भारतीय रिज़र्व बैंक सोना क्यों खरीदता है?

Sep 19, 2019, 11:17 IST

वित्त वर्ष 2017-18 की जून तिमाही में RBI ने 8.46 मीट्रिक टन सोना खरीदा है. इससे पहले RBI ने नवंबर 2009 में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से 200 मीट्रिक टन सोना खरीदा था. रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, अब उसके सोने का भंडार 566.23 मीट्रिक टन पहुंच गया है. इस लेख में बताया गया है कि RBI ने इस सोने की खरीद क्यों की है.

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भारतीय रिज़र्व बैंक के अन्य कार्यों में विदेशी मुद्रा की रखवाली और मिनिमम रिज़र्व सिस्टम की मजबूती के लिए सोने की खरीद करता है. इसे बैंकों का बैंक और विदेशी मुद्रा का संरक्षक भी कहा जाता है. रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में उसके सोने का रिजर्व 612 टन तक पहुंच गया है. 

ध्यान रहे कि रिज़र्व बैंक इस सोने को अपने विदेशी मुद्रा भंडार में रखता है. सितम्बर 2019 के पहले सप्ताह में रिज़र्व बैंक के पास कुल विदेशी मुद्रा भंडार 430 बिलियन डॉलर के पास पहुँच गया है.

नोट पर क्यों लिखा होता है कि “मैं धारक को 100 रुपये अदा करने का वचन देता हूँ.”

भारतीय रिज़र्व बैंक ने सोने की खरीदारी क्यों की है?

वर्तमान में RBI के पास सोने का भंडार 612  टन है जिसमें उसने 292.30 टन को नोट जारी करने वाले विभाग की संपत्ति दिखाया है और बाकी  सोना बैंकिंग विभाग की संपत्ति दिखाया है. रिज़र्व बैंक के पास मौजूद कुल सोने का मूल्य 195940 करोड़ रुपये हो गया है.

सोना खरीदने के विभिन्न कारण निम्नलिखित हैं;

1. जैसा कि नियम है कि रिज़र्व बैंक को “मिनिमम आरक्षी अनुपात” को मेन्टेन करने के लिए कम से कम 115 करोड़ रुपये का सोना और 85 करोड़ रुपये की विदेशी संपत्तियां अपने पास रखनी होतीं हैं ताकि वह कितनी भी बड़ी मात्रा में नोटों की छपाई कर सके. रिज़र्व बैंक नोटों पर लिखी अपनी शपथ "मैं धारक को 100 या 200 रुपये अदा करने का वचन देता हूँ" को पूरा करने के लिए अपने पास कम से कम 115 करोड़ रुपये का सोना हर समय पड़ता है. इसीलिए RBI ने सोने की खरीदारी की है.

2. रिजर्व बैंक के मुताबिक यह खरीदारी उसने अपने विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करने के लिए की है.

3. विशेषज्ञ मानते हैं कि RBI ने अपनी संपत्ति में विविधता लाने के लिए सोने की खरीदारी की है.

4. ज्ञातव्य है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले 9 साल में पहली बार सोना खरीदा है. इससे यह संकेत मिलता है कि आने वाले दिनों में सोने की मांग बढ़ सकती है.

5. अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ब्याज दरें बढ़ने और रुपये की कीमत गिरने के दौर में सोने की खरीद से भारतीय मुद्रा भंडार को मजबूती मिलेगी जिससे विदेश में भारत के भुगतान संतुलन के बारे में सकारात्कम महौल बनेगा.

6. आईएमएफ को सौंपी गई जानकारी के अनुसार, रिजर्व बैंक के पास 3077688 करोड़ रुपए  मूल्य का रिजर्व है, जिसमें से195940 करोड़ रुपये सोने के रूप में है. भारतीय रिजर्व बैंक को मौजूदा कीमतों पर तीन से आठ साल तक के बॉन्ड्स को भुनाना होगा. इसके साथ ही उसे अपने पास पार्याप्त मात्रा में सोना रखना होगा, ताकि किसी भी जोखिम से निपटा जा सके.

7. सोने की खरीद से इस बात को बल मिल रहा है कि निवेश के अन्य संसाधनों में वैश्विक स्तर पर रिटर्न कम हो रहा है और वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता का माहौल बन रहा है. ऐसी स्थिति में सोने में निवेश सुरक्षा और रिटर्न के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है.

सारांश के तौर पर यह कहा जा सकता है कि रिज़र्व बैंक ने 9 साल बाद सोना इसलिए खरीदा है क्योंकि इंटरनेशनल मार्किट में रुपये की कीमत लगातार गिर रही है इसलिए RBI को रूपये की कीमत को रोकने के लिए भारत के विदेशी मुद्रा भंडार से लगातार संपत्तियां खर्च करनी पड़ रहीं है जो कि मुद्रा भंडार को खाली कर रहा है जो कि आगे चलकर देश के लिए भुगतान संतुलन की समस्या खड़ी कर सकता है.

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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