साधारण विधेयक एवं धन विधेयक में अंतर

Sep 14, 2016, 09:40 IST

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 110 'धन विधेयक' की परिभाषा से संबंधित है। कोई विधेयक धन विधेयक कहलाता है अगर उसमे "करों के अधिरोपण, उन्मूलन, छूट, परिवर्तन या विनियमन से संबंधित प्रावधान" होते हैं| एक साधारण विधेयक संसद के दोनों सदनों में से किसी में भी पेश किया जा सकता है, जबकि धन विधेयक केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है।

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 110 'धन विधेयक' की परिभाषा से संबंधित है। कोई विधेयक धन विधेयक कहलाता है अगर उसमे "करों के अधिरोपण, उन्मूलन, छूट, परिवर्तन या विनियमन से संबंधित प्रावधान" होते हैं| एक साधारण विधेयक संसद के दोनों सदनों में से किसी में भी पेश किया जा सकता है, जबकि धन विधेयक केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है।

भारतीय संविधान के महत्वपूर्ण संशोधन

साधारण विधेयक एवं धन विधेयक में अंतर

क्र.सं.

धन विधेयक

साधारण विधेयक

1.

इसे केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है|

इसे संसद के किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है|

2.

इसे लोकसभा में केवल किसी मंत्री के द्वारा ही पेश किया जा सकता है|

इसे किसी मंत्री के अलावा अन्य सदस्यों के द्वारा भी पेश किया जा सकता है|

3.

इसे राष्ट्रपति की अनुशंसा प्राप्त होने पर ही पेश किया जा सकता है|

इसे पेश करने के लिए राष्ट्रपति की अनुशंसा की आवश्यकता नहीं होती है|

4.

इस विधेयक को राज्यसभा द्वारा संशोधित या अस्वीकार नहीं किया जा सकता है| वह कुछ सुझाव या बगैर सुझाव के इसे लोकसभा को भेजता है जिन सुझावों को स्वीकार या अस्वीकार करने की शक्ति लोकसभा के पास है|

इसे राज्यसभा द्वारा संशोधित या अस्वीकार किया जा सकता है|

5.

इसे राज्यसभा अधिकतम 14 दिनों तक अपने पास रोककर रख सकता है|

इसे राज्यसभा अधिकतम 6 महीने तक अपने पास रोककर रख सकता है|

6.

इस विधेयक को राज्यसभा में भेजने के लिए लोकसभा अध्यक्ष की अनुमति आवश्यक है|

इस विधेयक को राज्यसभा में भेजने के लिए लोकसभा अध्यक्ष की अनुमति आवश्यक नहीं है|

7.

इस विधेयक को केवल लोकसभा से पारित होने के बावजूद भी राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जा सकता है| ऐसे विधेयक के लिए संसद के दोनों सदनों की बैठक की आवश्यकता नहीं है|

इस विधेयक को राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए तभी भेजा जा सकता है जब यह दोनों सदनों में पास हो जाय|  यदि संसद के दोनों सदनों में इस विधेयक को लेकर गतिरोध हो तो राष्ट्रपति द्वारा दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाया जा सकता है|

8.

यदि यह विधेयक लोकसभा में पास नहीं हो पाता है तो ऐसी स्थिति में पूरी मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना पड़ता है|

अगर इस विधेयक को किसी मंत्री द्वारा पेश किया गया हो और यह लोकसभा में पास नहीं हो पाता है तो सरकार को इस्तीफा देना पड़ता है|

9.

इस विधेयक को राष्ट्रपति द्वारा स्वीकार या अस्वीकार किया जा सकता है लेकिन पुनर्विचार के लिए नहीं भेजा जा सकता है क्योंकि इस विधेयक को पेश करने से पहले ही  राष्ट्रपति की अनुमति ली जाती है| 

इस विधेयक को राष्ट्रपति द्वारा स्वीकार या अस्वीकार किया जा सकता है एवं पुनर्विचार के लिए भी  भेजा जा सकता है|

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Education Desk

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