विश्व विकलांग दिवस

प्रत्येक वर्ष 3 दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा विश्व विकलांग दिवस या विकलांग व्यक्तियों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है.

Dec 16, 2014, 15:26 IST

प्रत्येक वर्ष 3 दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा विश्व विकलांग दिवस या विकलांग व्यक्तियों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है. 1992 के बाद से विश्व विकलांग दिवस विकलांग व्यक्तियों के प्रति करुणा और विकलांगता के मुद्दों की स्वीकृति को बढ़ावा देने और उन्हें आत्म-सम्मान, अधिकार और विकलांग व्यक्तियों के बेहतर जीवन के लिए समर्थन प्रदान करने के लिए एक उद्देश्य के साथ मनाया जा रहा है. इसके पीछे मनाने का मूल उद्देश्य यह भी है कि, विकलांग व्यक्तियों की जागरूकता, राजनीतिक, वित्तीय और सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन के हर पहलू में विकलांग व्यक्तियों को लिया जाना शामिल है. इस दिन प्रत्येक वर्ष कुल मिलाकर एक खास मुद्दे पर ध्यान दिया जाता है.

संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 1981 को विकलांग व्यक्तियों के लिए अंतरराष्ट्रीय वर्ष के रूप में अधिसूचित किया गया है. इस अवसर पर विकलांग व्यक्तियों के  पुनर्वास और विकलांगता की रोकथाम के समीकरण पर ध्यान देने के साथ-साथ  राष्ट्रीय घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्यवाही की एक योजना के निर्माण में वृद्धि करने पर भी सहमती हुई है. विश्व विकलांग दिवस के मुख्य विषय के रूप में विकलांग व्यक्तियों के सक्रिय, और समाज के जीवन और विकास में पूरी तरह से भाग लेने के लिए और उन्हें अन्य नागरिकों के बराबर पूरा अधिकार देने के लिए साथ ही मनुष्य के अधिकार के रूप में परिभाषित किया गया है  जोकि "पूर्ण भागीदारी और समानता," और सामाजिक-आर्थिक विकास के विकास से उत्पन्न लाभ में बराबर का हिस्सा आदि से सम्बंधित है.

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1983-1992 को विकलांग व्यक्तियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के दशक के रूप में घोषित किया था. ताकि विश्व की प्रत्येक सरकारों और देशों के द्वारा इस संदर्भ में काफी गहराई से ध्यान दिया जा सके. और उनके लाभ से जुड़े अन्य कार्यक्रमों के माध्यम से उसनके विकास को बढ़ावा दिया जा सके.

यूनाइटेड किंगडम सरकार ने वर्ष 2012 में विकलांग व्यक्तियों के लिए अनिवार्य काम की घोषणा की जोकि सामाजिक सुधार कार्यक्रमों का लाभ उठा रहे हों और उन्हें किसी न किसी माध्यम से सुधार एवं कल्याण का लाभ मिला है.

सुसान आर्चीबाल्ड केंद्र के संस्थापक के अनुसार, विकलांग लोगों के लिए अनिवार्य रोजगार की निति विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों के सन्दर्भ में संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के अनुच्छेद 27/2 का उल्लंघन है.

विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर कन्वेंशन

यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त राष्ट्र संघ की एक मान्यता प्राप्त मानव अधिकार संधि है. जिसके अंतर्गत  विकलांग व्यक्तियों के आत्म-सम्मान और अधिकार की रक्षा करने के उद्देश्य समाहित हैं. इस कन्वेंशन के तहत विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों को बढ़ावा देने, रक्षा, और मानव अधिकारों द्वारा सुनिश्चित करने और उन्हें जीवन का पूरा आनंद लेने में मदद करता है और कानून के तहत पूर्ण समानता का आनंद लेने के लिए सक्षम बनाता है. इस कन्वेंशन के बाद से मानव अधिकारों के साथ समाज के पूर्ण और संपूर्ण सदस्यों के रूप में उन्हें (विकलांग) देख-रेख  की दिशा में दान, चिकित्सा उपचार और सामाजिक सुरक्षा की वस्तुओं के रूप में विकलांग व्यक्तियों को देखने के सन्दर्भ में वैश्विक आंदोलन में तेजी आई है. यह कन्वेंशन इस दुनिया में मानव अधिकार से जुदा पहला संधि था, और इसके अंतर्गत विकलांग व्यक्तियों के सतत और सौहार्दपूर्ण विकास पर पूरा ध्यान दिया गया है.

13 दिसंबर, 2006 के दौरान, संयुक्त राष्ट्र महासभा नें कुछ तथ्यों की स्थापना की थी जिस पर 30 मार्च, 2007 को हस्ताक्षर किया गया था. यह नियम 3 मई 2008 को लागू किया गया था. इस नियम में 159 हस्ताक्षरकर्ता और 151 दलों शामिल हैं. साथ ही इसमें यूरोपीय संघ (ईयू) भी शामिल है. इस कन्वेंशन पर विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर बनी समिति द्वारा नजर रखी जाती है.

विकलांगता भेदभाव अधिनियम

विकलांगता भेदभाव अधिनियम 1995 (डीडीए) यूनाइटेड किंगडम की संसद के द्वारा पारित एक अधिनियम है. लेकिन वर्तमान में इसे समानता अधिनियम 2010 के द्वारा बदल दिया गया है. यह अधिनियम उत्तरी आयरलैंड में छोड़कर विकलांग व्यक्तियों के संबंध में लोगों के खिलाफ भेदभाव को समाप्त करने के सन्दर्भ में एक अधिनियम है और रोजगार, वस्तुओं और सेवाओं, शिक्षा और अन्य सामाजिक गतिविधियों के प्रावधान और भेदभाव को समाप्त करने के सन्दर्भ में अपनी महत्ता रखता है.

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