बिहार के महत्वपूर्ण बौद्ध तीर्थस्थलों का संक्षिप्त विवरण

प्राचीन काल के भारतीय इतिहास के दौरान 1000 वर्षों से भी अधिक समय से बिहार तो भारत में सत्ता, शिक्षण और संस्कृति के केंद्र के रूप में जाना जाता रहा है।  प्राचीन भारत के ज्यादातर शक्तिशाली साम्राज्य इसी इलाके में उदित हुए। यहां हम,  'बिहार के महत्वपूर्ण बौद्ध तीर्थस्थलों का संक्षिप्त विवरण' दे रहे हैं जो बिहार पीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के अलावा अन्य राज्यों की पीएससी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए भी मददगार होंगे।

Dec 5, 2016, 14:25 IST

प्राचीन काल के भारतीय इतिहास के दौरान 1000 वर्षों से भी अधिक समय से बिहार को भारत में सत्ता, शिक्षण और संस्कृति के केंद्र के रूप में जाना जाता रहा है। प्राचीन भारत के ज्यादातर शक्तिशाली साम्राज्य इसी इलाके में उदित हुए जैसे– मगध साम्राज्य (शिशुनाग वंश, नंद वंश, मौर्य वंश, शुंग वंश और कण्व वंश), अंगा (महाजनपद), विदेह (मिथिला) साम्राज्य आदि। यह सनातन धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म के आरंभिक मिथकों एवं प्रसिद्ध व्यक्तियों से संबद्ध है।

Source: www.buddhistplacesinindia.com

यह इलाका भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़ा हुआ है, परिणामस्वरूप यह एक धर्म स्थल बन गया है जिसे बौद्ध सर्किट के नाम से जाना जाता है। यहां हम, 'बिहार के महत्वपूर्ण बौद्ध तीर्थस्थलों का संक्षिप्त विवरण' दे रहे हैं जो बिहार पीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के अलावा अन्य राज्यों की पीएससी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए भी मददगार होंगे।  

विभिन्न बौद्ध संगीतियों के आयोजनस्थल, संरक्षक एवं परिणाम की सूची

बोधगया

1. यह वह स्थान है जहां गौतम बुद्ध को पीपल के पेड़ के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इस पेड़ को ‘बोधी वृक्षकहा जाता है।

2. यह स्थान निरंजना नदी के तट पर बसा है और उस समय इसे उरुवल के नाम से जाना जाता था।  

3. वर्ष 2002 में, यूनेस्को (UNESCO) ने महाबोधी मंदिर (बोध गया) को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था।   

परागबोधी

1. यह वह स्थान है जहां बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त करने से पहले मनुष्यों की पीड़ा का कारण जानने और कष्ट एवं पीड़ा से जीवन को मुक्त करने के लिए संन्यास लिया था।

2. शब्द ‘परागबोधी’ का अर्थ है ' ज्ञान प्राप्ति से पहले’ और यह स्थान प्रतीकात्मक रूप से बिल्कुल कल्पना के जैसा ही है।

3. यह फल्गु नदी के तट पर बोधगया से तीन मील उत्तर– पूर्व में पहाड़ी की चोटी पर स्थित है।

बराबर की गुफाएं

1. यह भारत में मौजूद सबसे पुराने शैलकृत गुफाओं में से एक है जिसे करीब 322–185 ई.पू. में बनाया गया था। 

2. यह बिहार के जहानाबाद जिले के मखदुमपुर प्रखंड के बराबर और नागार्जुनी नाम की जुड़वां पहाड़ियों पर स्थित है। गया से इसकी दूरी करीब 24 km है।

3. मौर्य काल के दौरान बनाई गईं इन गुफाओं में बड़े बौद्ध चैत्य हैं। इनमें स्तूपों के प्रतीक, खुदाई कर बनाई गई हाथी की तस्वीरें, गोलाकार गुंबदनुमा कक्ष के साथ घुमावदार नक्काशी वाले आयताकार मंडप भी हैं।

चंपानगर

1. यह भागलपुर जिले में स्थित है और यह स्थान भगवान बुद्ध के महत्वपूर्ण प्रवचनों और उपदेशों के लिए जाना जाता है। इनमें कंद्रका सुत्त, सोनदंदा सुत्त आदि भी शामिल हैं।   

2. गग्गरा का कमल झील न सिर्फ बौद्धों बल्कि अन्य पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है क्योंकि यह झील यहां उगने वाले खूबसूरत कमल के फूलों के लिए प्रसिद्ध है।

दोना स्तूप

1. इस स्थान के बारे में एक एक लोक कथा  है कि बुद्ध के परिनिर्वाण और दाह संस्कार के बाद हुए विवाद के कारण बुद्ध के चार शिष्यों में उनके नश्वर अस्थियों को  विभाजित किया गया था। 

2. स्तूप पवित्र पात्र के लिए प्रसिद्ध है जो अब घास के टीले में बदल गया है।

3. इस टीले पर एक हिन्दू मंदिर बना हुआ है जिसमें देवी तारा की पूजा की जाती है।  

घोस्रावान (Ghosrawan)

1. यह बिहार राज्य के बिहार शरीफ शहर के पास स्थित है। 

2. यह स्थान भगवान बुद्ध की 10 फील लंबी चमकदार काले पत्थर की मूर्ति की वजह से प्रसिद्ध है ।

3. तेतरवां जो इस स्थान से सिर्फ कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, बौद्ध पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है क्योंकि यहां भगवान बुद्ध और बोधित्सव की मूर्तियों का अद्भुत संग्रह देखने को मिलता है।

गुरपा

1. यह बोध गया से सिर्फ 40 किमी दूर है।

2. एक किंवदंती के अनुसार यह वह स्थान है जहां महाकाश्यप (बुद्ध के उत्तराधिकारी) ने मैत्रेयी का इंतजार किया था।

3. बौद्ध धर्मग्रंथों के अनुसार मैत्रेयी सबसे पहले कुक्कुतपदागिरी गईं और फिर महाकाश्यप को पहाड़ से नीचे ले कर आईं। फिर उनके लिए बुद्ध के कपड़े लाईं और फिर अपनी यात्रा प्रारंभ की। 

हाजीपुर

1. आधुनिक हाजीपुर का प्राचीन नाम उच्चकला था। यह पटना के पास है।

2. यह महत्वपूर्ण बैद्ध स्थलों में से एक है और भगवान बुद्ध के सबसे करीबी शिष्य आनंद के पार्थिव शरीर के लिए प्रख्यात है।   

3. बौद्ध धर्म में इस स्थान का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि भगवान बुद्ध ने स्वयं यहां पर कूला गोपालका सुत्त का प्रवचन दिया था।

प्राचीन भारतीय राजवंश और उनके योगदान का संक्षिप्त विवरण

इंदासला की गुफाएं

1. यह बिहार के राजगीर जिले में स्थित है। 

2. यह स्थान अपने धार्मिक महत्व की वजह से जाना जाता है। क्योंकि यही वह स्थान है जहां भगवान बुद्ध ने सक्का द्वारा पूछे गए आठ प्रश्नों का उत्तर सक्का पन्हा सुत्त प्रवचन के माध्यम से दिया था। 

जेथियन

1. यह वह स्थान है जहां राजा बिम्बिसार ने अपनी पत्नी के साथ भगवान बुद्ध से मुलाकात की थी। 

2. सूपतिथ्था सेतिया पर बने स्तूप के अवशेषों को देखने के लिए बौद्ध पर्यटक यहां आते हैं।

केसरिया स्तूप

1. यह बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में है।

2. केस्सापुत्ता इस स्थान का प्राचीन नाम है क्योंकि इस स्थान पर बुद्ध ने स्थानीय कलमा लोगों के लिए प्रसिद्ध कलमा सुत्त प्रवचन दिया था।

3. भगवान बुद्ध के अंतिम दिनों और जाति एवं धर्म से परे लोगों उनकी मानवीय दृष्टिकोण को दर्शाता छह मंजिली संरचना वाला यह स्तूप दुनिया का सबसे बड़ा स्तूप है।

नालंदा विश्वविद्यालय

1. यह सबसे बड़ा बौद्ध मठ है।  

2. यह पहला भारतीय आवासीय विश्वविद्यालय था जिसकी स्थापना गुप्त वंश के शासक 'कुमार गुप्त' ने किया था।

3. चीनी तीर्थयात्री ह्वेन त्सांग के साहित्यिक कार्यों से इस विश्वविद्यालय के बारे में जानकारी मिलती है।

4. तुर्की के आक्रमणकारी बख्यितार खिलजी ने इसे 1193 ई. में बर्बाद कर दिया था।

5. वर्ष 1960-69 के दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन पटना विश्वविद्यालय के बी.पी. सिंह ने इसकी खुदाई कराई थी।   

राजगीर

1. हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म का यह महत्वपूर्ण धर्मस्थल है।

2. राजगीर का शाब्दिक अर्थ है ‘राजाओं का निवास’।

3. मगध साम्राज्य की यह पहली प्राचीन राजधानी थी लेकिन उदियन के आने के बाद पाटलिपुत्र को मगध की राजधानी बना दिया गया था।  

4. यह शहर हर्यक वंश के राजाओं बिम्बिसार और अजातशत्रु से संबद्ध है।

5. शांति स्तूप, गृद्धकूट पर्वत, प्राचीन खंडहर और सप्तपर्णी गुफाएं न सिर्फ बौद्ध पर्यटकों बल्कि अन्य पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र हैं।

6. बौद्ध भिक्षु महाकाश्यप के साथ अजातशत्रु के संरक्षण में यहां पहला बौद्ध परिषद आयोजित किया गया था जिसमें बौद्ध धर्म के नियमों और भगवान बुद्ध की शिक्षा (सुत्त) को संरक्षित करने का फैसला किया गया था।  

वैशाली

1. दुनिया के पहले गणराज्य लिच्छवी की राजधानी थी वैशाली।

2. यह गणराज्य छठी सदी ई.पू. के आसपास महाजनपद के विज्जियन महासंघ (वृज्जि) का हिस्सा था।

3. अशोक स्तंभ, विशाल किला, संग्रहालय और बावन पोखर मंदिर आकर्षक का केंद्र हैं।

4. इस शहर में भगवान बुद्ध ने अपना अंतिम उपदेश दिया था और अपने संभावित महापरिनिर्वाण की घोषणा की थी।

5. दूसरा बौद्ध परिषद, सबाकामी की अध्यक्षता में राजा कालसोक के संरक्षण में यहीं पर आयोजित किया गया था।

6.  यात्रावृतांतों में चीनी खोजकर्ता फाहियान और ह्वेन त्सांग द्वारा इस शहर का उल्लेख मिलता है। इसका प्रयोग आगे चलकर 1861 में अंग्रेज पुरातत्वविद् अलेक्जेंडर कनिंघम ने किया और बिहार के वैशाली जिले में वर्तमान बसरा गांव के साथ सबसे पहली बार वैशाली की पहचान की।

कुर्किहार

1. इस स्थान पर बौद्ध विहारों के अवशेष है जो अब टिलों में बदल चुके हैं। खुदाई के बाद यहां से बुद्ध की कांसे से बनी 148 बेहतरीन कलाकृतियां, बोधित्सव, घंटियां, स्तूप और अनुष्ठान में इस्तेमाल की जाने वाली वस्तएं प्राप्त हुईं हैं।

लौरिया नंदनगढ़

1. यह स्थान राजा अशोक द्वारा बनवाए गए 26 मीटर के विशाल स्तूप के लिए प्रसिद्ध है।

2. इस स्तूप में भगवान गौतम बुद्ध की अस्थियां संजो कर रखी गईं हैं।

पटना (पाटलिपुत्र)

1. इसकी स्थापना मगध शासक अजातशत्रु ने ई.पू. 490 में गंगा नदी के तट पर एक छोटे किले (पाटलिग्राम) के तौर पर की थी।  

2. यह शहर हर्यक वंश, मौर्य साम्राज्य, शुंग साम्राज्य, गुप्त साम्राज्य और शेरशाह के साम्राज्य से जुड़ा हुआ है।  

3. पटना संग्रहालय, कुम्हरार, गोलघर, शहीद स्मारक, हर मंदिर तख्त, पत्थर की मस्जिद, शेरशाह सूरी मस्जिद, खुदा बक्श ओरिएंटल लाइब्रेरी, सदाकत आश्रम, अगम कुंआ, गांधी सेतु, पादरी की हवेली, जैविक उद्यान और आधुनिक तारामंडल पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र हैं।

विक्रमशिला विश्वविद्यालय (भागलपुर)

1. बिहार के भागलपुर जिले में स्थित है और एक मात्र ऐसा बौद्ध स्थान है जहां बुद्ध कभी नहीं गए।

2. 8वीं सदी ई.पू. के दौरान राजा धर्मपाल के शासन काल में यह तांत्रिक बौद्ध धर्म के अध्ययन केंद्र के रूप में विकसित हुआ।  

प्राचीन भारत का इतिहास: एक समग्र अध्ययन सामग्री

Jagranjosh
Jagranjosh

Education Desk

Your career begins here! At Jagranjosh.com, our vision is to enable the youth to make informed life decisions, and our mission is to create credible and actionable content that answers questions or solves problems for India’s share of Next Billion Users. As India’s leading education and career guidance platform, we connect the dots for students, guiding them through every step of their journey—from excelling in school exams, board exams, and entrance tests to securing competitive jobs and building essential skills for their profession. With our deep expertise in exams and education, along with accurate information, expert insights, and interactive tools, we bridge the gap between education and opportunity, empowering students to confidently achieve their goals.

... Read More

आप जागरण जोश पर भारत, विश्व समाचार, खेल के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए समसामयिक सामान्य ज्ञान, सूची, जीके हिंदी और क्विज प्राप्त कर सकते है. आप यहां से कर्रेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें.

Trending

Latest Education News