हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले की रोरा घाटी (Rora Valley) में स्थित युल्ला कांडा (Yulla Kanda) विश्व का सबसे ऊँचा श्रीकृष्ण मंदिर होने का गौरव रखता है. यह मंदिर समुद्र तल से 12,000 फीट (3,895 मीटर) की ऊँचाई पर स्थित है। युल्ला कांडा अपने अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य और आस्था के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थल न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक आध्यात्मिक केंद्र है, बल्कि ट्रैकिंग प्रेमियों के लिए भी एक दिव्य अनुभव प्रदान करता है। जिसके बारे में मान्यता है कि महाभारत काल में पांडवों ने अपने वनवास के दौरान इस झील का निर्माण किया था.
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झील के मध्य में स्थित है मंदिर:
यह मंदिर एक झील के मध्य स्थित है, जिसके बारे में मान्यता है कि महाभारत काल में पांडवों ने अपने वनवास के दौरान इस झील का निर्माण किया था, और बाद में यहां भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर स्थापित किया गया।
क्या है इस मंदिर में खास:
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यह मंदिर सभी धर्मों, जातियों और समुदायों के लोगों के लिए खुला है। यहाँ हर साल जन्माष्टमी पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इसे बुशाहर रियासत के राजा केहरी सिंह द्वारा आरंभ किया गया था।
एक पारंपरिक किन्नौरी टोपी को उल्टा करके झील में छोड़ा जाता है। मान्यता है कि यदि टोपी बिना डूबे झील के पार चली जाए, तो आगामी वर्ष आपके लिए शुभ होगा।
कैसे पहुँचे युल्ला कांडा मंदिर:
सड़क मार्ग से मंदिर पहुँचने के लिए सबसे पहले आपको शिमला पहुंचना होगा, जिसके बाद शिमला से रिकॉन्ग पिओ (Reckong Peo) के लिए बस या टैक्सी लें (लगभग 220 किमी) रिकॉन्ग पिओ से उरनी गांव पहुँचें (करीब 12-15 किमी)। उरनी से युल्ला खास गांव तक 3 किमी की चढ़ाई है। यहाँ से ट्रैकिंग शुरू होती है।
रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन कालका (Kalka) है। यहाँ से शिमला के लिए टॉय ट्रेन या टैक्सी ली जा सकती है।
वायु मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा शिमला एयरपोर्ट (Jubbarhatti) या फिर भुंतर एयरपोर्ट (कुल्लू)।
ट्रैकिंग का भी ले सकते है आनंद:
युल्ला कांडा ट्रैक करके भी पहुंचा जा सकता है, जिसकी शुरुआत किन्नौर जिले के एक छोटे गाँव युल्ला खास (Yulla Khas) से होती है, जो किन्नौरी सेबों के लिए भी मशहूर है. बता दें कि मई से अक्टूबर के बीच का समय ट्रैकिंग के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है.
युल्ला कांडा की यात्रा केवल एक ट्रैकिंग नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक आत्मिक अनुभव है।
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