एससीओ का शिखर सम्मेलन
शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाईजेशन अर्थात शंघाई सहयोग संगठन का वार्षिक शिखर सम्मेलन ताशकंद, उज्बेकिस्तान में 11 जून, 2010 को ऐसे वक्त में सम्पन्न हुआ जब सदस्य देश किर्गिजिस्तान में भारी पैमाने पर जातीय हिंसा का तांडव जारी था। इस स्थिति को देखते हुए एससीओ के सदस्य देशों ने वहां हस्तक्षेप करने की बात कही जिससे वहां एक बार फिर से स्थिरता का वातावरण बन सके।
गौरतलब है कि किर्गिजिस्तान में किर्गिज व उज्बेक जातीय समूहों में हुई व्यापक हिंसा में काफी लोगों की मौत हो गई थी। यहां हिंसा किर्गिजिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर ओश में हुई। ओश पूर्व राष्ट्रपति कुरमानबेक बकीयेव की शक्ति का प्रमुख केंद्र है जिनके अप्रैल 2010 में अपदस्थ हो जाने की वजह से देश में व्यापक पैमाने पर मारकाट हुई। बाद में वहां की अंतरिम सरकार ने इमरजेंसी की घोषणा कर दी और हिंसा पर काबू पाने के लिए सेना तैनात कर दी।
शिखर सम्मेलन की घोषणा
एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान जारी किए गए घोषणापत्र में किर्गिजिस्तान में स्थिति को सामान्य बनाने में हर प्रकार की सहायता देने की बात कही गई। सम्मेलन ने वहां एक मिशन भेजने की बात भी कही जो वहां स्थाई रूप से स्थिति पर निगाह रखेगा और हिंसाग्रस्त लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करेगा।
अफगानिस्तान में स्थिति एससीओ के एजेंडे में काफी ऊपर है।
नई सदस्यता के लिए नियम
एससीओ में वर्तमान में छह सदस्य देश- चीन, कजाखस्तान, किर्गिजिस्तान, उज्बेकिस्तान, रूस, व ताजिकिस्तान शामिल हैं। शिखर सम्मेलन के दौरान नए सदस्य देशों को सदस्यता प्रदान करने के लिए कुछ विशेष नियम व कानून की घोषणा की गई। इनके नियम के अनुसार सदस्य बनने के लिए किसी देश एशिया-प्रशांत क्षेत्र का होना चाहिए, एससीओ सदस्य देशों के साथ उसके कूटनीतिक संबंध होने जरूरी हैं, उसे संगठन में पर्यवेक्षक या डायलॉग पार्टनर की हैसियत हासिल होनी चाहिए और उसका संगठन के सदस्य देशों के साथ अच्छे व्यापारिक संबंध होने चाहिए। उन देशों को सदस्यता नहीं प्रदान की जाएगी जिनपर संयुक्त राष्ट्र संघ ने प्रतिबंध लगा रखे हों या जिसका किसी देश के साथ सैन्य संघर्ष चल रहा हो। इसी आधार पर ईरान को इस संगठन की सदस्यता नहीं प्रदान की जा रही है जबकि उसे पर्यवेक्षक की हैसियत हासिल है। गौरतलब है कि ईरान पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने परमाणु मुद्दे को लेकर रोक लगा रखी है।
एससीओ व भारत
एसीसीओ में भारत को पर्यवेक्षक का दर्जा हासिल है। भारत के अतिरिक्त पाकिस्तान, मंगोलिया और ईरान को भी पर्यवेक्षक का दर्जा हासिल है। पिछले एससीओ सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने शिरकत की थी, जबकि इस बार भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री एस. एम. कृष्णा ने किया। भविष्य में भारत व पाकिस्तान इस संगठन के सदस्य बनने के प्रबल दावेदार हैं। भारत का एससीओ के सदस्य देशों के साथ काफी मधुर संबंध हैं और उसके आर्थिक संबंध भी यहां के देशों के साथ काफी ज्यादा मजबूत हैं जिसकी वजह से भारत इसका सदस्य बनने का इच्छुक है। अभी हाल ही में भारत ने तुर्कमेनिस्तान के साथ प्राकृतिक गैस सप्लाई के लिए समझौता किया है। इस क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधन प्रचुर मात्रा में मौजूद हैं जिसका लाभ भारत को मिल सकता है।
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