भारत में 22 जनवरी 2024 की तारीख महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन बहुप्रतीक्षित अयोध्या के राम मंदिर में भगवान श्रीराम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी। ऐसे में इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के कई गणमान्य लोग उपस्थित होंगे। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि अयोध्या राम मंदिर निर्माण में देशभर के कई प्रतिष्ठित IIT, NIT व अन्य शिक्षण संस्थान जुड़े हुए हैं, जिनकी मदद से राम मंदिर परिसर का निर्माण किया जा रहा है। कौन-से हैं ये शिक्षण संस्थान, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
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आकार देने में की है मदद
भारत के प्रमुख तकनीकी व अन्य शिक्षण संस्थानों ने राम मंदिर के निर्माण के दौरान मंदिर परिसर को आकार देने में मदद की है। ऐसे में अलग-अलग संस्थानों से कई प्रमुख प्रोफेसर व शोधार्थियों ने मंदिर परिसर का डिजाइन तैयार किया है।
कितने क्षेत्र में तैयार हो रहा है राम मंदिर
यहां सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि राम मंदिर कुल कितने क्षेत्र में तैयार हो रहा है, तो आपको बता दें कि राम मंदिर का निर्माण कुल 70 एकड़ क्षेत्र में तैयार किया जा रहा है, जिसमें से 70 फीसदी हरित क्षेत्र है। हालांकि, इसमें से 2.77 एकड़ क्षेत्र में मंदिर का निर्माण हो रहा है।
कितना लंबा-चौड़ा और ऊंचा है मंदिर
मंदिर निर्माण के दौरान इसके लंबाई व चौड़ाई का भी विशेष ध्यान रखा गया है। ऐसे में इसकी कुल लंबाई 380 फीट, 250 फीट चौड़ाई और 161 फीट ऊंचाई है। राम मंदिर की लंबाई-चौड़ाई व ऊंचाई का अनुपात इस तरह रखा गया है कि यह समान दूरी से भी आसानी से देखा जा सकता है।
निर्माण में कौन-कौन से संस्थान हैं शामिल
-IIT Guwahati
-IIT Bombay
-IIT Chennai
-NIT Surat
-Central Building Research Institute, Roorkee
-National Geo Research Institute, Hyderabad
-National Institute of Rock Mechanics
एक हजार साल तक बना रहेगा मंदिर
अयोध्या भूंकप के जोन के हिसाब से जोन-3 में आती है, लेकिन राम मंदिर का निर्माण भूकंप के जोन-4 के हिसाब से किया जा रहा है, जिससे यह अधिक तीव्रता वाले भूकंप के झटकों को भी झेल सके। वहीं, ऊपर बताए गए तकनीकी संस्थान मंदिर को इस तरह से तैयार कर रहे हैं कि यह आने वाले 1000 सालों तक बना रहेगा, जिससे सदियों तक भारत की परंपरा लोगों के दिलों में रहेगी।
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