जलीय विभंजन (हाइड्रोलिक फ्रेक्चरिंग)

एक “दबाव वाले द्रव्य (pressurized fluid.)” द्वारा एक चट्टानी परत में दरार को चौड़ा करना या फैलाना जलीय विभंजन है। निश्चित छेद और बांध कुछ प्राकृतिक जलीय विभंजन के कुछ उदाहरण हैं और ये नलिका का निर्माण कर सकते हैं जिसके साथ चट्टानों के स्त्रोतों से गैस ,पेट्रोलियम और जल चट्टानों में चला जाता हैं। सामान्यत: जल विभंजन को फ्रेकिंग के रूप में जाना जाता है, जो एक तकनीक है जिसमे पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस का प्रय़ोग (शेल गैस, तंग गैस और कोयले की सतही गैस सहित) फ्रेकिंग के लिए किया जाता है।

Dec 23, 2015, 17:22 IST

जलीय विभंजन (जलीय दरार, जलीय हाइड्रो रैकिंग, फ्रेकिंग) एक बेहतर उर्जा  वाली तकनीक है जिसमें चट्टानों को तरल या द्रव्य द्वारा खंडित किया जाता है। इस प्रक्रिया में गहरी चट्टानों में दरार पैदा करने के लिए वेलबोर में 'फ्रेकिंग द्रव' के उच्च दवाब वाले इंजेक्शन (मुख्य रूप से पानी, युक्त रेत और अन्य सामाग्री के साथ एजेंटों के बीच बढ़िया तालमेल की सहायता से) का प्रयोग किया जाता है। इसके प्रयोग से प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम, और लवणीय जल अधिक स्वतंत्र रूप से प्रवाहित होते है। जब कुओं में से जलीय द्रव के दबाव को हटा दिया जाता है तो जलीय विभंजन के छोटे कण दरार को खुला रखने में सफल हो जाते है।

जलीय विभंजन का इस्तेमाल पहली बार 1947 में हुआ था लेकिन आधुनिक विभंजन तकनीक को क्षैतिज सतही जल विभंजन कहा जाता है जिसने शेल गैस के निष्कर्षण को किफायती बना दिया है। इसका प्रयोग पहली बार टेक्सास के बार्नेट शेल में 1998 में किया गया था। एक अत्यधिक दबाव जलीय विभंजन द्रव के इंजेक्शन से प्राप्त शक्ति या ऊर्जा, चट्टान में नये मार्ग बनाता है जो निष्कर्षण (निकासी) दर और हाइड्रोकार्बन की मुख्य बहाली में वृद्धि कर सकता है।

जलीय विभंजन के जन्मदाताओं का मानना है कि इस प्रक्रिया के माध्यम से बहुत बड़ी मात्रा में आर्थिक लाभ अर्जित किये जा सकते हैं। जबकि इसके विरोधकर्ताओं का मानना है कि इस प्रक्रिया से पर्यावरण को खतरा होगा और भूमिगत जल का प्रदूषण, हवा की गुणवत्ता का जोखिम, सतह में गैसों और जलीय विभंजन रसायनों का प्रवास, प्रवाह वापसी और गिरावट से सतही संदूषण और इनसे होने वाले स्वास्थ्य प्रभाव शामिल हैं भूमिगत जल का प्रदूषण, हवा की गुणवत्ता का जोखिम, सतह में गैसों और जलीय विभंजन रसायनों का प्रवास, प्रवाह वापसी और गिरावट से सतही संदूषण और इनसे होने वाले स्वास्थ्य प्रभाव शामिल हैं । इन्हीं कारणों से जलीय विभंजन पर कुछ देशों ने प्रतिबंध या इसे निलंबित करने तक का मन बना लिया है।

क्रियाविधि या तंत्र:

दूषितकरण

इस प्रक्रिया के दौरान मीथेन गैस और जहरीले रसायन, बाहर  निकलकर आस-पास के भूजल को दूषित करते हैं।

मीथेन की सांद्रता, उन कुओं में 17 गुना अधिक होती है जो विभंजन के निकटवर्ती स्थानों के आसपास होते हैं। अधिक गहराई वाली चट्टानों में दरारों पर अत्यधिक वजन वाली चट्टानी परतों और संयोजन के गठन के कारण अक्सर दवाब बढ जाता है। यह अवरोधी प्रक्रिया "लचीले" विभंजन में विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है जिसमें इस दबाव को दूर करने के लिए दरार वाली दीवारों की आवश्यकता होती है। विभंजन तब होता है जब चट्टान के भीतर तरल पदार्थ के दबाव से प्रभावी बल को दूर किया जाता है। न्यूनतम मुख्य बल लचीला हो जाता है और पदार्थ की तन्य शक्ति बढ जाती है। इस तरह का विभंजन गठन आम तौर पर समतलीय लम्बवत से न्यूनतम दवाब के उन्मुख होता है और इस कारण से कुओं में जलीय विभंजन का प्रयोग, दवाब उन्मुखीकरण के निर्धारण के लिए किया जाता है।

वैज्ञानिक की मुख्य चिंता इस बात को लेकर हैं कि विभंजन में प्रयुक्त रसायनों से एक खतरा यह हो सकता है कि ये प्रयुक्त रसायन भूमिगत को बहुत बुरी तरह से प्रदूषित कर सकते हैं ।

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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