Indian Railways: भारत में यातायात के साधनों में रेलवे का अहम स्थान है। यही वजह है कि भारतीय रेलवे को देश की लाइफलाइन भी कहा जाता है। क्योंकि, रेलवे नेटवर्क के माध्यम से प्रतिदिन करोड़ों यात्री सफर कर अपनी मंजिलों तक पहुंचते हैं।
वर्तमान में रेलवे में 13 हजार से अधिक पैसेंजर ट्रेनों का संचालन हो रहा है, जो कि सात हजार से अधिक स्टेशनों से गुजरती हैं। इन सभी आंकड़ों के साथ भारतीय रेलवे दुनिया में चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है।
वहीं, एशिया में भारत का दूसरा स्थान है। आपने भी ट्रेन से कई बार सफर किया होगा। हालांकि, इस दौरान क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि आखिर खुले में रहने के बावजूद भी ट्रेन की पटरियों पर जंग क्यों नहीं लगता है। इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
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भारत में रेलवे ट्रैक की कुल लंबाई
भारतीय रेलवे में 31 मार्च, 2019 तक रेल मार्ग की कुल लंबाई 67,956 किलोमीटर थी। वहीं, रनिंग ट्रैक सहित इसकी लंबाई 99, 235 किलोमीटर थी। यदि इसमें यार्ड और साइडिंग को मिला दिया जाए, तो यह आंकड़ा 1,26,366 किलोमीटर था।
लोहे में क्यो लग जाता है जंग
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि आखिर लोहे में जंग क्यों लग जाता है। आपको बता दें कि लोहा जब भी ऑक्सीजन से प्रतिक्रिया करता है, तो इसके ऊपर एक भूरे रंग की परत जाती है, जो कि आयरन ऑक्साइड की होती है।
इससे लोहे में जंग लगना शुरू होता है और लोहा गलने लग जाता है। साथ ही लोहा कमजोर भी हो जाता है। ऐसे में लोहे को जंग से बचाने के लिए अलग-अलग उपाय किए जाते हैं, जिसमें पेंट से लेकर गेल्वेनाइजेशन तक शामिल है।

लोहे की पटरी में क्यों नहीं लगता है जंग
अब हम यह जान लेते हैं कि आखिर लोहे की पटरी में जंग क्यों नहीं लगता है। आपको बता दें कि रेलवे में तैयार की जाने वाली पटरियां मैंग्निज से तैयार की जाती हैं। यह एक खास प्रकार का स्टील होता है, जिसमें 12 फीसदी मैंग्निज और 0 फीसदी कार्बन होता है। इस वजह से यह ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया नहीं करता है, जिससे इसके ऊपर जंग की परत नहीं जमती है।
लंबे समय तक नहीं बदलनी पड़ती हैं पटरियां
रेलवे में इस प्रकार का लोहा इस्तेमाल करने के दो फायदे होते हैं, एक फायदा यह है कि इस लोहे का घनत्व अधिक होता है और यह अधिक मजबूत भी होता है। वहीं, दूसरा फायदा यह है कि लोहे की इस गुणवत्ता की वजह से पटरियों को जल्दी बदलने की आवश्यकता नहीं पड़ती है और यह बिना जंग लगे कई सालों तक उपयोग में रहती हैं।
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