सर्व शिक्षा अभियान
सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) की योजना प्रारंभिक शिक्षा के सर्वसुलभीकरण के निमित्त मिशन पद्धति अपनाए जाने के संबंध में अक्टूबर 1998 में आयोजित राज्य शिक्षा मंत्रियों के सम्मेलन की सिफारिशों का परिणाम है। सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत सहायता नौवीं योजना के दौरान केंद्र और राज्य सरकार के बीच 85:15 की भागीदारी के आधार पर थी, दसवीं योजना के दौरान 75:25 और इसके बाद 50:50 के आधार पर थी।
कार्यक्रम में समूचे देश को शामिल किया गया है और 12.3 लाख बस्तियों में 19.4 करोड़ बच्चों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखा गया है। इस योजना के आधीन लगभग 8.5 लाख मौजूदा प्राथमिक और अपर प्राथमिक स्कूल तथा 33 लाख मौजूदा अध्यापक शामिल हैं। वर्ष 2004-05 के दौरान इस कार्यक्रम के अंतर्गत 598 जिलों की वार्षिक कार्य योजनाओं को स्वीकृति किया गया। इस कार्यक्रम में ऐसी बस्तियों में नए स्कूल स्थापित करना, जहाँ कोई स्कूली सुविधाएँ मौजूद नहीं हैं तथा अतिरिक्त क्लासरूमों, पेयजल, अनुरक्षण अनुदान तथा सामाजिक सुधार अनुदान के प्रावधान के माध्यम से स्कूल के मौजूदा आधारिक तंत्र को सुदृढ़ बनाने का प्रयास किया जाएगा। एसएसए में लड़कियों और कमजोर वर्गों के बच्चों पर विशेष ध्यान दिया गया है। दसवीं योजना के दौरान एसएसए के लिए 17,000 करोड़ रु. का आवंटन किया गया। एसएसए की वजह से विद्यालय न जाने वाले बच्चों की संख्या वर्ष 2001 में 3.5 करोड़ से घटकर वर्ष 2003-04 में 2.3 करोड़ हो गई।
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