भारत में कच्चे तेल की कीमत पानी से भी कम: जानें क्या आपको फ्री में पेट्रोल मिलेगा?

विश्व में 1 अप्रैल को कच्चे तेल की कीमत गिरकर 23 डॉलर प्रति बैरल यानी प्रति लीटर 11 रुपए पर आ गई थी. आज 21 अप्रैल को ब्रेंट क्रूड आयल की कीमत 25 डॉलर प्रति बैरल थी इसका मतलब है कि आजकल भारत में तेल की कीमत यहाँ पर बिकने वाले एक लीटर बिसलेरी पानी से भी कम हो गयी है. इससे पहले ऐसा मौका 2016 में आया था जब भारत में पानी की तुलना में पेट्रोल सस्ता था.
आइये इस लेख में जानते हैं कि कच्चे तेल की कीमतों में यह कमी क्यों आई है और इससे लोगों को कितना फायदा होने वाला है?
रायटर के मुताबिक मई महीने के लिए वायदा कारोबार में डब्ल्यूटीआइ (वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट) क्रूड की कीमत शून्य डॉलर से भी नीचे -1.36 डॉलर प्रति बैरल के डिस्काउंट के स्तर पर कारोबार कर रही थी. इस दौरान ब्रेंट क्रूड की कीमत भी गिरकर 25.25 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर थी.
ऐसे में लोगों के दिमाग में यह बात आ रही है कि जब कच्चा तेल फ्री में मिल रहा है तो क्या भारत में लोगों को डीजल और पेट्रोल भी फ्री में मिलेगा. इसका उत्तर है नही.
अपने विवरण को सरल बनाने के लिए हम 1 अप्रैल की कच्चे तेल की कीमत जो कि 23 डॉलर प्रति बैरल यानी प्रति लीटर 11 रुपए पर आ गई थी, उसको आधार बनाते हैं.
दरअसल लोगों के पास जो डीजल और पेट्रोल आता है उसे कई प्रक्रियाओं से गुजरकर या परिस्कृत करके बनाया जाता है जिसमें लागत भी आती है. फिर इसमें डीलर का कमीशन, केंद्र और राज्य सरकारों का टैक्स,डीलर कमीशन और परिवहन लागत को जोड़ा जाता है जिसके कारण इसकी कीमत लगभग दुगुनी भी हो जाती है.
आइये इसकी गणना करते हैं;
अगर मान लिया जाए कि सरकार को कच्चा तेल मिला है 11 रुपये प्रति लीटर लेकिन इसमें अन्य लागतों को मिलाकर 1 लीटर तेल का बेस प्राइस रखा गया है 27 रुपए 96 पैसे. अब इसमें केंद्र सरकार द्वारा 22 रुपए 98 पैसे की एक्साइज ड्यूटी लगाई गई, राज्य सरकार के द्वारा 14 रुपए 79 पैसे का वैट भी जोड़ दिया गया, फिर इसमें 3 रुपए 55 पैसा डीलर का कमीशन जोड़ा गया और अंत में इन सभी टैक्स को मिलाने के बाद उपभोक्ताओं से एक लीटर पेट्रोल के लिए 69 रुपए 28 पैसे वसूल किये गये.
जब भी विश्व में कच्चे तेल की कीमत में कमी होती है तो सरकार इस पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी बढ़ा देती है. सरकार ने 14 मार्च को पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 3 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी.
उद्योग जगत के एक विश्लेषक ने बताया कि उत्पाद शुल्क में प्रत्येक 1 रुपये की वृद्धि से सरकारी खजाने में 14,200 करोड़ रुपये की वार्षिक वृद्धि और मौजूदा बढ़ोतरी से सरकार के राजस्व में लगभग 43,000 करोड़ रुपये का इजाफा होगा.
उम्मीद है कि अब आपको समझ आ गया होगा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल भले ही सस्ता हो जाए, लेकिन आपको पेट्रोल की कीमत ज्यादा ही चुकानी पड़ती है क्योंकि सरकार अपना टैक्स बढ़ा देती है.
क्रूड आयल की मांग में गिरावट क्यों हुई?(Why Crude oil price falling)
इसका सबसे बड़ा कारण है दुनियाभर में तेल की मांग में कमी होना, इस इस मांग में कमी का कारण है दुनियाभर में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए दुनियाभर में लॉकडाउन और यात्रा पर पाबंदी. कोरोना की वजह से तलगभग 200 करोड़ लोग घरों में बंद हैं और 60% से ज्यादा वाहन सड़कों से गायब हैं. हवाई जहाजों की उड़ानें भी पूरी तरह से बंद हैं.
इसका अन्य कारण है रूस और सऊदी अरब के बीच प्राइस वॉर. हालाँकि ओपेक सदस्यों और अन्य देशों ने आपसी विचार के बाद कच्चे तेल के उत्पादन में करीब 1 करोड़ बैरल रोजाना की कटौती करने का फैसला किया था, लेकिन इसके बाद भी कीमतों में गिरावट का दौर जारी है क्योंकि मांग में ज्यादा गिरावट आई है उतनी उत्पादन में नहीं.
भारत के लिए फायदा कितना?
सीधे तौर पर देखने में ऐसा लगता है कि इस समय भारत सरकार के लिए तील की कीमतों में गिरावट जैसे संजीवनी बूटी के सामान है लेकिन ऐसा नहीं है क्योंकि जब बाजार में डीजल और पेट्रोल की डिमांड ही नहीं है तो फिर सरकार को एक्साइज ड्यूटी से कैसे पैसा मिलेगा?
लोग यह भी कह सकते हैं कि भारत सरकार कच्चे तेल का भंडारण कर सकती है. जी हाँ भारत सरकार ऐसा पहले ही कर चुकी है और उसके सभी तेल भंडार भर चुके हैं.
भारत में तीन स्थानों पर पहले से ही 5.33 MMT भंडारण की भूमिगत गुफाएँ हैं. इसमें शामिल है; पाडुर (2.5 MMT), विशाखापत्तनम (1.33 MMT), और मैंगलोर (1.5 MMT). इन तीन रणनीतिक तेल भंडारों की संयुक्त क्षमता 5.33 मीट्रिक टन है जो कि 13 दिनों के प्रयोग के लिए काफी हैं.
सरकार, दूसरे चरण में, सरकार पाडुर, चंडीखोल (ओडिशा), बीकानेर (राजस्थान) और राजकोट (गुजरात) में कुल मिलाकर 12.5 मीट्रिक टन भंडारण क्षमता बनाने की योजना बना रही है. 90 दिनों के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, भारत को 13.32 मीट्रिक टन अतिरिक्त पेट्रोलियम भंडार बनाने की आवश्यकता है.
उम्मीद है कि आप समझ गए होंगे कि भले ही क्रूड आयल की कीमत शून्य हो गयी हो लेकिन इससे भारत सरकार और भारत के लोगों को अब फ़िलहाल कोई फायदा नहीं है.
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