कृत्रिम त्वचा का विकास
प्राकृतिक त्वचा की भांति ही संवेदनशील:
सं. रा. अमेरिका में बर्कले और स्टैनफोर्ड यूनीवर्सिटियों के वैज्ञानिकों ने ऐसी त्वचा के विकास में सफलता प्राप्त की है जो प्राकृतिक मानव त्वचा की भांति ही संवेदनशील होने के साथ-साथ काफी किफायती भी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह कृत्रिम त्वचा इतनी संवेदनशील होगी कि इससे रोबोट और कृत्रिम हाथ-पैर, बनावट या तापमान में किसी तरह के अंतर के बखूबी पहचान सकेगे।
किस तरह से बनाई गई कृत्रिम त्वचा?
कृत्रिम त्वचा में दबावों को महसूस करने वाले संसूचक अर्थात सेंसर लगे हुए हैं जो फ्लैक्सिबल रबड़ पट्टियों के ऊपर या उनके भीतर लगे होते हैं। इन रबड़ की पट्टियों को कृत्रिम हाथ-पैरों या रोबोट द्वारा चलने वाले उपकरणों पर लपेटा जा सकता है। इसकी खास बात यह है कि ये सेंसर दबावों में किसी भी तरह के परिवर्तनों को विद्युत सिग्नल्स में परिवर्तित कर देते हैं।
हालांकि दोनों यूनीवर्सिटियों की टीमों ने कृत्रिम त्वचा को बनाने के लिए थोड़ी सी अलग टेक्नोलॉजी का प्रयाोग किया है। बर्कले यूनीवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने रबड़ की एक बहुत पतली परत के नीचे आड़े-तिरछे अत्यंत सूक्ष्म तारों को बिछाया। ये परत ट्रांजिस्टर के जैसी होती है जिससे विद्युत का प्रवाह हो सकता है और वो सतह के ऊपर के दबाव पर निर्भर करेगा। दबाव अधिक होने पर विद्युत प्रवाह अधिक होगा। दूसरी ओर स्टैनफोर्ड यूनीवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने रबड़ की पट्टी का ही इस्तेमाल किया।
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