टीचिंग वर्ल्ड

दुनिया भर में जब हर सेक्टर में मंदी का रोना रोया जा रहा था, एक क्षेत्र ऐसा भी रहा है जिसमें जीनियस लोगों की बड़े पैमाने पर जरूरत लगातार बनी रही। यह क्षेत्र पढऩे-पढ़ाने यानी अध्यापन के क्षेत्र से जुड़ा हुआ है।

Jul 27, 2011, 13:56 IST

टीचिंग वर्ल्ड

दुनिया भर में जब हर सेक्टर में मंदी का रोना रोया जा रहा था, एक क्षेत्र ऐसा भी रहा है जिसमें जीनियस लोगों की बड़े पैमाने पर जरूरत लगातार बनी रही। यह क्षेत्र पढऩे-पढ़ाने यानी अध्यापन के क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। खास बात यह है कि पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में तनख्वाह भी काफी बढ़ गई है। यही कारण है कि प्रबंधन तथा इंजीनियरिंग में उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाले युवा भी इस क्षेत्र से जुडऩे में दिलचस्पी लेने लगे हैं। एजुकेशन सेक्टर से उनके जुडऩे का एक बड़ा कारण इसका सदाबहार होना भी है, जिस पर कभी किसी आर्थिक मंदी की छाया नहीं पडऩे वाली।


एंट्री है आसान

एजुकेशन सेक्टर में आप अपनी योग्यता और प्रतिभा के अनुसार प्राइमरी से लेकर यूनिवर्सिटी और आईआईटी या आईआईएम लेवल पर अध्यापक बन सकते हैं और भावी कर्णधारों को सही राह दिखाकर समाज और देश को मजबूती प्रदान कर सकते हैं।

भारत में प्राथमिक, माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक स्तर पर पर्याप्त शिक्षा व्यवस्था और गुणवत्ता की जरूरत लगातार महसूस की जा रही है। इसके लिए आमूलचूल बदलाव भी किए जा रहे हैं। केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा मानव संसाधन के विकास हेतु नवीन नीतियों के क्रियान्वयन की दिशा में उठाए गए कदमों को देखते हुए भविष्य में बड़े पैमाने पर प्रशिक्षित शिक्षकों की आवश्यकता होगी। इस कमी से निपटने के लिए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय, नई दिल्ली ने केंद्र तथा राज्य सरकारों को शिक्षकों के खाली पदों को भरने तथा नवीन पदों के सृजन का सुझाव दिया है। एक आंकलन के अनुसार अगले पांच वर्षों में सरकारी और गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं में प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक क्षेत्रों में लगभग 10 लाख नवीन पदों का सृजन होना है। इसमें जनवरी 2010 के दूसरे सप्ताह में केंद्र में संशोधित योजना आई.सी.टी. योजना के तहत मंजूर 1.08 लाख माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक सरकारी एवं वित्तीय सहायता प्राप्त विद्यालयों में आई.सी.टी. अध्यापकों के लगभग 5 लाख पद शामिल नहीं हैं। अगर यह संख्या भी शामिल कर लें तो यह आंकड़ा 15 लाख के भी ऊपर पहुंच जाता है। जाहिर है पढऩे-पढ़ाने में रुचि रखने वालों के लिए यह क्षेत्र आने वाले समय में सबसे विशाल रोजगार नियोक्ता क्षेत्र होगा।

यहां आवश्यकता इस बात की है कि भविष्य को ध्यान में रखकर अपनी क्षमताओं, शैक्षिक उपलब्धियों के आधार पर भविष्य हेतु रणनीति बनाकर उस पर अमल किया जाए तो सफलता की संभावनाएं काफी बढ़ जाएंगी। इस सेक्टर की महत्ता को समझते हुए सरकार भी अब भारत को एजुकेशन हब बनाने का सपना देख रही है। इसी के तहत आने वाले वर्षो में नए आईआईटी, आईआईएम सरीखे इंस्टीट्यूट्स अस्तित्व में आएंगे। वैसे, स्कूल-कॉलेज, यूनिवर्सिटीज, स्किल डेवलपमेंट सेंटर्स आदि की संख्या भी बढऩे की उम्मीद है। दरअसल, जिस रफ्तार से देश के एजुकेशन सिस्टम की कायापलट करने की तैयारी हो रही है, उससे इस सेक्टर में बड़े पैमाने पर लोगों को नौकरियां मिल सकती हैं।


कोर्स के प्रकार

टीचर बनने के लिए किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से टीचर्स ट्रेनिंग लेना अनिवार्य शर्त है। आमतौर पर टीचर्स ट्रेनिंग चार प्रकार की होती हैं- नर्सरी टीचर्स ट्रेनिंग, टीचर्स ट्रेनिंग सर्टिफिकेट यानी टीटीसी, बीएड और नेट के माध्यम से भी आप टीचर बन सकते हैं। नर्सरी और टीटीसी कोर्स में प्रवेश के लिए किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से बारहवीं उत्तीर्ण होना जरूरी है। बीएड के लिए ग्रेजुएशन तथा नेट या डॉक्टरेट डिग्री के लिए किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय या संस्थान से पोस्ट ग्रेजुएशन अनिवार्य शर्त है।

सर्वाधिक मनपसंद कोर्स में से एक कोर्स है बीएड, जिसमें ग्रेजुएशन में प्राप्त अंकों के आधार पर या प्रवेश परीक्षा के आधार पर प्रवेश मिलता है। वैसे, अन्य कोर्र्सों में भी इसी तरह की प्रवेश-प्रक्रिया अपनाई जाती है।आमतौर पर बीएड प्रवेश परीक्षा में टीचिंग एप्टीट्यूड, जनरल अवेयरनेस, नॉलेज एप्टीट्यूट तथा प्रॉब्लम बेस्ड ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न ही पूछे जाते हैं। कहीं-कहीं ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्नों के साथ-साथ डिस्क्रिप्टिव टाइप प्रश्न भी पूछे जाते हैं। जो शिक्षक सेवारत हैं और टीचिंग से संबंधित कोर्स करना चाहते हैं, उनके लिए डिस्टेंस लर्निग से कोर्स करना एक बेहतर विकल्प माना जाता है।


संभावनाएं
भारत सरकार द्वारा 16 सेंट्रल यूनिवर्सिटी, 370 कॉलेज, आठ इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी), सात इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम), 10 एनआईटी, 20 इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, पांच इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन ऐंड रिसर्च (आईआईएसईआर) और 50 ट्रेनिंग व रिसर्च सेंटर खोलने के लिए 306.82 अरब रुपये खर्च करने की योजना है। यदि नौकरियों की संभावना की बात करें, तो इस समय यह लोगों का पसंदीदा सेक्टर है। सरकारी क्षेत्र में योग्य टीचरों की हमेशा डिमांड बनी रहती है। विदेश में भी भारतीय साइंस टीचर डिमांड में हैं। यदि आप इससे संबंधित कोर्स कर लेते हैं, तो निम्नलिखित क्षेत्रों में नौकरियां तलाश कर सकते हैं :

  • प्ले स्कूल
  • नर्सरी स्कूल
  • प्राइमरी या एलिमेंट्री स्कूल
  • सेकेंडरी स्कूल
  • कॉलेज व यूनिवर्सिटीज
  • एजुकेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट
  • स्पेशल स्कूल
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