क्या आप जीरो रुपये नोट के बारे में जानते हैं? भारत में यह कब छापा गया और क्यों?

Nov 29, 2022, 16:24 IST

क्या आप जीरो रुपये के नोट के बारे में जानते हैं? क्या आपने जीरो रुपये का नोट भारत में देखा है? यह कब छापा गया और क्यों? ऐसा कहा जाता है कि भारत में जीरो रुपये के नोट एक दशक से अधिक समय से चल रहे हैं. आइये इस लेख के माध्यम से जीरो रुपये नोट के बारे में अध्ययन करते हैं.

Zero Rupee Note
Zero Rupee Note

भारत में हमारे पास 5 रुपये, 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये, 500 रुपये और 2000 रुपये जैसे विभिन्न मूल्यवर्ग के नोट हैं, लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में एक ज़ीरो रुपये का नोट भी है. जी हाँ, आपने सही पढ़ा है, कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में ज़ीरो रुपये के नोट एक दशक से अधिक समय से चल रहे हैं.

जैसा की हम जानते हैं कि आरबीआई (RBI) भारत में मुद्रा नोट छापता है लेकिन शून्य या ज़ीरो रुपये के नोट आरबीआई द्वारा मुद्रित नहीं हुए. यानी RBI ने ज़ीरो रुपये के नोट नहीं छापे. जीरो रुपये का नोट, इसकी खासियत, यह कैसा दिखता है, कब छापा गया और क्यों. आइए इसके बारे में जानते हैं.

जीरो रूपये नोट के बारे में 

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ज़ीरो रुपये का नोट पहली बार 2007 में 5th Pillar नाम के एक NGO ने शुरू किया था. 5th Pillar तमिलनाडु का एक NGO है और इसने लाखों ज़ीरो रुपये के नोट छापे हैं. दिलचस्प बात यह है कि ये नोट हिंदी, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम जैसी विभिन्न भाषाओं में छपे थे.

यह नोट करप्शन के खिलाफ असहयोग का एक अहिंसक हथियार है. करप्शन को रोकने के लिए इस NGO ने जीरो रुपये के नोट को शुरू किया था. 

जीरो रुपये का नोट छापने के पीछे NGO का उद्देश्य 

भारत में रिश्वतखोरी एक अपराध है जिसके लिए सस्पेंशन और जेल की सजा का प्रावधान है. जब लोग भ्रष्ट अधिकारियों को घूस के बदले ज़ीरो रुपये का नोट दिखाने का साहस करते हैं तो ये लोग डर जाते हैं. 

दरअसल NGO का उद्देश्य रिश्वतखोरी और व्यवस्थित राजनीतिक भ्रष्टाचार से निपटना था जिसके कारण NGO ने घूस मांगने वालों के खिलाफ पैसों की जगह यह ज़ीरो रुपये का नोट देकर भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने का अभियान चलाया यानी जब भी कोई भ्रष्ट सरकारी अधिकारी रिश्वत मांगता है तो NGO ने नागरिकों को ज़ीरो रुपये के नोट का भुगतान करने के लिए प्रोत्साहित किया.

जीरो रुपये का नोट कैसा दिखता है और इस पर क्या लिखा है?

आम नोटों की तरह इस नोट पर भी  राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का चित्र छपा हुआ है. 

साथ ही इस नोट पर भ्रष्टाचार को खत्म करने की लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए कुछ स्लोगन लिखे गये हैं. जो की निम्नलिखित हैं. 

  •  'भ्रष्टाचार खत्म करो'
  • 'अगर कोई रिश्वत मांगे तो इस नोट को दें और मामले को हमें बताएं'
  • 'ना लेने की ना देने की कसम खाते हैं'

नोट के नीचे बिल्कुल दाई तरफ संस्था का फोन नंबर और ईमेल आईडी छपा हुआ है.

जीरो रुपये नोट का वितरण कहां-कहां किया गया?

रेलवे स्टेशनों, बस स्टेशनों और बाज़ारों में 5th Pillar स्वयंसेवकों द्वारा रिश्वत के बारे में जागरूकता बढ़ाने और जनता को उनके अधिकारों और वैकल्पिक समाधानों की याद दिलाने के लिए ज़ीरो रुपये के नोट का वितरण किया गया.

शादी समारोहों, जन्मदिन पार्टियों और सामाजिक समारोहों के दौरान विवाह हॉल के प्रवेश द्वार पर सूचना डेस्क स्थापित किए गए और ज़ीरो रुपये के नोट वितरित किए गए और सूचना पुस्तिकाएं और पर्चे भी वितरित किए गए थे.

क्या है 5th Pillar 

 5th Pillar एक गैर-लाभकारी संगठन है जिसका उद्देश्य समाज के सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए भारत के प्रत्येक नागरिक को प्रोत्साहित करना, सक्षम करना और सशक्त बनाना है.विजय आनंद, 5th Pillar के सह-संस्थापक और अध्यक्ष हैं

5th Pillar का उद्देश्य 

5th Pillar का मानना है कि समाज के नागरिक राष्ट्र की नींव होते हैं. 5th Pillar का मुख्य उद्देश्य अगली पीढ़ी के युवाओं को सभी पहलुओं में कर्तव्यपरायण और देशभक्त नागरिक बनने के लिए तैयार करके लोकतंत्र को मजबूत करना है. साथ ही यातायात नियमों का पालन करना, बेहतर पर्यावरण अनुकूल प्रथाओं का पालन करना, साथी नागरिकों को रिश्वत मुक्त जीवन जीने में मदद करना और इसके लिए उन्हें शिक्षित करना भी 5th Pillar का उद्देश्य है.

5th Pillar के कार्य 

5th Pillar सामाजिक रूप से ज़िम्मेदार व्यक्ति बनने के लिए युवा पीढ़ी को संवेदनशील बनाने के लिए, समाज के हिस्से के रूप में उनके कामकाज को नियंत्रित करने वाले विभिन्न कानूनों के बारे में सूचित करने का काम करता है जिसके लिए  5th Pillar ने 1600 से अधिक स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए हैं ताकि छात्रों को नवीन तरीकों पर सशक्त और प्रशिक्षित किया जा सके. 

5th Pillar की उपलब्धि 

5th Pillar ने जनता तक अपना संदेश पहुंचाने के लिए रचनात्मक तरीकों का उपयोग करने के लिए अशोक फाउंडेशन से नागरिक मीडिया पुरस्कार भी जीता.

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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