रणाली को प्रचलित किया.

- गुरु रामदास जी ने अपने गुरुओं के द्वारा दी गई लंगर प्रथा को आगे बढ़ाया.

- उन्होंने पवित्र सरोवर 'सतोषसर' की खुदाई भी आरंभ करवाई थी.

- इन्हीं के समय में लोगों से 'गुरु' के लिए चंदा या दान लेना शुरू हुआ था. इतने अच्छे स्वभाव के व्यक्ति होने के कारण सम्राट अकबर भी उनका सम्मान करता था.

- क्या आप जानते हैं कि सम्राट अशोक ने गुरु रामदास जी के कहने पर एक वर्ष तक पंजाब में लगान नहीं लिया था.

- उनके गीतों में से लावन एक गीत है जिसे सिख विवाह समारोह के दौरान गाया जाता है.

- गुरु हरमंदिर साहिब यानी 'स्वर्ण मंदिर' की नींव भी इनके कार्यकाल में रखी गई थी.

- इन्होंने ही स्वर्ण मंदिर के चारों और की दिशा में द्वार बनवाए थे. क्या आप इन द्वारों के अर्थ के बारे में जानते हैं? इन द्वारों का अर्थ है कि यह मंदिर हर धर्म, जाति, लिंग के व्यक्ति के लिए खुला है और कोई भी यहां कभी भी किसी भी वक्त आ जा सकता है.

- गुरु रामदास जी ने धार्मिक यात्रा के प्रचलन को बढ़ावा दिया था.

- क्या आप जानते हैं कि गुरु रामदास जी ने अपने कार्यकाल के दौरान 30 रागों में 638 भजनों का लेखन किया था.

- 31 अष्टपदी और 8 वारां हैं जो श्री गुरु ग्रंथ साहिब में अंकित हैं.

- गुरु रामदास जी ने अपने सबसे छोटे बेटे अर्जन देव को पाँचवें नानक की उपाधि सौंपी. यानी इनके बाद गुरु की गद्दी वंश - परंपरा में चलने लगी.

- 1 सितम्बर, 1581 को गुरु रामदास जी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था.

ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि गुरु रामदास एक महान गुरु थे जिनके जन्मदिवस पर प्रकाश पर्व या गुरुपर्व मनाया जाता है.

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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