जब तापमान, प्रकाश, या पोषक जैसी स्थिति में प्रवालों पर परिवर्तित होने का दवाब पड़ता है तो वे अपने ऊतकों में रहने वाले सहजीवी शैवालों को त्याग देती हैं जिसके कारण प्रवाल पूरी तरह से विरंजित (पूरी तरह सफेद) हो सकते हैं। प्रवाल विरंजन का कारण गर्म पानी या गर्म तापमान हो सकता है। जब पानी अत्यधिक गर्म होता है तो प्रवाल अपने ऊतकों में रहने वाले सूक्ष्म शैवाल (zooxanthellae) को त्याग देते हैं जिस कारण वे पूरी तरह से प्रवाल विरंजित (पूरी तरह सफेद) हो जाते हैं। यह प्रवाल विरंजन कहलाता है।
जब एक प्रवाल विरंजन होता है तो यह मरता नहीं है अर्थात एक प्रवाल, विरंजन के दौरान भी जीवित रह सकता हैं लेकिन वे अत्यधिक दवाब औऱ मृत्यु के साये में रहते है।
2005 में, अमेरिका ने एक बड़ी विरंजन (ब्लीचिंग) घटना के कारण कैरेबियन सागर में एक साल में ही अपनी आधी प्रवाल भित्तियों को खो दिया था। वर्जिन द्वीप समूह और प्यूर्टो रिको के नजदीक उत्तरी एंटिल्स के आसपास केंद्रित गर्म पानी दक्षिण की ओर फैल गया था। पिछले 20 वर्षों के उपग्रह आंकड़ों की तुलना करने पर यह स्पष्ट होता है कि 2005 की थर्मल दवाब वाली घटना संयुक्त रूप से पिछले 20 वर्षों की तुलना में सबसे बड़ी घटना थी।
सभी विरंजन घटनाएं गर्म पानी के कारण नहीं होती है।
जनवरी 2010 में, फ्लोरिडा में ठंडे पानी का तापमान, प्रवाल विरंजन की घटना मुख्य कारण रहा था जिसके कारण कुछ प्रवालों की मौत हो गयी थी। पानी का तापमान साल के इस समय में होने वाले वाले तापमान की तुलना में 12.06 डिग्री फारेनहाइट गिर गया था। शोधकर्ता इस बात का मूल्यांकन कर रहे हैं कि क्या गर्म पानी की तरह ही (जिससे प्रवाल प्रभावित होते हैं) ठंडे तनाव वाली घटना प्रवालों को बीमारी के लिए अधिक अतिसंवेदनशील क्यों कर रही है।
प्रवाल विरंजन की घटना तब घटित होती है जब प्रवाल समूह और सूक्ष्म शैवाल (zooxanthellae) के बीच संबंध टूट जाते हैं जो प्रवालों को उनका अधिकतर रंग प्रदान करते हैं।
सूक्ष्म शैवाल (zooxanthellae) के बगैर प्रवाल जानवर के ऊतक पारदर्शी हो जाते है और प्रवाल के चमकीले सफेद कंकाल का पता चल जाता है।
प्रवाल जब एक बार विरंजित हो जाते है तो उनको भूख लगना शुरू हो जाती है। हालांकि कुछ प्रवाल खुद खाने के लिए सक्षम हो जाते हैं लेकिन अधिकतर प्रवाल सूक्ष्म शैवाल (zooxanthellae) के बगैर जीवित रहने के लिए संघर्ष करते हैं।
यदि स्थिति सामान्य हो जाती है तो प्रवाल अपने सूक्ष्म शैवाल (zooxanthellae) को हासिल कर अपने सामान्य रंग में लौट आते हैं। हांलाकि इस दवाब से प्रवाल के विकास और प्रजनन में कमी तथा बीमारी की संवेदनशीलता में वृ्द्धि की संभावना रहती है।
यदि दवाब बना रहता है तो प्रक्षालित प्रवाल मर जाते है। वह प्रवाल भित्तियां जिनकी मृत्यु दर अधिक है उन्हें विरंजन के बाद ठीक होने में दशकों लग सकते हैं।
प्रवाल विरंजन के कारण
प्रवाल विरंजन का मुख्य कारण समुद्र के तापमान से उत्पन्न गर्मी का दवाब है। केवल चार सप्ताह के लिए केवल एक ही डिग्री सेल्सियस की तापमान वृद्धि विरंजन घटनाओं को गति प्रदान कर सकती है।
यदि यह तापमान लंबी अवधि तक जारी रहता है (आठ या अधिक सप्ताह) तो प्रवालों का मरना शुरू हो जाता है। पानी का उच्च तापमान क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर भित्तियों को प्रभावित कर सकता है।
अन्य दवाब भी विरंजन का कारण हो सकते हैं। जिसमें ताजे पानी का सैलाब (कम लवणता) और तलछटों या प्रदूषक क्षेत्रों में पानी की मामूली गुणवत्ता शामिल है।
प्रवाल विरंजन, प्रवालों की एक सामान्यीकृत दवाब की प्रतिक्रिया है और इसका कारण जैविक और अजैविक कारकों की संख्या हो सकती हैं, जिसमें शामिल हैं:
- पानी के तापमान में कमी या वृद्धि होना ( आमतौर पर अधिक)।
- अत्यधिक मछली मारने के कारण प्राणीमन्दप्लवक स्तर में गिरावट की वजह से भुखमरी।
- सौर विकिरण में वृद्धि होना।
- पानी रसायन में परिवर्तन (विशेष रूप से अम्लीकरण में) ।
- बढ़ा हुआ अवसादन (गाद अपवाह के कारण)
- जीवाण्विक संक्रमण
- लवणता में परिवर्तन
- तृणनाशक
- कम ज्वार और जोखिम
- साइनाइड द्वारा मछली पकड़ना
- ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र का जल स्तर ऊंचा (वाटसन)
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