भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता
दोनों पक्षों को होगा फायदा:
बैंकाक, थाईलैंड में भारत-आसियान के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किये गये। 1991 में नरसिंहा राव के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही भारत ने दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ अपने संबंध सुधारने शुरु कर दिये थे और आर्थिक संबंध इस लुक ईस्ट पॉलिसी के अपरिहार्य हिस्सा हैं। इसी पॉलिसी की परिणति इस मुक्त व्यापार समझौते के द्वारा हुई है। 2009 में भारत और आसियान देशों के बीच 40 अरब डॉलर का कारोबार हुआ। मुक्त व्यापार समझौते होने के बाद इसके वर्ष 2010 तक 50 अरब डॉलर तक पहुँच जाने की संभावना है। इस समझौते से आपस में 1.7 अरब लोगों की आबादी वाला एक विशाल बाजार एक-दूसरे के लिए खुल जाएगा। करीब 6 वर्ष की बातचीत के बाद दोनों पक्ष व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता करने पर तैयार हुए। इस समझौते के अंतर्गत अगले 8 वर्र्षों तक के लिए भारत और आसियान देशों के बीच होने वाले 80 फीसदी उत्पादों यानी 4000 उत्पादों पर से व्यापार पर शुल्क समाप्त हो जाएगा। लगभग 489 उत्पादों को समझौते से बाहर रखा गया है। योजना के अनुसार इस समझौते के पहले चरण को एक जनवरी, 2010 से लागू कर दिया गया।
भारत के इस कदम को अमेरिका और यूरोपीय देशों द्वारा विभिन्न क्षेत्रीय संगठन बनाने के जवाब के रूप में देखा जा रहा है। दुनिया के कई इलाकों में विकसित देशों ने इसी तरह के समझौते किये हैं जिससे दोनों ही पक्षों को व्यापक फायदा हुआ है।
भारत को समझौते से फायदा
- पेट्रोलियम उत्पाद
- कीमती पत्थर व ज्वैलरी
- स्टील, ताँबा और अल्युमिनियम
- पशुओं का आहार, आयरन, लौह अयस्क, बॉयलर इत्यादि
आसियान को समझौते से फायदा
- ऑर्गेनिक व गैर ऑर्गेनिक रसायन उत्पाद जैसे साबुन और क्लीनर
- प्लास्टिक उत्पाद, तैयार कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं व उत्पाद
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