बैकिंग

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में नौकरियां करने के इच्छुक युवाओं के लिए हाल का समय काफी खुशनुमा रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अगले तीन साल के दौरान 85,000 नई नियुक्तियां करने की योजना बनाई है।

Jul 27, 2011, 14:11 IST

बैकिंग


बैंकिंग सेक्टर में नौकरियों की बहार

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में नौकरियां करने के इच्छुक युवाओं के लिए हाल का समय काफी खुशनुमा रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अगले तीन साल के दौरान 85,000 नई नियुक्तियां करने की योजना बनाई है। आर्थिक संपादकों के सम्मेलन के लिए वित्त मंत्रालय द्वारा तैयार सूचना पत्र में कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की 2011-13 के दौरान 34,000 अधिकारियों तथा 51,000 क्लर्कों की नियुक्ति की योजना है। इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) ने सरकार को सुझाव दिया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में नियुक्ति के लिए आईबीपीएस द्वारा सामान्य भर्ती कार्यक्रम का आयोजन किया जाना चाहिए। यदि हाल के रोजगार समाचारपत्रों पर नजर दौड़ाएं, तो आए दिन किसी न किसी सार्वजनिक  क्षेत्र के बैंक में पीओ या क्लर्क के लिए आवेदन आमंत्रित किए जाते रहते हैं। उद्योग परिसंघ एसोचैम की रिपोर्ट के मुताबिक, बैंकिंग सेक्टर में इस साल की पहली तिमाही में सबसे ज्यादा लोगों को नौकरियां मिली हैं।

सभी के लिए अवसर

बैंक  में काम करने का दायरा काफी बढ़ गया है। इसमें फाइनेंस, मैनेजमेंट, बिजनेस, पर्सनेल, मॉर्केटिंग, ऑपरेशन, इलेक्ट्रॉनिक सर्विस, कार्ड सर्विस, के्रडिट ऐंड रिस्क आदि से जुड़े कार्य होते हैं। साथ ही, कई स्तर पर अन्य एम्प्लॉइज भी कार्य करते हैं, जैसे-चीफ एग्जीक्यूटिव, जनरल ऐंड ऑपरेशन मैनेजर, मार्केटिंग ऐंड सेल्स, कम्प्यूटर ऐंड इन्फॉर्मेशन सिस्टम मैनेजर, फाइनेंशियल मैनेजर, ह्यूमन रिसोर्स, ट्रेनिंग ऐंड लेबर रिलेशन स्पेशलिस्ट, मैनेजमेंट एनालिस्ट, अकाउंट ऐंड ऑडिट, क्रेडिट एनालिस्ट, फाइनेंशियल एनालिस्ट, पर्सनल फाइनेंशियल एडवाइजर, लोन काउंसलर, लोन ऑफिसर्स, कंप्यूटर स्पेशलिस्ट, क्लर्क आदि। हालांकि इस फील्ड में लोग अलग-अलग एरिया से जुड़े होते हैं, लेकिन कुछ कॉमन स्किल्स होती हैैं, जिनकी जरूरत प्रत्येक बैंक एम्प्लाई को होती हैै। इसमें कम्युनिकेशन स्किल सबसे ऊपर है।

आप क्लर्क के तौर पर काम कर रहे हों या फिर मैनेजर के रूप में, किसी न किसी रूप में ग्राहक के साथ संवाद स्थापित करना ही पड़ता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकतर लोग इसलिए भी तरक्की नहीं कर पाते हैं, क्योंकि उनकी कम्युनिकेशन स्किल अच्छी नहीं होती है।

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कुछ वर्षों में सरकारी बैंकों में कर्मचारियों पर काम का बोझ काफी बढ़ गया है। ऐसी स्थिति में बैंकों को बाजार में मजबूती से जमे रहने के लिए प्रतिवर्ष करीब 70 हजार से अधिक प्रोफेशनल्स की भर्ती करनी होगी। लगभग 2012 तक तकरीबन 40 हजार लोग रिटायर हो जाएंगे। साथ ही मोबाइल और इंटरनेट बैंकिंग के क्षेत्र में काफी उछाल आएगा। जैसे-जैसे यह क्षेत्र बढ़ेगा उसके लिए सुरक्षा के इंतजाम को भी पुख्ता करना होगा। सबके लिए यूनिफाइड आइडेंटिटी कार्ड होगा और उसी में एटीएम, डेबिट कार्ड आदि होंगे। साथ ही, प्लास्टिक मनी के जरिए ज्यादा काम होने लगेगा। कुछ वर्ष पहले शायद ही किसी ने सोचा होगा कि मोबाइल से पैसा ट्रांसफर हो सकता है। आज यह संभव है। बदलाव की गति भविष्य में और भी तेज होने की आशा है। 

शैक्षिक योग्यता 

पीओ पद के लिए ग्रेजुएट और क्लर्क पद के लिए इंटरमीडिएट जरूरी है। इसके साथ ही कैंडिडेट  को किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से कम्प्यूटर लिटरेसी का सर्टिफिकेट जरूरी है। अन्य प्रोफेशनल्स के लिए संबंधित क्षेत्र में डिग्री या डिप्लोमा होना आवश्यक होता है। पीओ पद के लिए उम्र सीमा जनरल कैंडिडेट के लिए 21 से 30  वर्ष तथा क्लर्क के लिए 18 से 28 वर्ष निर्धारित होती है।

चयन प्रक्रिया

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में प्राय: पीओ और क्लर्क पदों के लिए दो स्तरीय परीक्षाएं होती हैं। पहले चरण में लिखित परीक्षा तथा दूसरे चरण में ग्रुप डिस्कशन व साक्षात्कार होता है। पहले चरण में न्यूनतम क्वालिफाइंग माक्र्स हासिल करने वाले अभ्यर्थी को ही दूसरे चरण के लिए बुलाया जाता है। इन चरणों में प्राप्त अंकों के योग के आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार की जाती है। इसके बाद ही अंतिम रूप से चयन होता है। इसमें वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं। अंग्रेजी भाषा, तर्कशक्ति परीक्षण, डाटा  एनालिसिस व इंटरप्रिटेशन और सामान्य जानकारी से संबंधित प्रश्न रहते हैं। लिखित परीक्षा के दूसरे चरण में एक घंटे की वर्णनात्मक अर्थात डिस्क्रिप्टिव प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसके लिए 50 अंक निर्धारित होते हैं। दूसरे प्रश्नपत्र में पांच अनिवार्य प्रश्न पूछे जाते हैं, जिनका उत्तर 250-300 शब्दों में देना जरूरी है। इसमें क्वाालिफाई करने वाले अभ्यर्थियों को ही ग्रुप डिस्कशन व साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है।


ग्रुप डिस्कशन व साक्षात्कार

कई बैंकों में सिर्फ साक्षात्कार लिया जाता है, जबकि एसबीआई पीओ की परीक्षा में ग्रुप डिस्कशन भी कराया जाता है। ग्रुप डिस्कशन में अभ्यर्थी के कॉन्फिडेंस लेवल और नेतृत्व क्षमता की जांच की जाती है। साक्षात्कार में अभ्यर्थियों का पर्सनैलिटी टेस्ट लिया जाता है। बैंकिंग क्षेत्र की सभी परीक्षाओं में निगेटिव मार्किंग होती है। इसमें गलत उत्तर के लिए एक-चौथाई निगेटिव मार्किंग का प्रावधान है। अर्थात चार प्रश्नों के उत्तर गलत होने पर एक सही उत्तर वाले प्रश्न के अंक काट लिए जाएंगे। अत: इसके लिए विशेष रणनीति के तहत तैयारी करना आवश्यक है।

कैसे पाएं सफलता
 यदि आप बैंक परीक्षा में सफल होना चाहते हैं, तो सर्वप्रथम अपनी योग्यता को पहचानिए तथा उसके अनुरूप तैयारी आरंभ कर दीजिए। इसके लिए एक -एक पल का सदुपयोग करना शुरू कर दीजिए। आप इस भ्रम में कतई न रहें कि थोड़ी सी तैयारी से भी सफलता सुनिश्चित की जा सकती है, क्योंकि परीक्षा में अभ्यर्थियों की संख्या सीट की अपेक्षा काफी अधिक होती है। आप बैंक की परीक्षा में तभी सफल हो सकते हैं, जब आप औरों से अलग तथा योजना के अनुरूप किसी कार्य को गंभीरता से पूरा करने की कोशिश करेंगे।

परीक्षा में सफल होने के लिए प्रश्नों के पैटर्न को समझना बेहद जरूरी होता है, क्योंकि सभी बैंक अलग-अलग क्षेत्रों से संबंधित परीक्षा लेते हैं। पहले सभी बैंकों के परीक्षा का पैटर्न लगभग एक था, लेकिन अब जरूरत के अनुसार सभी बैंक इसमें परिवर्तन करते रहते हैं। इस कारण आप जिस बैंक के लिए तैयारी कर रहे हैं, उसके पूर्व परीक्षाओं में किस तरह के प्रश्न पूछे गए हैं, उनका अध्ययन अवश्य करें और उसी पैटर्न पर तैयारी करें। अगर आपको इसमें सफल होना है, तो कम समय में सही प्रश्नों का अधिक से अधिक उत्तर देने की कोशिश करना होगा। इसके लिए अधिक से अधिक अभ्यास करना ही एकमात्र बेहतर विकल्प है। बेहतर स्ट्रेटेजी यह होगी कि आप खुद को आंकें कि आप कितने प्रश्नों को एक्यूरेसी के साथ आसानी से हल कर सकते हैं। उदाहरण के लिए यदि आपको 135 मिनट में 225 प्रश्न हल करने हैं, तो आपको एक प्रश्न हल करने के लिए लगभग 36 सेंकेंड मिल रहे हैं। स्मार्ट स्ट्रेटेजी यह होनी चाहिए कि आप 225 प्रश्नों को हल करने के बजाय 190 प्रश्नों को हल करने का टारगेट बनाएं। लेकिन यह स्ट्रेटेजी तभी कारगर होगी, जब आप इसमें से 90 प्रतिशत प्रश्नों का सही जवाब दे पाएंगे। आपके लिए चार सेक्शन हैं और आपके पास यह विकल्प होता है कि आप इनमें से किसी भी सेक्शन को पहले हल कर सकते हैं। आपके लिए बेहतर होगा कि आप सबसे पहले जनरल अवेयरनेस के प्रश्नों को हल करें। इसमें अपेक्षाकृत प्रश्न सीधे होते हैं और कम समय में हल किए जा सकते हैं। इसमें यह स्ट्रेटेजी बनाएं कि जो प्रश्न आपको आतेे हैं, उन्हें ही हल करें तो बेहतर होगा। यदि आपके पास 135 मिनट हैं, तो आप इसके लिए 20 मिनट का समय दे सकते हैं। अंग्रेजी के प्रश्नों को देखेंगे, तो उसमें 9-10 प्रश्न पैसेज से संबंधित होते हैं। आप सबसे पहले इन्हें हल करें। इसमें थोड़ी मेहनत से सभी प्रश्न सही हल किए जा सकते हैं। उसके बाद अन्य प्रश्नों को हल करने की कोशिश करें। अंग्रेजी के लिए 25 मिनट से अधिक समय न दें। बचे हुए समय का उपयोग आप रीजनिंग और मैथ्स के लिए दें। इसमें समय अधिक लगता है और कुछ प्रश्नों के प्रॉसेस भी काफी लंबे होते हैं। आप सबसे पहले उन्हीं प्रश्नों को हल करें, जिसे अच्छी तरह से जानते हैं। शुरुआत में किसी प्रश्न पर अधिक समय खर्च करने से बचने की कोशिश करें। अंग्रेजी दुरुस्त करने के लिए ग्रामर को पढें़ तथा सभी बैंकों में पूछे गए पिछले दस वर्षों के प्रश्नों को हल करने की कोशिश करें। इससे आपको सहज अंदाजा लग जाएगा कि आपको अंग्रेजी के किस क्षेत्र को मजबूत करने की जरूरत है। अगर आपके आसपास सीनियर्स या शिक्षक हों, तो आप उनसे भी बहुमूल्य सलाह लेने से न हिचकें। उनका अनुभव आपकी तैयारी को और बेहतर बना सकता है। इंटरव्यू या जीडी का उद्देश्य अभ्यर्थी के व्यक्तित्व का संपूर्ण मूल्यांकन करना होता है। इस कारण आप जो जानते हैं, उसे अच्छी तरह से बताएं। इंटरव्यू में सफल अभ्यर्थियों का यही कहना है कि आप पूछे गए प्रश्नों को अच्छी तरह समझें और टू दी प्वाइंट उत्तर देने की कोशिश करें। यदि आप उत्तर नहीं जानते हैं, तो अपनी असमर्थता जाहिर कर दें। आप यह सोचकर जाएं कि सभी लोग सभी प्रश्नों का सही उत्तर नहीं दे सकते हैं। यदि इस सोच के साथ इंटरव्यू हॉल में जाएंगे, तो आपको सफलता अवश्य मिलेगी।

Jagran Josh
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Education Desk

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