अक्सर माता-पिता के दिमाग में यह चिंता बनी रहती है कि सारा दिन स्कूल की पढ़ाई में व्यस्त रहने के बाद भी अगर बच्चों को किन्हीं एक्स्ट्रा करीकुलर गतिविधियों में शामिल किया जाए तो क्या उनकी अकादमिक परफॉरमेंस खराब नहीं होगीl तो अगर हम यहाँ बात करें वर्ष 2017 में सीबीएसई कक्षा 12वीं में आल इंडिया टॉप्पर बनने वाली छात्रा रक्षा गोपाल की जो एक बेहतरीन पियानोवादक हैं और इन्होंने ट्रिनिटी कॉलेज ऑफ म्यूजिक, लंदन से पांचवें दर्जे का सर्टिफिकेट भी हासिल किया है , तो शायद सभी पेरेंट्स को अपने सवाल का उत्तर मिल जाना चाहिएl दरअसल समय का सही प्रबंधन किया जाए तो हर काम आसानी से हो सकता हैl वहीं स्कूली शिक्षा के आलावा एक्स्ट्रा करीकुलर गतिविधियों की बात की जाए तो इनसे विद्यार्थी का मानसिक तनाव तो कम होता ही है साथ ही शारिरिक तंदरुस्ती भी बरक़रार रहती हैl इससे विद्यार्थियों के काम काज के तरीके और व्यव्हार में काफी सुधार आता हैl यही वजह है कि गैर-अकादमिक गतिविधयों में सक्रिय रहने वाले विद्यार्थियों को एडमिशन व जॉब के दौरान पहल दी जाती हैl
आइए यहाँ जानते हैं कि एक्स्ट्रा करीकुलर एक्टिविटीज़ का विद्यार्थियों के जीवन में क्या है महत्त्व और किस प्रकार इनसे अकादमिक परफॉरमेंस होती है बूस्ट:
1. पढ़ाई से थके दिमाग के लिए एनर्जी बूस्टर का करती हैं काम
स्कूल के बाद एक्स्ट्रा करीकुलर एक्टिविटीस विद्यार्थी के लिए एनर्जी ब्रेक का काम करती हैं जिससे आपका दिमाग फ्रेश फील कर पाता हैl चाहे कोई गेम खेलना हो, स्पोर्ट्स खेलना हो, अपनी हॉबी को फॉलो करना हो या संगीत सुनना या गुनगुनाना हो, विद्यार्थी अपनी पसंदीदा एक्टिविटी को अपनाकर अपनी दिमागी थकान को दूर कर सकते हैंl इससे वे टी.वी. या कंप्यूटर के सामने बैठ कर फालतू की वीडियोस या कन्टेन्ट देखने से बभी बच पाते हैंl
2. समय का सही प्रबंधन सीखने में मिलती है मदद
एक्स्ट्रा करीकुलर एक्टिविटीस में शामिल होने वाले छात्रों को यह बात समझ आ जाती है कि वे किस प्रकार अपनी पढ़ाई और अन्य गतिविधियों में संतुलन बनाके रखें ताकि किसी एक की वजह से दूसरे में परफॉरमेंस प्रभावित न होl
3. विद्यार्थी अपने भीतर छुपी विभिन्न रुचियों को कर पाते हैं एक्स्प्लोर
चाहे स्कूल का ड्रम बैंड हो, ड्रामा क्लीब हो या कोई स्पोर्ट्स हो, किसी भी एक्टिविटी में बच्चों की रूचि हो सकती हैl ज़रूरत है तो पेरेंट्स की तरफ़ से थोड़े प्रोत्साहन की जिससे बच्चा अपनी मनपसंद एक्टिविटी में शामिल होकर अपने पैशन को एक नया रूप दे सकेl अपनी पसंदीदा एक्टिविटी में सफलतापूर्वक आगे बढ़ने पर बच्चे के उत्साह में बढ़ावा होता हैl
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4. विद्यार्थी के आत्मविश्वास में होती है वृद्धि
नई स्किल्स में महारत हासिल करने से विद्यार्थी के आत्मविश्वास में बढ़ोतरी आती हैl स्कूल के बाद अपनी पसंदीदा एक्टिविटीस में शामिल होकर और उसमे बेहतरीन प्रदर्शन करके विद्यार्थी में भरपूर उत्साह आता है जो पूंजी के रूप में आजीवन उसके साथ रहता है और हर क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करता हैl
5. एक उचित गोल निर्धारित करने में मिलती है मदद
नॉन-अकादमिक एक्टिविटीस में शामिल होकर विद्यार्थी अपने लिए मौजूद विभिन्न प्रकार के अवसरों से परिचित हो पाता है जो आगे चलके उसके लिए परमानेंट करियर का रूप भी ले सकते हैंl ज़्यादातर गैर-अकादमिक गतिविधियाँ गोल-ओरिएंटेड यानि लक्ष्य उन्मुखी होती हैं, इसमें चाहे बात स्कूल के नाटक में मुख्य एक्टर का रोल अदा करने की हो, स्कूल के क्रिकेट टीम में रहते स्टेट चैंपियनशिप जीतने की हो या साइंस फेयर में स्टेट लेवल पे विजेता बनने की होl इस प्रकार ये सब एक्टिविटीज़ विद्यार्थी को फन और एनर्जी ब्रेक तो देती ही हैं साथ ही उसे अपने की ओर अग्रसर रहने के लिए प्रोत्साहित भी करती हैंl
6. विद्यार्थियों सीखते हैं टीम वर्क स्पिरिट
स्पोर्ट्स टीम, क्लब एक्टिविटीज़ जैसे कि नाटक, म्यूज़िक, डांस, आदि में विद्यार्थियों को एक कॉमन लक्ष्य के लिए एक दूसरे के साथ मिलकर काम करना पड़ता हैl ऐसे कार्यक्रमों में हिस्सा लेने से विद्यार्थियों के भीतर उन स्किलज़ को बढ़ावा मिलता है जो एक दुसरे के साथ रहते हुए सफ़लतापूर्वक काम करने के लिए प्रेरित करती हैंl इसके साथ ही, इन गैर-अकादमिक गतिविधियों की वजह से विद्यार्थियों को आपसी ताल-मेल करने का मौका मिलता है जिससे वे दूसरों के साथ आपसी रिश्ते मज़बूत करना सीखते हैंl
7. नौकरी के क्षेत्र में मिलती है परेफरेंस
एक्स्ट्रा करीकुलर एक्टिविटीज़ जॉब-सर्च के दौरान विद्यार्थी के रिज्यूमे में जुड़कर उसके स्किल्स और रुचियों का सबूत पेश करती हैं जिससे एम्प्लायर पर अच्छा प्रभाव पड़ता हैl इसके आलावा विभिन्न गतिविधियों में विद्यार्थी की सह-भागिता उसके भीतर की टीम-वर्क, अनुशासन, रेगुलारिटी की स्पिरिट को उजागर करती है जिससे साफ़ होता है कि कैंडिडेट कंपनी के लक्ष्य प्राप्ति के लिए ज़रूरी
प्रतिबद्धताओं (commitments) और टीम-वर्क को एक साथ लेकर चलने वाला अच्छा रिसोर्स साबित हो सकता हैl
निष्कर्ष
आज के समय में मात्र किताबी ज्ञान होना काफी नहीं है बल्कि बढ़ते कम्पटीशन के युग में एक कदम आगे रहने के लिए हर व्यक्ति के पास एडिशनल स्किल्स का होना बेहद ज़रूरी हो गया है जो कि विद्यार्थी स्कूल में रहते एक्स्ट्रा करीकुलर एक्टिविटीज़ में हिस्सा लेकर प्राप्त कर सकते हैंl
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