दिल्ली का लाल किला : मुगल साम्राज्य का गौरव

यमुना नदी के दाएँ किनारे पर स्थित दिल्ली के प्रसिद्ध लाल किले का निर्माण सन् 1639 में प्रारंभ किया गया था और इसे पूरा करने में 9 वर्ष लगे। दिल्ली के लाल किले की दीवारों, द्वारों और कुछ अन्य संरचनाओं का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है, इसीलिए इसे 'लाल किला' कहा जाता है | वर्ष 2007 में युनेस्को द्वारा दिल्ली के लाल किले को ‘विश्व विरासत स्थल’ का दर्जा प्रदान किया गया |

Mar 8, 2016, 17:15 IST

यमुना नदी के दाएँ किनारे पर स्थित दिल्ली के प्रसिद्ध लाल किले का निर्माण सन् 1639 में प्रारंभ किया गया था और इसे पूरा करने में 9 वर्ष लगे। दिल्ली के लाल किले की दीवारों, द्वारों और कुछ अन्य संरचनाओं का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है, इसीलिए इसे 'लाल किला' कहा जाता है | वर्ष 2007 में युनेस्को द्वारा दिल्ली के लाल किले को ‘विश्व विरासत स्थल’ का दर्जा प्रदान किया गया |

दिल्ली के लाल किले से संबन्धित तथ्य:

  1. सन् 1638 में शाहजहाँ (1628-58ई.) ने अपनी राजधानी आगरा से दिल्ली स्थानान्तरित की और उसी समय शाहजहाँनाबाद की स्थापना की थी, जो दिल्ली का सातवां नगर है। इसका प्रसिद्ध नगर दुर्ग ‘लाल किला’ है, जो नगर के उत्तरी किनारे पर स्‍थित है।
  2. दिल्ली का लाल किला अनगढ़े पत्थर की दीवार से घिरा हुआ है, जिस पर बीच बीच में बुर्ज, द्वार और विकेट बने हुए हैं।
  3. इसके चौदह दरवाजों में से मोरी गेट, अजमेरी गेट, तुर्कमान गेट, कश्मीरी गेट और दिल्ली गेट सबसे महत्वपूर्ण हैं। इनमें से कुछ पहले ही ध्वस्त हो चुके हैं।
  4. दिल्ली का लाल किला आगरे के लाल किले से इस मायने में भिन्न है कि इसे एक सुनियोजित ढंग से बनाया गया है और यह एक ही व्यक्ति का कार्य था।
  5. दिल्ली का लाल किला 254.67 एकड़ (103.06 हे.) में विस्तृत है और 2.41 किमी. की रक्षा प्राचीर से घिरा हुआ है |  
  6. ताजमहल के वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी ने ही दिल्ली के लाल किले का भी डिजायन तैयार किया था |
  7. दिल्ली का लाल किला एक असाधारण अष्टकोण के आकार का है, जिसके पूर्व और पश्‍चिम में दो बड़े-बड़े पार्श्‍व और दो मुख्य द्वार हैं | इनमें से एक द्वार  पश्‍चिम में और दूसरा द्वार दक्षिण में स्थित है, जिन्हें क्रमश: 'लाहौरी गेट' और 'दिल्ली गेट' कहा जाता है।
  8. हयात बख्श बाग (जीवन देने वाला बाग) के मध्य में स्थित तालाब के मध्य भाग में लाल पत्थर का मंडप है, जिसे ‘जफर महल’ कहते हैं और इसे लगभग सन् 1842  में बहादुरशाह द्वितीय द्वारा बनवाया गया था।
  9. दिल्ली के लाल किले की दीवारों, द्वारों और कुछ अन्य संरचनाओं का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है लेकिन महलों में संगमरमर का अधिक प्रयोग किया गया है।
  10. किले के अंदर स्थित ‘मोती मस्जिद’ का निर्माण बाद में औरंगजेब (1658-1707 ई.) अपनी निजी मस्जिद के रूप में कराया था |
  11. ‘दीवाने-ए-आम’ के पीछे लेकिन महल से पृथक रंग महल (चित्रित महल) था, जिसे इसकी भीतरी रंगीन सजावट के कारण ऐसा नाम दिया गया था।
  12. मेहराबदार तोरणपथ, जिसे ‘छत्ताचौक’ कहते हैं, से होकर गुजरने के बाद पश्‍चिमी द्वार से नौबत-या नक्कार खाना (ड्रम-हाउस) पहुंचा जाता है जहां दिन में पांच बार संगीत बजता था और जो दीवाने-ए-आम में प्रवेश के लिए प्रवेश द्वार था। इसकी ऊपरी मंजिल में आजकल ‘इण्डियन वॉर मेमोरियल म्यूजियम’ है।
  13. ‘दीवाने-ए-आम’ (आम जनता के लिए हॉल) एक आयताकार हॉल है, जिसके तीन लंबे गलियारे हैं और अग्रभाग में नौ मेहराबें हैं। हाल के पिछवाड़े एक शयनकक्ष है जहां संगमरमर की छतरी के नीचे शाही सिंहासन स्थित है |
  14. ‘दीवाने-ए-खास’ (खास लोगों के लिए) अत्यधिक अलंकृत स्तंभ वाला हाल है, जिसकी दांतेदार मेहराब पर टिकी समतल छत है। इसके ऊपरी भाग पर मूलरूप से सोने का मुलम्‍मा चढ़ा हुआ था। कहा जाता है कि इसका प्रसिद्ध मोर वाला सिंहासन (मयूर सिंहासन) संगमरमर की चौकी पर टिका हुआ था जिसे बाद में पारसी आक्रमणकारी  नादिर शाह सन् 1939 में भारत से ले गया था।
  15. ‘तस्‍बीह खाना’ (व्यक्तिगत प्रार्थनाओं के लिए कक्ष) में तीन कमरे हैं, जिसके पीछे ‘ख्वाबगाह’ (सोने का कमरा/शयनकक्ष) है। तस्‍बीहखाना के उत्तरी आवरण पर न्याय के पैमानों (न्‍याय तुला) को दिखाया गया है, जो तारों और बादलों के बीच आए अर्धचन्द्र पर लटके हुए दर्शाए गए हैं।
  16. ‘ख्वाबगाह’ की पूर्वी दीवार के निकट अष्टभुजाकार ‘मुसम्मन-बुर्ज’ है, जहां से सम्राट हर सुबह अपनी प्रजा को दर्शन देते थे। बुर्ज से बाहर को निकली हुई एक छोटी बॉलकनी (छज्जा) सन् 1808 में अकबर शाह द्वारा बनवाई गई थी | यह वही बॉलकनी थी, जहां से सम्राट जॉर्ज और महारानी  मेरी दिसम्बर, 1911 में दिल्ली की जनता के समक्ष प्रस्तुत हुए थे।
  17. ‘मुमताज महल’, जो मूल रूप में शाही हरम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, में आजकल दिल्ली पुरातत्‍व संग्रहालय स्‍थित है।
  18. प्रतिवर्ष दिल्ली के लाल किले की प्राचीर से भारत के प्रधानमंत्री 15 अगस्त के दिन राष्ट्र को संबोधित करते हैं  और लाल किले पर तिरंगे को फहराते हैं |
  19. दिल्ली का लाल किला सूर्योदय से सूर्यास्त तक खुला रहता है और यहाँ का प्रवेश शुल्क भारतीय नागरिक और सार्क देशों (बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, पाकिस्तान, मालदीव और अफगानिस्तान) और बिमस्टेक देशों (बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, थाइलैंड और म्यांमार) के पर्यटकों के लिए 10 रूपए प्रति व्यक्ति और अन्य के लिए 05 अमरीकी डालर या 250 रूपए प्रति व्यक्ति है | लाल किले में 15 वर्ष तक की आयु के बच्चों के लिए प्रवेश नि:शुल्क है|

Image Courtesy: www.columbia.edu

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Education Desk

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