अयोध्या राम मंदिर के लिए क्यों बनाई गई हैं तीन मूर्तियां, जानें

अयोध्या के श्रीराम मंदिर में तीन मूर्तियों को स्थापित किया जाएगा, जिसमें से एक मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित किया गया है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि आखिर तीन मूर्तियों को क्यों बनाया गया है और गर्भगृह में स्थापित होने वाली मूर्ति में क्या खास है, जानने के लिए यह पूरा लेख पढ़ें। 

Jan 22, 2024, 15:11 IST
अयोध्या राम मंदिर
अयोध्या राम मंदिर

 22 जनवरी, 2024 पूरे भारत के लिए एक महत्वपूर्ण तारीख है। क्योंकि, इस दिन अयोध्या के श्रीराम मंदिर के गर्भगृह में भगवान श्रीराम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हो गई है। यह बात हम सभी जानते हैं कि मंदिर के लिए तीन मूर्तियों को बनाया गया है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि आखिर तीन मूर्तियों को क्यों बनाया गया है और गर्भ गृह में स्थापित होने वाली मूर्ति में क्या खासा है। यदि नहीं जानते हैं, तो इस लेख के माध्यम से आपको इन सभी सवालों का जवाब मिल जाएगा। जानने के लिए यह पूरा लेख पढ़ें। 

 

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राम मंदिर में स्थापित होंगी चल और अचल मूर्ति

सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि राम मंदिर के गर्भ गृह में दो प्रकार की मूर्तियां स्थापित हो रही हैं, जिसमें एक चल और दूसरी अचल मूर्ति है। अब यहां यह सवाल है कि आखिर चल और अचल मूर्ति क्या है, तो आपको बता दें कि अचल मूर्ति तो वह है, जो कि स्थायी तौर पर मंदिर के गर्भगृह में ही मौजूद रहेगी, जबकि चल मूर्ति वह है जिसकी पूजा निर्माण स्थल पर 1949 से की जा रही है।

यही वह मूर्ति है, जिसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर को लेकर मामला दायर किया गया था। ऐसे में इस मूर्ति को भी मंदिर में स्थापित किया जाएगा और विशेष अवसर पर इस मूर्ति के साथ रथयात्रा निकाली जाएगी। यही वजह है कि मंदिर में चल और अचल मूर्ति स्थापित हो रही है। 

 

बनाई गई थीं तीन मूर्तियां 

मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए तीन मूर्तियों को तैयार किया गया था। इसमें एक मूर्ति कर्नाटक में तैयार की गई है। इसके अलावा दो अन्य मूर्तियां भी तैयार की गई हैं, जिसमें एक मूर्ति संगमरमर और दूसरी मूर्ति नीले पत्थर की है। इस बीच यह तय किया गया था कि सबसे बेहतर मूर्ति को मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा। हालांकि, इसके पीछे कई अन्य कारण भी हैं, जो कि नीचे बताए गए हैं। 


गर्भगृह में श्यामल वर्ण की मूर्ति ही क्यों

अब सवाल है कि मंदिर के गर्भगृह में जिस मूर्ति को स्थापित किया जा रहा है, वह श्यामल वर्ण की ही क्यों है, तो आपको बता दें कि शास्त्रों में श्रीराम स्वरूप को श्यामल वर्ण वाला बताया गया है। श्रीराम स्तुति में नीलांबुजम श्यामम कोमलांगम का वर्णन मिलता है।

ऐसे में मंदिर के गर्भगृह में श्यामल वर्ण वाली मूर्ति को स्थापित किया गया है, जिसे मैसूर के अरूण योगीराज ने बनाया है, जबकि दो अन्य मूर्तिकार गणेश भट्ट और सत्यनारायण पाण्डेय हैं। दो अन्य मूर्तियां मंदिर के पहले तल पर स्थापित की जा सकती हैं। 

 

51 इंच की है मूर्ति

मंदिर में श्रीराम की 51 इंच की प्रतिमा को स्थापित किया जा रहा है, जिसमें भगवान श्रीराम पांच वर्ष की आयु स्वरूप में दिखेंगे।

 

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

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