सोना दुनिया में काफी दुर्लभ तत्व है और इसकी दुर्लभता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पृथ्वी के क्रस्ट के प्रति मिलियन सैंपल में लगभग 0.003 हीं सोना पाया जाता है. वर्ष 2017 में सोने का कुल वैश्विक उत्पादन 3,247 टन था. पूरी दुनिया में चीन सबसे बड़ा सोने का उत्पादक है. वर्ष 2017 में चीन ने 426 सोने का उत्पादन किया था जो कि पूरी दुनिया के उत्पादन का 13 प्रतिशत था. ऑस्ट्रेलिया 295 टन सोने का उत्पादन करके विश्व में दूसरा सबसे बड़ा स्वर्ण उत्पादक देश था.
दुनिया में सबसे अधिक चांदी का उत्पादन करने वाला देश मेक्सिको है. वर्ष 2017 में, इस देश ने 5,600 मीट्रिक टन चांदी का उत्पादन किया था जो कि 2016 की तुलना में 240 मीट्रिक टन ज्यादा है.
सोना असली है या नकली कैसे पता लगा सकते हैं?
(चांदी की खदान)
विश्व में दूसरा सबसे बड़ा चांदी उत्पादक दक्षिण अमेरिकी देश पेरू है. वर्ष 2016 में इस देश ने चांदी के उत्पादन में बड़ी छलांग लगायी और 4,500 मीट्रिक टन चांदी का उत्पादन कर दूसरे नम्बर पर आ गया था.
भारत में सोने और चांदी की मांग
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017 में भारत में सोने की खपत 727 टन थी जो कि वर्ष 2018 में 700 टन से 800 टन के बीच रहने की उम्मीद है. पिछले 10 वर्षों में भारत में सोने की औसत मांग 840 टन रही है. इस प्रकार भारत सोने का विश्व में पांचवा सबसे बड़ा आयातक देश है.
ज्ञातव्य है कि भारतीय महिलाएं विश्व के कुल सोने का लगभग 11% भाग रखती है. भारत का केरल राज्य सोने की खरीदारी पर प्रति माह प्रति व्यक्ति सबसे अधिक रुपया खर्च करता है. एक चौंकाने वाला आंकड़ा यह है कि सोने के तस्कर 2017 में 120 टन सोना भारत लाए थे.
वर्ष 2008 और 2012 के बीच भारत में चांदी का वार्षिक औसत आयात 3,080 टन था, जो कि 2013 और 2017 के बीच 5,800 टन तक पहुंच गया था. वर्ष 2008 से 2017 के बीच भारत ने लगभग 45,000 टन चांदी का आयात किया था.
आइये अब उन कारणों के बारे में जानते हैं जिनके कारण सोने और चांदी के दामों में वृद्धि होती रहती है.
सोने और चांदी को लक्ज़री गुड्स की केटेगरी में रखा जाता है और जिनके पास ये दोनों मेटल अधिक होतीं हैं उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है. इसलिए सोने और चांदी सहित अन्य लक्ज़री गुड्स में मामले में मांग का नियम लागू नहीं होता है. अर्थात इन मेटल की मांग तब भी बढ़ती है जब इन दोनों के मूल्यों में वृद्धि हो जाती है.
मांग का नियम कहता है कि "जब किसी वस्तु की कीमत बढ़ जाती है तो उसकी मांग घट जाती है और कीमत घटने पर मांग बढ़ जाती है."
1. सोने - चांदी का मूल्य अंतराष्ट्रीय बाजार, रुपए के मुकाबले डॉलर की कीमत, देशी बाजार में मांग और आपूर्ति आदि पर निर्भर करता है.
2. यदि इक्विटी बाजार में मंदी देखने को मिलती है तो भी इसके भावों में वृद्धि होती है. इन्वेस्टमेंट डिमांड बढ़ने पर भी इनके दाम बढ़ जाते हैं.
3. जो लोग अपने निवेश कर ज्यादा धन कमाना चाहते हैं और ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहते हैं वे लोग सोने और चांदी के आभूषणों को बनवाकर रख लेते हैं और जब इनके दामों में वृद्धि हो जाती है तो बेच देते हैं. इस कारण से सोने और चांदी की मांग बाजार में बढती रहती है लेकिन मांग की तुलना में पूर्ती इतनी जल्दी नहीं बढ़ती है. इस कारण मांग और पूर्ती में बड़ा अंतर पैदा हो जाता है जिसके कारण इन दोनों मेटल के दामों में वृद्धि हो जाती है.
4. विश्व के हर देश में सोने और चांदी पैदा नहीं होती है जबकि इनकी मांग विश्व के हर देश में जरूर होती है.
5. भारत के परिप्रेक्ष्य में सोने का दृष्टिकोण भी इसकी कीमत में वृद्धि के लिए उत्तरदायी है जैसे एक पिता का अपनी बेटी की शादी के लिए सोना खरीदता है, जो कि इसके मूल्यों में वृद्धि करने के लिए जिम्मेदार है.
6. लिखना तो नहीं चाहिए लेकिन एक सच यह भी है कि लोग काले धन को सुरक्षित करने के लिए सोना खरीद लेते हैं.
इस प्रकार ऊपर दिए गए आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि सोना और चांदी का उत्पादन विश्व में बहुत बड़ी मात्रा में नहीं किया जाता है और इसका उत्पादन केवल कुछ देशों में ही किया जाता है लेकिन इन दोनों मेटल्स की मांग विश्व के लगभग हर देश में है इसलिए इन दोनों की कीमतों में अक्सर वृद्धि होती रहती है.
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