21वीं सदी की दुनिया औद्योगीकरण के ऊर्जा कुशल और ऊर्जा बचत मोड की ओर बढ़ रही है। क्योंकि, कोयला और प्राकृतिक गैसों जैसे ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनते हैं। ऐसे में ऑस्ट्रेलिया की बायरन बे रेलरोड कंपनी ने दुनिया की पहली सौर ऊर्जा से चलने वाली ट्रेन बनाई है। इससे धुआं नहीं निकलेगा, तारों के जाल की जरूरत नहीं पड़ेगी और कोयले व तेल की गंध तो बिल्कुल नहीं आएगी। यह ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स नॉर्थ कोस्ट पर संचालित हो रही है।
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विश्व की पहली सौर ऊर्जा संचालित ट्रेन के बारे में रोचक तथ्य
-बहु-करोड़पति व्यवसायी ब्रेन फ़्लानेरी इस परियोजना के पीछे के व्यक्ति हैं, जो बायरन बे के क्षेत्र में रिसॉर्ट के मालिक हैं।
-70 टन वजनी इस ट्रेन की छत पर 6.5 किलोवाट का सौर ऊर्जा पैनल लगा है, जो एक बड़ी लिथियम बैटरी को चार्ज करता है ।
-इसमें दो गाड़ियां हैं, जो 100 से अधिक यात्रियों को ले जा सकती हैं और एक घंटे में एक राउंड-ट्रिप यात्रा पूरी करती हैं।
-आपातकालीन ऊर्जा आवश्यकता के लिए रेलवे स्टेशन छत पर सौर पैनलों से सुसज्जित हैं ।
-प्रोजेक्ट की पूरी लागत करीब 4 मिलियन डॉलर थी।
-पहले ट्रेन में दो डीजल इंजन होते थे (1949 में निर्मित 600 क्लास रेलकार) जिन्हें लिथियम बैटरी और एक इलेक्ट्रिक मोटर से बदल दिया गया है ।
-ट्रेन पूरी तरह से स्वच्छ ऊर्जा पर चलती है - इसकी छत पर और पिट स्टॉप पर सौर पैनल इसके 3 किलोमीटर (1.9 मील) मार्ग के लिए आवश्यक सभी बिजली प्रदान करते हैं ।
-ट्रेनें नॉर्थ बीच स्टेशन और बायरन बीच स्टेशन के बीच चलती हैं। इसलिए, इसमें बाइक, प्रैम और सर्फ़बोर्ड के लिए जगह है , जिसे निःशुल्क ले जाया जा सकता है।
-एक सवारी लागत : 0-5 वर्ष की आयु के यात्री के लिए निःशुल्क है ; 6-13 वर्ष की आयु $2 है और 14 वर्ष से अधिक आयु के लिए $3 है।
सौर ऊर्जा से चलने वाली ट्रेन हमारे ऊर्जा संकट और जलवायु परिवर्तन का समाधान है, क्योंकि बिजली पैदा करते समय यह कोई उत्सर्जन नहीं छोड़ती है। इस परियोजना से पता चलता है कि सौर ऊर्जा (नवीकरणीय ऊर्जा) जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा संकट से लड़ने में प्रभावी उपकरणों में से एक है।
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