इब्सा व ब्रिक देशों का शिखर सम्मेलन
तीन देशों- भारत, ब्राजील व दक्षिण अफ्रीका के शिखर सम्मेलन इब्सा (इंडिया, ब्राजील और साउथ अफ्रीका) तथा चार देशों- ब्राजील, रूस, भारत और चीन- के संगठन ब्रिक का एक दिवसीय सम्मेलन 15 अप्रैल, 2010 को ब्राजील की राजधानी ब्रासीलिया में आयोजित किया गया।
इब्सा सम्मेलन
इब्सा का सम्मेलन चौथा शिखर सम्मेलन था। इसके पहले यह शिखर सम्मेलन ब्रासीलिया, त्श्वाने (दक्षिण अफ्रीका) व नई दिल्ली में आयोजित किए गये थे। इस सम्मेलन में तीनों देशों के शीर्ष नेताओं ने भाग लिया।
कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा
इब्सा सम्मेलन के दौरान तीनों देशों के नेताओं ने कई मुद्दों पर गहराई से मंत्रणा की। सम्मेलन के मुख्य मुद्दों में अफगानिस्तान में भारत की मौजूदगी, ईरान के परमाणु कार्यक्रम, सीमापारीय आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, वहनीय विकास, महिला सशक्तिकरण, मानवाधिकार व दक्षिण-दक्षिण सहयोग पर विस्तार से चर्चा की गई। अफगानिस्तान के विकास में जिस तरह से हाल के वर्र्षों में भारत ने योगदान दिया है उसकी सदस्य देशों ने काफी सराहना की। दूसरी ओर ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए अमेरिका द्वारा उसपर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे पर सदस्य देशों ने असहमति जताई। संयुक्त राष्ट्र संघ में सुधार का मुद्दा भी सम्मेलन में जोर-शोर से उठाया गया। विश्व व्यापार संगठन में सहयोग पर सदस्य देश राजी हुए जबकि संयुक्त रूप से दो उपग्रहों के विकास का फैसला भी लिया गया। इन उपग्रहों का उपयोग कृषि विकास के अलावा जलवायु अध्ययन के लिए भी किया जाएगा।
इब्सा का परिचय
इब्सा का गठन 1-3 जून, 2003 को जी-8 सम्मेलन के दौरान एवियान, फ्रांस में की गई थी तथा इसका औपचारिक रूप ब्राजील की राजधानी ब्राजीलिया में 6 जून, 2003 को गई थी। इस बैठक में भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के विदेश मंत्रियों ने भाग लिया था। यह संगठन तीसरी दुनिया के तीन सबसे बड़े अग्रणी विकासशील देशों का संगठन है, जो तीन महाद्वीपों (एशिया, अफ्रीका तथा लातीन अमेरिका) का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस दृष्टि से अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर तीसरी दुनिया के देशों के दृष्टिकोण तो प्रस्तुत करने के लिए इब्सा एक प्रभावशाली मंच के रूप में उभर रहा है।
इब्सा की स्थापना का मुख्य उद्देश्य दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देना तथा अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर सामूहिक राय बनाना। इसकी स्थापना का एक अन्य उद्देश्य तीन देशों के बीच आपसी व्यापार को बढ़ावा देना है।
ब्रिक शिखर सम्मेलन
ब्रिक शिखर सम्मेलन भी ब्रासीलिया में आयोजित किया गया। इसमें भारत, ब्राजील, रूस व चीन ने भाग लिया। चार देशों के संगठन का यह दूसरा शिखर सम्मेलन था। पहला शिखर सम्मेलन रूस में हुआ था। ब्रिक चार बड़ी उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं का समूह है, जिनका सकल घरेलू उत्पाद विश्व के कुल सकल घरेलू उत्पाद का एक-चौथाई है। इस तरह से आने वाले वक्त में यह संगठन विश्व परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाला है। इसी तथ्य को ध्यान में रख कर ही इन देशों ने इस संगठन का गठन किया था।
ब्रिक घोषणापत्र
ब्रिक घोषणापत्र में संयुक्त राष्ट्र को अधिक प्रभावी बनाने के लिए व्यापक सुधार पर जोर दिया गया। हालांकि भारत व ब्राजील को सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बनाये जाने के मुद्दे पर चीन व रूस ने चुप्पी ही साधे रखी। सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सुरक्षा परिषद के स्थाई व अस्थाई दोनों ही तरह के सदस्यों की संख्या के विस्तार के साथ-साथ इसकी कार्यप्रणाली में भी सुधार का आह्वान किया। जलवायु परिवर्तन के संबंध में होने वाली बातचीत को अधिक समावेशी व पारदर्शी बनाने की बात भी घोषणापत्र में कही गई। इस संबंध में मनमोहन सिंह ने कोपेनहेगन सम्मेलन, क्योटो संधि व बाली रोड मैप की भावनाओं के अनुरूप दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया।
सम्मेलन में भारत, रूस, चीन और ब्राजील को समृद्ध बताते हुए मनमोहन सिंह ने चारों देशों के बीच ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा के क्षेत्रों में निकट सहयोग का आह्वान किया।
ईरान के मुद्दे पर ब्रिक देश अमेरिका के रुख से सहमति नहीं थे। उनके अनुसार ईरान पर प्रतिबंध लगाकर इस समस्या का हल नहीं खोजा जा सकता है बल्कि इसके लिए कूटनीति का सहारा लेना होगा। हालांकि सदस्य देशों ने यह भी स्पष्ट किया कि ईरान को परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण उपयोग करने का पूरा हक है।
ब्रिक देशों का परिचय
ब्रिक समूह के देश में केवल विश्व की लगभग आधी जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं, बल्कि विश्व का 25 फीसदी भू-भाग इनके अंतर्गत आता है। ब्रिक देशों का विश्व के सकल घरेलू उत्पाद में महत्वपूर्ण योगदान है। ब्रिक देश दुनिया के सबसे बड़े उत्पादन क्षेत्र और बाजार का प्रतिनिधित्व करते हैं। वैश्विक आर्थिक संकट के बावजूद भारत और चीन जैसे देशों के सकल घरेलू उत्पाद विकास दर क्रमश: 4 व 6 फीसदी रही। वहीं पश्चिम के कई देश अभी भी आर्थिक संकट के भंवर से निकलने में नाकामयाब हैं। इन देशों के आर्थिक महत्व को इस तथ्य से समझा जा सकता है कि 2003 से अब तक ब्रिक देशों के कारोबार में लगभग 500 फीसदी की वृद्धि हुआ है। इस काल के दौरान दुनिया की आधी आर्थिक तरक्की इन्हीं देशों में हुई है।
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