मौर्य इतिहास के स्त्रोत

मौर्य साम्राज्य की नींव ने भारत के इतिहास में एक नए  युग का प्रारम्भ किया | पहली बार भारत ने  राजनीतिक समानता  को प्राप्त किया | इसके अलावा, इस युग से  इतिहास लिखना  अब और भी ज्यादा आसान हो गया क्यूंकि अब घटना क्रम व स्त्रोत बिलकुल सटीक थे | स्वदेशी और विदेशी स्त्रोतों के अलावा, इस युग का इतिहास लिखने के लिए कई शिलालेखों के दस्तावेज़ भी उपलबद्ध हैं | समकालीन साहित्य और पुरातात्विक खोज इसकी जानकारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं |

Sep 2, 2015, 17:48 IST

मौर्य इतिहास के बारे में दो प्रकार के स्त्रोत उपलब्ध हैं | एक साहित्यक है और दूसरा पुरातात्विक है | साहित्यक स्त्रोतों में कौटिल्य का अर्थशास्त्र, विशाखा दत्ता का मुद्रा राक्षस, मेगास्थेनेस की इंडिका, बौद्ध साहित्य और पुराण  हैं |  पुरातात्विक स्त्रोतों में अशोक के शिलालेख और अभिलेख और वस्तुओं के अवशेष  जैसे चांदी और तांबे के छेद किए हुए सिक्के शामिल  हैं |

1. साहित्यक स्त्रोत :

a) कौटिल्य -अर्थशास्त्र

यह पुस्तक कौटिल्य (चाणक्य का दूसरा नाम ) के द्वारा राजनीति और शासन के बारे में लिखी  गई है | यह पुस्तक मौर्य काल के आर्थिक और राजनीतिक स्थिति के बारे में बताती है | कौटिल्य, चन्द्र गुप्त मौर्य, मौर्य वंश के संस्थापक, का प्रधानमंत्री था |

b) मुद्रा राक्षस

यह पुस्तक गुप्ता काल में विशाखा दत्ता द्वारा लिखी गई| यह पुस्तक बताती है कि किस तरह चन्द्रगुप्त मौर्य ने सामाजिक आर्थिक स्थिति पर रोशनी डालने के अतिरिक्त, चाणक्य की  मदद से नन्द वंश को पराजित किया था |

c) इंडिका

इंडिका, मेगास्थेनेस द्वारा रची गई जोकि चंद्र गुप्त मौर्य की सभा में सेलेकूस निकेटर का दूत था |यह मौर्य साम्राज्य के प्रशासन, 7 जाति प्रणाली और भारत में ग़ुलामी का ना होना दर्शाती है | यद्यपि इसकी मूल प्रति खो चुकी है, यह पारंपरिक यूनानी लेखकों जैसे प्लुटार्च, स्ट्राबो और अर्रियन के लेखों में उदहारणों के रूप में सहेजे हुए हैं |

d) बौद्ध साहित्य

बौद्ध साहित्य जैसे जातक मौर्य काल के सामाजिक- आर्थिक स्थिति के बारे में बताता है जबकि बौद्ध वृतांत महावमसा और दीपवांसा अशोक के बौद्ध धर्म को श्रीलंका तक फैलाने की भूमिका के बारे में बताते हैं | दिव्यवदं, तिब्बत बौद्ध लेख अशोक के बौद्ध धर्म का प्रचार करने के योगदान के बारे में जानकारी देते हैं |

e) पुराण

पुराण मौर्य राजाओं और घट्नाक्रमों की सूचि के बारे में बताते हैं |

पुरातात्विक स्त्रोत

अशोक के अभिलेख

अशोक के अभिलेख, भारत के विभिन्न उप महाद्वीपों में शिलालेख, स्तंभ लेख और गुफ़ा शिलालेख के रूप में पाये जाते हैं | इन अभिलेखों की व्याखाया जेम्स प्रिंकेप ने 1837 AD में किया था | ज्यादातर अभिलेखों में अशोक की  जनता को घोषणाएँ हैं जबकि कुछ में अशोक के बौद्ध धर्म को अपनाने के बारे में बताया गया है |

वस्तु अवशेष

वस्तु अवशेष जैसे NBPW ( उत्तत काल के पोलिश के बर्तन) चाँदी और तांबे के छेद किए हुए सिक्के मौर्य काल पर रोशनी डालते हैं |

अशोक के अभिलेखों और उसकी जगह के बारे में एक छोटा विवरण नीचे दिया गया है :

अशोक के राजाज्ञा और शिलालेख

यह क्या दर्शाता है ?

इसका स्थान

14 मुख्य शिलालेख

धम्मा के सूत्र

कलसी (देहरादून, उत्तराखंड, मनशेरा(हाज़रा, पाकिस्तान ), जूनागढ़ (गिरनार, गुजरात ), जौगड़ा(गंजम,उड़ीसा )येर्रागुड्डी ( कुरनूल, आंध्रा प्रदेश )शाहबज़्गढ़ी (पेशावर, पाकिस्तान)

2 कलिंग शिलालेख

कलिंग युद्ध के बाद नया प्रशासन प्रणाली

दौली या तोसाली (पुरी, उड़ीसा ), जौगड़ा (गंजम , उड़ीसा)

लघु शिलालेख

अशोक का निजी इतिहास और उसका धम्मा सारांश

ब्रह्मगिरि (कर्नाटक ), रूपानाथ (मध्य प्रदेश)सिद्धपुर (कर्नाटक )मस्की (आंध्रा प्रदेश )

भबरू –बैरात शिलालेख

अशोक का बौद्ध धर्म में तब्दील होना

भबरू –बैरात (राजस्थान)

स्तंभ अभिलेख

 

 

7 स्तंभ अभिलेख

शिलालेखों से जुड़ी वस्तुएँ

इलाहाबाद, रामपूर्व (बिहार)

4 लघु स्तंभ अभिलेख

अशोक का धम्मा के प्रति कट्टरपन के चिन्ह

साँची (मध्य प्रदेश), सारनाथ, इलाहाबाद

2 तराई स्तंभ अभिलेख

अशोक का बौद्ध धर्म के प्रति आदर

लुम्बिनी (नेपाल)

गुफ़ा अभिलेख

 

 

3 बराबर गुफ़ा अभिलेख

अशोका की सहनशीलता

बराबर पर्वत

अशोक के 14 शिलालेख और उसके विषय वस्तु 

राजाज्ञा 1 : पशु बाली पर प्रतिबंध
राजाज्ञा 2: समाजिक कल्याण के उपायों को दर्शाना
राजाज्ञा 3 : ब्राह्मण के लिए आदर
राजाज्ञा 4 : बड़ों का आदर करना
राजाज्ञा 5: धम्मा महामंत्रों को नियुक्त करना और उनके कार्य बताना  
राजाज्ञा 6:  धम्मा महामंत्रों को आदेश देना |
राजाज्ञा 7: सभी धार्मिक संप्रदायों के प्रति सहनशीलता  
राजाज्ञा 8: धम्मा यात्राएं
राजाज्ञा 9 : व्यर्थ के समारोहों और रीतिरिवाजों को हटाना
राजाज्ञा 10: युद्ध के बजाए जीत के लिए धम्मा का प्रयोग करना
राजाज्ञा 11: धम्मा नितियों को समझाना
राजाज्ञा 12: सभी धार्मिक संप्रदायों से सहनशीलता के लिए प्रार्थना करना
राजाज्ञा 13: कलिंग युद्ध
राजाज्ञा 14: धार्मिक जीवन व्यतीत करने के लिए प्रेरित करना

 

 

 

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