हर साल क्यों बिगड़ जाती है दिल्ली-एनसीआर की हवा, यहां पढ़ें

हम हर साल देखते हैं कि सर्दी आते ही दिल्ली-एनसीआर के लोगों की सांसों पर संकट आ जाता है। ऐसे में दिवाली के मौके पर सरकार की ओर से कई प्रतिबंध लगा दिए जाते हैं। कुछ लोग इसके पीछे दिवाली के पटाखों को जिम्मेदार बताते हैं, तो कुछ लोग पराली को जिम्मेदार बताते हैं। हालांकि, इसके पीछे सही कारण हैं, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।

Oct 29, 2024, 23:14 IST
अक्टूबर से ही क्यों बिगड़ जाती है दिल्ली-एनसीआर की हवा
अक्टूबर से ही क्यों बिगड़ जाती है दिल्ली-एनसीआर की हवा

उत्तर भारत से इस समय गर्मी का मौसम विदाई पर है और सर्दी के आने की तैयारी है। एक तरफ जहां लोगों को सर्दी आने का सुकून है, तो दूसरी तरफ दिल्ली-एनसीआर के लोगों की सांसें प्रदूषण ने फूला रखी हैं। यह हर बार है, जब अक्टूबर के अंत तक दिल्ली-एनसीआर के लोगों का सांस लेना मुश्किल हो जाता है। वहीं, नवंबर और दिसंबर में  हालात बद से बदतर हो जाते हैं। 

कुछ लोग इसके पीछे गाड़ियों के प्रदूषण को जिम्मेदार ठहराते हैं, तो कुछ लोग सड़कों से लेकर भवन निर्माण के दौरान उड़ने वाली धूल को जिम्मेदार बताते हैं। वहीं, इस बीच दिवाली पर भी पटाखों को लेकर प्रतिबंध लगता है।

हालांकि, क्या सिर्फ यही कारण हैं, जिससे हर साल लोगों की सांसों पर संकट आ जाता है या फिर इसके लिए अन्य कारण भी शामिल हैं। इस लेख में हम पूरी तरह से इसके कारणों पर बात करेंगे। 

 

बढ़ जाते हैं पीएम तत्त्व

उत्तर भारत में मानसून के दौरान पार्टिकुलेट मैटर(पीएम) जमा नहीं होते हैं। दरअसल, यह प्रदूषण के बहुत ही बारीक कण होते हैं, जो कि वातावरण में मौजूद होते हैं। सामान्य तौर पर यह पीएम 10 और पीएम 2.5 होते हैं। इसमें पीएम 2.5 अधिक खतरनाक होता है, जो कि आसानी से सांस द्वारा हमारे फेफड़ों तक पहुंच जाता है और कैंसर तक का कारण बन जाता है।

सर्दी के दौरान बारिश कम होने की वजह से पार्टिकुलेट मैटर बढ़ जाते हैं। इससे प्रदूषकों को जमा होने में मदद मिलती है। 

Inversion भी है अहम कारण

सर्दी के दौरान तापमान गिरता है। ऐसे में वातावरण में घनत्व अधिक हो जाता है। इस बीच सतह पर ठंडी हवा की परत बन जाती है और इस पर गर्म हवा की परत बनती है। सतह की तरफ ठंडी हवा होने की वजह से प्रदूषकों को जमा होने में मदद मिलती है, जिसमें गाड़ियों के प्रदूषण से लेकर पराली के धुएं से निकलने वाले कण तक शामिल होते हैं। हवा की इस प्रक्रिया को इनवर्जन कहते हैं।

बदल जाती है हवा की दिशा

गर्मी और सर्दी में हवा की दिशा में अंतर है। सर्दी के मौसम में हवा की दिशा बदलकर उत्तर-पश्चिम की ओर हो जाती है। ऐसे में रेगिस्तान और मैदानी इलाकों से आने वाली धूल भरी हवाओं की वजह से दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषकों को पहुंचने में मदद मिलती है। 

लैंडलॉक्ड है दिल्ली-एनसीआर 

दिल्ली-एनसीआर में हवा के बिगड़ने का कारण इसकी भौगोलिक स्थिति भी है। क्योंकि, दिल्ली-एनसीआर लैंडलॉक्ड है, जिस वजह से यहां की हवा ट्रैप हो जाती है। ऐसे में यहां आने वाले प्रदूषक तत्त्व भी सर्दी के मौसम में यहां फंसे रह जाते हैं, जिससे लोगों की सांसों पर संकट आता है।

इन कारकों से भी बढ़ जाता है प्रदूषण

सर्दी में हवा की रफ्तार कम होने और घनत्व अधिक होने की वजह से गाड़ियों से निकलने वाले प्रदूषक तत्त्व, भवन निर्माण के दौरान उड़ने वाली धूल, पटाखों से निकलने वाले प्रदूषकों को जमने में मदद मिलती है। ऐसे में दिल्ली-एनसीआर की हवा और भी दमघोंटू हो जाती है।

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

A seasoned journalist with over 7 years of extensive experience across both print and digital media, skilled in crafting engaging and informative multimedia content for diverse audiences. His expertise lies in transforming complex ideas into clear, compelling narratives that resonate with readers across various platforms. At Jagran Josh, Kishan works as a Senior Content Writer (Multimedia Producer) in the GK section. He can be reached at Kishan.kumar@jagrannewmedia.com
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