माॉरीशस हिंद महासागर में स्थित एक सुंदर द्वीप है, जो अफ्रीका के पास बसा हुआ है। मॉरीशस की खोज साल 1502 में हुई थी। यहां की कुल आबादी लगभग 12 लाख से अधिक है, जिसमें 70 प्रतिशत से अधिक की आबादी भारतीय मूल की है। यह देश अफ्रीका में सबसे अधिक प्रति व्यक्ति आय वाले देशों में से एक है। यहां की मुख्य भाषा मॉरीशन क्रिओन है। रिसर्च ऑर्गनाइजेशन BTI की साल 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, मॉरीशस की कुल आबादी में लगभग 52% हिंदू, 30.7% ईसाई, 16.1% मुस्लिम और इसके अलावा 2.9% चीन के लोग यहां रहते हैं। यहां भारतीय संस्कृति की एक अनोखी झलक देखने को मिलती है।
साल 1810 में ब्रिटेन ने मॉरीशस द्वीप पर कब्जा किया था। अंग्रेजों ने इस द्वीप को विकसित करने के लिए भारत के 36 मजदूरों को एटलस जहाज में लेकर पहली बार 2 नवंबर 1834 को मॉरीशस लेकर गए। 1834 से 1910 के बीच 4.5 लाख मजदूर भारत से मॉरिशस भेजे गए, जिन्हें भारतीय गिरमिट मजदूर के नाम से जाना गया। आगे इस लेख में जानिए मॉरीशस से जुड़ी दिलचस्प बातों के बारे में, जहां भारतीयों ने रहकर बसाया एक ‘छोटा भारत’।
मॉरीशस से जुड़ी दिलचस्प बातें
- मॉरीशस हिंद महासागर में स्थित एक द्वीप देश है, जो अफ्रीका के नजदीक बसा हुआ है। यह देश अफ्रीका में सबसे अधिक प्रति व्यक्ति आय वाले देशों में से एक है।
- मॉरीशस भी अंग्रेजों का गुलाम रहा है, साल 1715 में इसपर फ्रांस ने और फिर साल 1810 में ब्रिटेन ने कब्जा किया था।
- साल 1834 से 1910 के बीच 4 लाख से ज्यादा मजदूरों को भारत से मॉरीशस ले जाया गया था, जो गिरमिट मजदूर कहलाए और फिर वहीं बस गए। आने वाली पीढ़ी ने भी मॉरीशस को अपना देश माना।
- भारतीय मजदूर जिस घाट पर पहली बार मॉरीशस द्वीप पहुंचे थे, उसे आज तक अप्रवासी घाट बोला जाता है। हर साल वहां 2 नवंबर को ‘अप्रवासी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
- साल 1968 में मॉरीशस को आजादी मिली थी। मॉरीशस के पहले प्रधानमंत्री शिवसागर रामगुलाम थे, जो कि बिहार के भोजपुर जिले के रहने वाले थे। शिवसागर के बेटे 1995 से 2014 तक दो बार मॉरीशस के प्रधानमंत्री बने। 2024 में उन्होंने तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में पद संभाला।
- मॉरीशस की कुल आबादी 12 लाख से ज्यादा है, जिसमें 70% भारतीय मूल के हैं। यहां भारतीय भाषाओं और रीति रिवाजों का चलन बहुत आम है। यहां मॉरीशन क्रिओन के साथ हिंदी और भोजपुरी भी बोली जाती है। यही वजह है कि मॉरीशस को छोटा भारत कहा जाता है।
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