सिविल सर्विसेज में चमकदार कॅरियर
उदय सहाय
रिटायर्ड आईपीएस ऑफीसर
देश की सारी सरकारी नौकरियों में सिविल सर्विसेज को सबसे प्रतिष्ठित माना जाता है। इसे इसलिए भी सरकारी नौकरियों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है कि इसमें इज्जत के साथ पैसा भी है और साथ ही सुविधाओं, ताकत व इज्जत भी मिलती हैं जो युवा वर्ग को अपनी ओर खींचती हैं। वैश्विक आर्थिक संकट के बाद जब प्राइवेट सेक्टर में लोगों की छंटनी हो रही थी तब सरकारी क्षेत्र के लोग पूरी तरह से महफूज थे। इस वजह से भी सिविल सर्विसेज की प्रतिष्ठा युवा वर्ग के लिए एक बार फिर से स्थापित हुई है।
सिविल सर्विसेज की मुख्य विशेषताएं
भारत में सिविल सर्विसेज में भर्ती प्रत्येक वर्ष लोकसेवा आयोग द्वारा लिए जाने वाली एक परीक्षा के द्वारा की जाती हैं। यह देश की सबसे कठिन व प्रतिष्ठित परीक्षा मानी जाती है।। भारतीय सिविल सर्विसेज परीक्षा दो प्रकार की होती है-1ऑल इण्डिया सर्विसेज (आईएएस, आईपीएस और भारतीय वन सेवा) और 2. सेंट्रल सिविल सर्विसेज। ऑल इंडिया सर्विसेज के अधिकारियों की भर्ती केंद्र सरकार द्वारा की जाती है और उन्हें राज्य सरकारों व केद्र सरकार दोनों द्वारा ही नियुक्त किया जा सकता है। यही कारण है कि भारतीय विदेश सेवा को केेंद्रीय सेवा माना जाता है।
ऑल इंडिया सर्विसेज के अधिकारियों का संगठन कैडर में किया जाता है और उनके कैडर का निर्धारण उनके द्वारा सेवा में शामिल होने के कुछ महीने बाद ही कर लिया जाता है। कैडर का एलॉटमेंट रैंक, इच्छा व रोस्टर के आधार पर किया जाता है। ऑल इंडिया सर्विसेज के अधिकारी उसी राज्य के मूल निवासी हो सकते हैं लेकिन दो-तिहाई से अधिक अधिकारियों की नियुक्ति उनके मूल राज्य के बाहर की जाती है। ऑल इंडिया सर्विसेज के अधिकारी अपने होम कैडर के लिए दबाव नहीं डाल सकते हैं केवल इस मामले में वे अनुरोध ही कर सकते हैं। देश में कुल 24 राज्यों के अपने कैडर हैं लेकिन देश में तीन ज्वाइंट कैडर भी हैं: असम-मेघालय, मणिपुर-त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम-केेंद्र शासित क्षेत्र।
दूसरी तरफ सेंट्रल सिविल सर्विसेज के अधिकारियों (ऊपर दिये गये 3 कैडर के अतिरिक्त) को केवल सेंट्रल गवर्नमेंट के विभागों में ही तैनात किया जाता है (यह दिल्ली या भारत में कहीं और या विदेश में हो सकती है)। भारतीय विदेश सेवा भी सेंट्रल सिविल सर्विस है यद्यपि इनके अधिकारियों की तैनाती भारत या विदेश कहीं भी हो सकती है।
जहां तक ट्रेनिंग का संबंध है, आईएएस, आईपीएस और कुछ चुनी हुई सेवाओं का कम्बाइंड फाउंडेशनल ट्रेनिंग कोर्स लाल बहादुर शास्त्री एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन, मसूरी में चार महीने के लिए होता है और इसके बाद आईपीएस, आईएफएस और अन्य सर्विसेज के अधिकारी अपनी-अपनी इंस्टीट्यूशनल ट्रेनिंग सेंटर्स में अपनी प्रोफेशनल ट्रेनिंग के चले जाते हैं। दूसरी ओर आईएएस अधिकारियों की आगे ट्रेनिंग मसूरी में ही होती है। इसमें से कुछ इंस्टीट्यूशनल ट्रेनिंग सेंटर्स हैदराबाद (आईपीएस), नागपुर (इनकम टैक्स), बड़ौदा (रेलवे), शिमला (इंडियन एकाउंट एंड ऑडिट सर्विस) में स्थित हैं। अधिकांश सेवाओं की ट्रेनिंग अवधि 24-26 महीने तक की होती है जिसमें 4 महीने का फाउंडेशनल कोर्स, 10 महीने की इंस्टीट्यूशनल ट्रेनिंग (चरण एक), 6 महीने की फील्ड ट्रेनिंग और 2-4 महीने की चरण दो की इंस्टीट्यूशन ट्रेनिंग शामिल है। फील्ड ट्रेनिंग के दौरान उन्हें किसी दिये गये जिले में जाकर ट्रेनिंग लेनी होती है। जहां तक इन सेवाओं के अधिकारियों के कॅरियर ग्राफ का संबंध है, पूर्वार्ध में उन्हें फील्ड में जाकर एक्जीक्यूटिव जॉब करना होता है। ये अधिकारी डेपुटेशन पर केंद्र सरकार में भी चले जाते हैं। अपने कॅरियर के उत्तरार्ध में ये बड़े ओहदे पर आसीन उच्चपदस्थ अधिकारी हो जाते हैं।
ऑल इंडिया सर्विसेज
इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (आईएएस)
आईएएस अधिकारी राज्य और केन्द्र सरकार में सबसे ऊँचे ओहदे पर बैठने वाले अधिकारी होते हैं। राज्य के स्तर पर वे किसी जिले के डीएम हो सकते हैं या सेक्रेटरी लेवल पर कार्य करते हैं। केंद्रीय स्तर पर वे सरकार की नीतियों को बनाकर उसके क्रियान्वयन का काम करते हैं। जिला के स्तर पर वे विकास, राजस्व और प्रशासन के कार्र्यों से संबंधित रहते हैं। डिवीजनल स्तर पर आईएएस अधिकारी कानून व व्यवस्था की स्थिति को देखते हैं, सामान्य प्रशासन के कामकाज करते हैं। आईएएस कैडर में अधिकारी सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, ज्वाइंट सेक्रेटरी, सेक्रेटरी, चीफ सेक्रेटरी इत्यादि हो सकते हैं।
ऑल इंडिया सर्विस होने की वजह से इसमें कैडर प्रणाली का पालन किया जाता है। आईएएस में टॉपरों को अपने राज्य का ही कैडर मिल जाता है।
इंडियन पुलिस सर्विस (आईपीएस)
आईपीएस अधिकारी का कार्य कानून-व्यवस्था को कायम रखना, अपराधों पर रोक लगाना व तफ्तीश करना, यातायत नियंत्रित करना, वीआईपी सिक्योरिटी करना इत्यादि है। जिला स्तर पर आईपीएस अधिकारी यह कार्य आईएएस के साथ मिल कर करता है। अपना प्रोबेशन पूरा करने पर आईपीएस अधिकारी किसी सब-डिवीजन का असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस बनता है। किसी राज्य का पुलिस संगठन जिले, क्राइम ब्रांच, क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन विभाग (सीआईडी), होम गाड्र्स, पुलिस कंट्रोल रूम और ट्रैफिक जैसे विभिन्न विभागों में विभाजित रहता है। डेपुटेशन पर भेजे जाने पर वे इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी), सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन (सीबीआई), कैबिनेट सेक्रेटिरियेट सिक्योरिटी, बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स और सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स जैसे केद्रीय पुलिस संगठनों में भी अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं। एक आईपीएस अधिकारी राज्य सरकारों व केद्र सरकार दोनों के ही साथ काम करता है।
आईएएस की तरह ही इसमें भी कैडर प्रणाली होती है।
इंडियन फॉरेन सर्विस (आईएफएस)
इंडियन फॉरेन सर्विस एक सेंट्रल सर्विस है और देश की सबसे बड़ी विदेश सेवा है। आईएफएस मुख्य रूप से देश का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करता है। इंडियन फॉरेन सर्विस देश के विदेशी मामलों की देखरेख करता है जिसमें कूटनीति, वाणिज्य और सांस्कृतिक संबंध शामिल हैं। इस सेवा का अधिकारी प्रशासन, वाणिज्य और सांस्कृतिक संबंधों के लिए उत्तरदायी होता है और इसके लिए वह सरकार की विदेश नीति को बनाने से लेकर क्रियान्वयन का काम करता है। साथ ही विदेश में भारतीय मिशनों के दिन-प्रतिदिन के काम को भी देखता है। इस सेवा के प्रोबेशनर सबसे पहले विदेश मंत्रालय में काम करते हैं तब इसके बाद उनकी नियुक्त किसी देश के भारतीय मिशन में की जाती है।
इस सेवा की सबसे खास बात है कि इसके अधिकारियों को विभिन्न देशों के राजनीतिक, सामाजिक, जातीय और सांस्कृतिक क्षेत्रों के बारे में काफी करीब से जानने का मौका मिलता है जो किसी अन्य सेवा में संभव नहीं है। एक आईएफएस अधिकारी विदेशों में स्थित कुल 160 भारतीय दूतावासों व मिशनों में तैनात किया जा सकता है।
इंडियन रेवेन्यू सर्विस (आईआरएस) इनकम टैक्स
इनकम टैक्स विभाग का काम देश में इनकम टैक्स का कलेक्शन करना है। इतना ही नहीं यह विभाग टैक्स चोरी के मामलों की जांच भी करता है। इस सेवा का सदस्य अपनी नौकरी की शुरुआत असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स के रूप में करते हैं और अंत में वे चीफ कमिशनर ऑफ इनकम टैक्स के स्तर पर भी पहुँच सकते हैं।
क्योंकि इस सेवा में कोई कैडर प्रणाली नहीं है इसलिए आपकी पोस्टिंग देश के किसी भी कोने में हो सकती है। साथ ही इस सेवा के अधिकारी औसतन एक जगह 3 वर्ष तक तैनात रहते हैं। इस मायने में यह सेवा अन्य सेवाओं से बेहतर है।
कस्टम्स एंड सेंट्रल एक्साइज सर्विस
इंडियन कस्टम्स एंड एक्साइज सर्विस मुख्य रूप से कस्टम्स और एक्साइज से संबंधित है। जहां कस्टम्स का संबंध देश के अंदर लाये जाने वाले करयोग्य वस्तुओं की छानबीन व ड्यूटी लगाने से है वहीं एक्साइज विभाग का संबंध देश के अंदर बनाये जाने वाली वस्तुओं पर कर लगाये जाने से है। इस सर्विस के अधिकारी अपने कॅरियर की शुरुआत असिस्टेंट कलेक्टर ऑफ कस्टम्स या सेंट्रल एक्साइज के रूप में करते हैं और अपने कॅरियर में वे चीफ कलेक्टर ऑफ कस्टम्स के स्तर तक पहुँच सकते हैं।
कस्टम सर्विस के प्रोबेशनर अपनी फील्ड ट्रेनिंग की शुरुआत चेन्नई से करते हैं जबकि एक्साइज अधिकारी अपनी सेवा की शुरुआत किसी भी मेट्रोपोलीटन शहर से कर सकते हैं।
इस सेवा का सबसे प्रमुख अधिकारी सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम्स का चेयरमैन होता है।
इंडियन ऑडिट एंड एकाउंट सर्विस
इंडियन ऑडिट एंड एकाउंट सर्विस देश के काम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल के अंतर्गत आती है। जिसकी मुख्य जिम्मेदारी राज्यों व केेंद्र सरकार के खातों की देखरेख करना होती है। इस सेवा के अधिकारी कैग के अंतर्गत ऑडिट ऑफिसों में कार्य करते हैं। इस सेवा की दो मुख्य शाखाएं हैं- इंडियन डिफेेंस एकाउंट्स सर्विस जिसका कार्य डिफेेंस सेवाओं के एकाउंट का ऑडिट करना होता है जबकि इंडियन सिविल एकाउंट्स सर्विस जो वित्त मंत्रालय के आधीन होती है, का मुख्य कार्य राज्य सरकारों, केेंद्र सरकार व पब्लिक सेक्टर यूनिट्स के एकाउंट्स का ऑडिट करना होता है।
इस सेवा के अधिकारी फाइनेंसियल एडवाइडर्स, चीफ एकाउंट्स ऑफिसर, चीफ इंटरनल ऑडिट आफिसर्स के रूप में काम करते हैं।प्रोबेशन के दौरान इस सेवा के अधिकारी असिस्टेंट एकाउंटेंट जनरल के रूप में काम करते हैं।
इंडियन रेलवे ट्रैफिक सर्विस (आईआरटीएस)
इंडियन रेलवे ट्रैफिक सर्विस भारत सरकार की एक संगठित ग्रुप ए सेवा है। इस सेवा के अधिकारियों का मुख्य कार्य रेलवे के ट्रैफिक का संचालन करना होता है। इसमें ऑपरेशनल व कॉमर्शियल पहलू दोनों ही शामिल होते हैं। आईआईटीएस रेलवे की कुल 9 सेवाओं में से एक है और सबसे ज्यादा प्रतिष्ठित भी है। ऑल इंडिया सर्विस होने की वजह से इस सेवा के अधिकारी देश के किसी भी कोने में तैनात किए जा सकते हैं।
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