जैव विविधता से तात्पर्य किसी क्षैत्र विशेष मे पेड़-पोधो पशु-पक्षियो की प्रचुरता तथा साथ ही सूक्ष्म जीवो व वनस्पतियो के मिट्टी का संबध से है जो किसानो और रोज़गार सुरक्षा के लिए आनुवांशिक महत्व रखते हैं। इन प्राकृतिक संसाधनो की सुरक्षा एंव विकास के लिए प्रयास किये जाने चाहिए। इसको बढ़ाने के लिए इन तक उचित पंहुच व स्थायी रोज़गार के लिए इनका उचित आवंटन किया जाना आवश्यक है ।
फिर भी मिटटी का कटाव और अवनति हमारी जैव विविधता , कृषि परिस्तिथितकीय उत्पादन व्यावस्था और जगंलो मे बहुत ज़्यादा हैं। भूमि सुधार ,क्षैत्रीय बीज और जंगली प्रजातियो मे सुधार हमारी मुख्य फसलो की आनुवांशिक संवेदनशीलता,मछलियो व पशुधन मे बहुत अधिक सुधार लाया है। हाल ही मे जैव विविधतत पर लिए काम करने के लिए बनायी गयी संस्थाओ, खासतौर पर प्लांट वेराईटी प्रेटेक्शन , फारर्मस राईटस ऑथोरटी और नेशनल बायो-डायवर्सिटी बोर्ड, मे कोई भी आपसी तालमेल और समानता नही दिखती।
पौधो की विविधता की सुरक्षा तथा कृषक अधिकार कानून 2001 मे लागू किया गया था। यह कानून किसान के विविध रूपो को अलग-अलग करता है जैसे उत्पादक , संरक्षक और प्रजनक । अनेक रुपो में किसानो के अधिकारो को सुरक्षित करने के लिए विस्तृत निर्देशिका तैयार की जानी चाहिए । यह सुनिश्चित किया जाए कि किसान अपना खुद का बीज रख सकें। किसान अपने वातापरण से भी कुछ लेन-देन कर सके।
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