एक समय ऐसा था, जब लॉयर्स को केवल कोर्ट रूम में जिरह करते हुए प्रोफेशनल्स के तौर पर देखा और जाना जाता था, लेकिन हाल के वर्र्षो में इस फील्ड में काफी चेंज आया है और नए-नए एरिया भी जुड़ते जा रहे हैं। इस फील्ड में आने वाले अवारों को देखते हुए स्टूडेंट्स का रुझान 'कॉरपोरेट लॉ' की तरफ खूब देखा जा रहा है। ग्लोबलाइजेशन और प्राइवेटाइजेशन ने इस फील्ड की चमक को और बढ़ाया है। आप इस फील्ड में आते हैं, तो यहां नेम-फेम के अलावा, प्रोफेशनल्स की सैलरी भी काफी अच्छी होती है।
क्वालिफिकेशन
एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर प्रियंका गोयल के मुताबिक, इस फील्ड में एंट्री के लिए दो ऑप्शंस हैं। पहला, 12वींके बाद स्टूडेंट्स देश की टॉप लॉ यूनिवर्सिटीज से पांच वर्षीय इंटीग्रेटेड लॉ कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। कोर्स कंप्लीट होने के बाद आप बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन कराके लॉयर बन सकते हैं। दूसरा,
किसी भी सब्जेक्ट से ग्रेजुएशन करने के बाद तीन वर्षीय लॉ कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं।
लॉ से संबंधित एग्जाम
लॉ इंस्टीट्यूट्स में एडमिशन के लिए एंट्रेंस टेस्ट क्लीयर करना पड़ता है। कुछ एंट्रेंस एग्जाम इस तरह हैं..
कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट : इस एंट्रेंस टेस्ट को क्लैट के नाम से भी जाना जाता है। यह नेशनल लेवल का लॉ एग्जाम है। इसके जरिए देश की टॉप-14 लॉ यूनिवर्सिटीज में एडमिशन लिया जा सकता है। कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट में आमतौर पर इंग्लिश, लॉजिकल रीजनिंग, लीगल रीजनिंग, मैथमेटिक्स और जनरल नॉलेज से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं।
लॉ स्कूल एडमिशन टेस्ट : इसे एलसेट के नाम से भी जाना जाता है। जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल, यूपीईएस देहरादून, आईटीएम गुड़गांव आदि जैसे देश के करीब 60 लॉ कॉलेजों में इस एग्जाम के जरिए एंट्री मिलती है। इस एग्जाम में कॉम्प्रिहेंशन, एनालिटिकल रीजनिंग और लॉजिकल रीजनिंग से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं।
डीयू एलएलबी/एलएलएम : दिल्ली यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ लॉ में एडमिशन के लिए अलग से एंट्रेंस एग्जाम का आयोजन किया जाता है। इसके जरिए एलएलबी और एलएलएम जैसे कोर्स में एडमिशन लिया जा सकता है।
एसईटी सिंबायोसिस : इस एंट्रेंस टेस्ट के जरिए सिंबायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आने वाले लॉ इंस्टीट्यूट के अंडरग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन लिया जा सकता है।
यूएलएसएटी : यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम ऐंड एनर्जी स्टडी यूएलएसएटी आयोजित करती है। इस टेस्ट में पास होने के बाद बैचलर ऑफ लॉ, कॉरपोरेट लॉ, साइबर लॉ और इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स में एलएलबी किया जा सकता है।
कॉरपोरेट लॉयर
यह लीगल सर्विसेज का उभरता हुआ फील्ड है। कॉरपोरेट लॉयर्स की जरूरत कंपनीज के लीगल डिपार्टमेंट में होती है। यहां जूनियर कॉरपोरेट लॉयर के रूप में आपको कॉन्ट्रैक्ट्स की ड्रॉफ्टिंग, फाइल की तैयारी, मेमोरेंडम तैयार करना, सिक्योरिटी डिस्क्लोजर स्टेटमेंट्स तैयार करना होता है। इसके अलावा, लेबर इश्यू, एम्प्लॉयीज राइट्स, अमैल्गमेशन, स्पि्लट से रिलेटेड वर्क भी इन्हींके जिम्मे होता है। बड़े बिजनेस हाउसेज और गवर्नमेंट डिपार्टमेंट को भी कई जटिल कानूनी मामलों का सामना करना पड़ता है। इन्हें हल करने के लिए
कॉरपोरेट लॉयर्स की मांग बढ़ रही है। इनका कार्य कंपनी के संचालन में कानूनी नियमों का पालन सुनिश्चित करना, कंपनी से जुड़े मुकदमों की पैरवी आदि करना होता है। अगर संक्षेप में कहें, तो इनके कार्य को तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है। पहला, बिजनेस से संबंधित लीगर इश्यू के बारे में सलाह देना। दूसरा, सभी कॉन्ट्रैक्ट्स और उससे संबंधित डॉक्यूमेंट्स की ड्रॉफ्टिंग। तीसरा, लॉ और रेगुलेशन का अनुपालन करना। हालांकि कॉरपोरेट लॉयर्स एक से अधिक एरिया में स्पेशलाइज्ड हो सकते हैं, जैसे- टैक्स लॉ, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट आदि।
वर्क ऑप्शंस
आज कॉरपोरेट लॉयर्स की डिमांड बिजनेस हाउसेज के अलावा लॉ फर्म्स में भी खूब हैं। इसके अलावा, इनके लिए टीचिंग का ऑप्शन भी खुला रहता है। इस फील्ड से जुड़े प्रोफेशनल्स इंवेस्टमेंट बैंकिंग में भी करियर बना सकते हैं। कॉरपोरेट हाउसेज के अलावा, बड़ी अकाउंटिंग फर्म, जैसे-प्राइसवाटरहाउसकूपर्स और केपीएमजी में भी करियर की तलाश कर सकते हैं। साथ ही, कई बड़ी ग्लोबल लॉ फर्म भी भारत आने को तैयार है। यहां भी कॉरपोरेट लॉयर्स के लिए कार्य करने का अच्छा मौका हो सकता है। इन दिनों कॉरपोरेट लॉयर्स की डिमांड केवल भारत में ही नहीं, विदेश में भी जबरदस्त है। अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में कॉरपोरेट लॉयर्स की डिमांड इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि वहां की तुलना में भारतीय लीगल प्रोफेशनल्स की फीस कम होती है।
सैलरी पैकेज
इस फील्ड में फ्रेशर्स 3-12 लाख रुपये सालाना सैलरी की उम्मीद कर सकते हैं। आप इससे ज्यादा सैलरी भी प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन यह आपके एजुकेशनल बैकग्राउंड और कंपनी पर भी डिपेंड करता है।