भारत - रूस: नई ऊंचाइयों की ओर
रूसी प्रधानमंत्री की भारत यात्रा
रूस के प्रधानमंत्री व्लादीमिर पुतिन ने 11 मार्च, 2010 को एक दिन की भारत यात्रा की। भारत की स्वतंत्रता के समय से ही दोनों देशों के संबंध अत्यंत मधुर रहे हैं, हालांकि सोवियत संघ के विखंडन के बाद से दोनों देशों ने एक बार फिर से अपने रिश्तों को पुनब्र्याख्यायित किया है। पुतिन के दौरे के दौरान भारत व रूस ने व्यापक परमाणु समझौते सहित कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किये।
नागरिक परमाणु समझौता
पुतिन की यात्रा के दौरान दोनों देशों ने कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए। नागरिक परमाणु के क्षेत्र में तीन समझौते किए गए। इसके तहत रूस तमिलनाडु के कुडनकुलम में और पश्चिम बंगाल के हरीपुर में छह-छह परमाणु प्लांट लगाएगा। भारत के साथ इस समझौते के साथ ही रूस ने इस मामले में अपने अन्य परमाणु सम्पन्न प्रतिद्वंद्वियों, अमेरिका और फ्रांस को पीछे छोड़ दिया। लंबे समय से नागरिक परमाणु ऊर्जा के मामले में रूस, भारत के साथ सहयोग करता रहा है और इस मामले में वह भारत का चिर-परिचित सहयोगी है। भारत को परमाणु रिएक्टर बनाने और परमाणु ईंधन की सप्लाई में रूस ने हमेशा पूरा सहयोग दिया है और यह सिलसिला इस समझौते के साथ और भी आगे बढ़ा है।
चेर्नोबिल परमाणु दुर्घटना के बाद रूस ने परमाणु रिएक्टरों की सुरक्षा के लिए काफी पुख्ता इंतजाम किए हैं जिसकी वजह से रूसी रिएक्टर दुनिया में सबसे ज्यादा सुरक्षित माने जाते हैं। रूस ने अगली पीढ़ी के रिएक्टर विकसित किए हैं।
रक्षा समझौता
भारत-रूस के मध्य रक्षा संबंध काफी पुख्ता रहे हैं। पुतिन की इस यात्रा के दौरान यह फैसला लिया गया कि दोनों देश वर्ष 2016 तक संयुक्त रूप से पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान का विकास शुरू कर देंगे। इस विमान का उपयोग भारतीय वायुसेना द्वारा किया जाएगा। इसके अतिरिक्त भी कई रक्षा समझौते किए गये। रूसी विमानवाहक पोत गोर्शकोव के अंतिम मूल्य संबंधी समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए।
लगभग चार अरब डॉलर के नए रक्षा सौदों के साथ रूस एक बार फिर से भारत के लिए सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बन गया है। वर्ष 2009 में ही इजरायल ने इस मामले में रूस को पीछे छोड़ दिया था।
गैस के क्षेत्र में सहयोग
भारत-रूस की तेल कंपनियां एक-दूसरे के साथ साझीदारी के द्वारा हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में आपसी सहयोग बढ़ाने पर भी सहमत हुई। ओएनजीसी और गैजप्रोम के बीच समझौता हुआ।
नए संदर्भ में भारत-रूस संबंध शीतयुद्ध के दौर में भारत और सोवियत संघ के बीच काफी घनिष्ठ संबंध थे। दूसरी ओर भारत का पारंपरिक प्रतिद्वन्द्वी पाकिस्तान अमेरिकी खेमे में था। अगस्त 1971 में भारत-सोवियत संघ के मध्य शांति, मित्रता एवं सहयोग संबंधी एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गये जिसका मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के मध्य रक्षा संबंधों को पुख्ता करना था। दोनों देशों ने आड़े वक्त में एक-दूसरे का जमकर सहयोग किया।
सोवियत संघ का विखंडन: 1991 में सोवियत संघ के विखंडन के बाद रूस उसका उत्तराधिकारी बना जो आर्थिक दृष्टि से काफी कमजोर था। शीतयुद्ध की समाप्ति हो चुकी थी और अब पूरे विश्व में दो देशों के बीच संबंधों का मुख्य आधार आर्थिक हो चुका था।
1991 से ही भारत ने अपनी विदेश नीति में परिवर्तन करते हुए अमेरिका, पश्चिमी यूरोप के देशों, जापान एवं दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों की तरफ भी अपना रुख किया। हालांकि इस काल के दौरान भी भारत-रूस के मध्य संबंध काफी मधुर बने रहे, विशेष कर रक्षा क्षेत्र में।
21वीं शताब्दी में भारत-रूस संबंध: व्लादिमिर पुतिन के राष्ट्रपति बनने के बाद से एक बार फिर से रूस ने अपने पुराने तेवर दिखाने शुरू कर दिये थे। पुतिन ने आक्रमक विदेश नीति का प्रदर्शन करते हुए कई बार अमेरिकी विदेश नीति को चुनौती दी। हाल के वर्र्षों में नाटो के विस्तार के नाम पर अमेरिका पूर्वी यूरोप के देशों में तेजी से अपना प्रभाव बढ़ा रहा है, जिसे रूस अपनी सम्प्रभुता पर सीधे आक्रमण मानता है।
रूस हाल के वर्र्षों में एक बार फिर से भारत जैसे अपने समय की कसौटी पर परखे हुए मित्रों की तरफ आकृष्ट हुआ है। रूस की अर्थव्यवस्था में भी काफी सुधार हुआ है। भारत की अर्थव्यवस्था भी तेजी से बढ़ रही है, जिसकी वजह से रूस अब रक्षा क्षेत्र के अतिरिक्त आर्थिक क्षेत्र में भी सहयोग करने का इच्छुक है। पेट्रोलियम और गैस के क्षेत्रों में तो दोनों देशों के मध्य सहयोग काफी आगे बढ़ चुका है।
रूसी राष्टपति की भारत यात्रा
संबंध हुए और पुख्ता
रूसी राष्टपति दिमित्री मेदवेदेव की भारत यात्रा के दौरान वेसे तो कई समझौते हुए हैं लेकिन सबसे अहम बात पांचवी पीढ़ी के युद्घक विमान एवं सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता पर सहमति की है।
रूस के राष्टपति दिमित्री मेदवेदेव की दो दिवसीय यात्रा के दौरान यह बात फिर से प्रमाणित हो गई है कि रूस भारत के साथ न केवल पूर्व जैसे दोस्ताना संबंध चाहता है बल्कि उन्हें नई मंजिलों पर भी ले जाने का इच्छुक है। इस यात्रा में 30 ऐसे महत्वपूर्ण समझौते हुए हैं जिनका दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर सकारात्मक असर पडऩा तय है।
सुरक्षा परिषद के लिए समर्थन
रूस ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट संघ की सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य के रूप में सदस्यता के भारतीय दावे का पुरजोर समर्थन किया है। रूसी राष्टपति ने स्पष्टï रूप से कहा है कि यदि सुरक्षा परिषद का विस्तार किया जाता है तो भारत के दावे पर गंभीरता से विचार जरूरी है। रूस का मानना है कि भारत स्थाई सीट का शक्तिशाली दावेदार है।
रूस के समर्थन के बाद इस पद के लिए भारतीय दावा और भी अधिक पुख्ता हो गया है क्योंकि संयुक्त राष्टï्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्यों में से तीन फ्रांस, ब्रिटेन और रूस भारत के दावे के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं।
भारत-रूस सहयोग: पक्ष व विपक्ष संघीय संसदीय संवैधानिक गणराज्य संघीय अद्र्घ राष्टरपतीय गणराज्य
पक्ष में तर्क
(1) रूस भारत का पुराना सहयोगी है और संकट के वक्त उसने खुलकर भारत का साथ दिया है।
(2) रक्षा क्षेत्र में आज भी रूस भारत का सबसे बड़ा सहयोगी है।
(3) पेट्रोलियम क्षेत्र में दोनों देशों के बीच संबंध नई बुलंदियों को छू रहे हैं।
विपक्ष में तर्क
(1) वर्तमान वैश्विक परिदृश्य और आर्थिक हितों को देखते हुए भारत का अमेरिका के प्रति झुकाव बढ़ रहा है, जो भारत-रूस के बीच संबंधों में रोड़ा बन सकता है।
(2) रूस, चीन व भारत के साथ मिलकर अमेरिका के खिलाफ ट्राएंगल बनाने का इच्छुक है, जिस पर भारत की प्रतिक्रिया ज्यादा उत्साहवद्र्धक नहीं है।
(3) दोनों देशों के बीच संबंध अब इमोशनल न होकर प्रैगमेटिक ज्यादा है।
भारत और रूस का तुलनात्मक अध्ययन
वर्ग भारत रूस जनसंख्या 1,190,340,000 142,008,838 क्षेत्रफल 3,287,240 वर्ग किमी. 17,075,400 वर्ग किमी. जनसंख्या घनत्व 356 प्रतिवर्ग किमी. 8.5 प्रतिवर्ग किमी राजधानी नई दिल्ली मास्को सरकार प्रमुख भाषा हिन्दी रूसी जीडीपी(सामान्य) 1.367 खरब डॉलर 1.229 खरब डॉलर
भारत-रूस : प्रमुख समझौते
- सेना, ऊर्जा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष अनुसंधान और फार्मा जैसे अहम क्षेत्रों में सहयोग।
- 2015 तक 20 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार का लक्ष्य पाने का समझौता।
- सालाना शिखर सम्मेलन में अहम द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर चर्चा।
- कुंडनकुलम में रूस निर्मित अतिरिक्त परमाणु रिएक्टरों के लगाए जाने पर चर्चा।
- पांचवी पीढी के लड़ाकू विमान तैयार करने के लिए प्रारंभिक डिजाइन अनुबंध।
- हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में सहयोग।
- परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण प्रयोग के लिए रिएक्टर प्रौद्योगिकी एवं इससे जुड़े क्षेत्रों में साथ मिलकर अनुसंधान एवं विकास।
- व्यापारियों सहित कुछ वर्गों के लिए वीजा प्रक्रिया का सरलीकरण।
- तेल एवं गैस क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा।
- फार्मा क्षेत्र में सहयोग।
- अनियमित पलायन की रोकथाम।
- आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में सहयोग।
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