महंगाई मापने की नई प्रणाली
वास्तविक स्थिति दर्शायेगा सूचकांक:
लंबे समय से देश में यह आम शिकायत रही है कि प्रत्येक सप्ताह भारत सरकार द्वारा जारी की जाने वाली मुद्रास्फीति दर से महंगाई का सही तरह से आंकलन नहीं होता है। इसी शिकायत को दूर करने के उद्देश्य से सरकार ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई की सही तस्वीर पेश करने के लिए दो अलग-अलग उपभोक्ता मूल्य सूचकांक शुरू किये हैं।
क्या है नये सूचकांक में?
नये सूचकांक को रिजर्व बैंक और सांख्यिकीय मंत्रालय ने मिलकर तैयार किया है। अभी तक थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मँहगाई के आँकड़े पूरे देश में मँहगाई का पैमाना माने जाते थे। ये आँकड़े प्रत्येक सप्ताह जारी किए जाते थे। लेकिन इनको लेकर हमेशा असंतोष का माहौल रहता था। पुराने थोक सूचकांक के अनुसार ऐसा हो सकता था कि मुद्रास्फीति की दर शून्य के नीचे हो, लेकिन आम उपभोक्ताओं को रिटेल मार्केट में खाने-पीने की वस्तुओं के लिए हर बार पहले से काफी ज्यादा दाम चुकाने पड़ जाये।
पाटी गई खाई
सरकार औद्योगिक कर्मचारियों के लिए अलग से एक अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक(सीपीआई-आईडब्ल्यू) भी जारी करती रही है। यह सूचकांक महीने में ेएक बार जारी किया जाता है। इसके अलावा कृषि श्रमिकों और शहरी श्रमिकों के लिए अलग से मँहगाई सूचकांक जारी किया जाता है। थोक मूल्य सूचकांक और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में कहीं कोई तालमेल नहीं दिखाई देता था। नए सूचकांक में इसी खाई को पाटने का प्रयास किया गया है।
सरकार ने नए थोक मूल्य सूचकांक की सूची में मोबाइल फोन और डिजिटल कैमरा जैसी 300 से अधिक वस्तुओं को शामिल किया है। साथ ही 30 वस्तुओं को नए मुद्रास्फीति सूचकांक से हटा लिया गया है। नए सूचकांक का आधार वर्ष 2004-05 होगा, जबकि पुराने थोक मूल्य सूचकांक को 1993-94 की कीमतों को आधार बना कर आंका जाता था।
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