रैगिंग शब्द सुनते ही अधिकांश कॉलेज स्टूडेंट्स के मन में एक भय सा उत्पन्न हो जाता है. अलग-अलग तरह के ख्याल उनके मन में आने लगते हैं. कई स्टूडेंट्स तो रैगिंग के डर से शुरूआती दिनों में कॉलेज भी नहीं जाते. हालांकि रैगिंग की शुरुआत कॉलेज में पहले से पढ़ रहे छात्रों द्वारा कॉलेज में आने वाले नए छात्रों के स्वागत तथा उनसे मिलने जुलने और परिचय बढ़ाने की कोशिश में हुई थी.
पर आजकल रैगिंग कुछ उदंड छात्रों द्वारा, नए छात्रों को तंग करने और मजाक बनाने का जरिया हो चुका है. रैगिंग के अनुचित उपयोग के चलते यह नए छात्रों के मानसिक तथा शारीरिक उत्पीड़न का रूप ले चुका है,जिसकी वजह से यह छात्रों के लिए भय का एक कारण बन गया.
लेकिन इससे घबड़ाने की जरुरत नहीं है. हर कॉलेज स्टूडेंट को खुले दिल और दिमाग से अपने कॉलेज की शुरुआत करनी चाहिए. आपको अपने सीनियर से मिलकर उनसे अपना परिचय बढ़ाना चाहिए. इससे सीनियर्स के बीच आपकी छवि अच्छी बनेगी. लेकिन अगर कोई आपके साथ जोर जबरजस्ती करता है तो उसे चुपचाप सहन नहीं कीजिये, तत्काल उस विषय में कॉलेज प्रशासन तथा अपने माता पिता को सूचित कीजिये.

हर कॉलेज में एंटी-रैगिंग स्क्वाड होता है, जो छात्रों के साथ की जाने वाली रैगिंग पर नजर रखते हुए दोषी छात्रों पर उपयुक्त कार्रवाई करता है. आजकल छात्रों की सुविधा के लिए कॉलेज प्रशासन द्वारा हेल्पलाइन नंबर भी प्रदान किया जाता है जिनकी जरूरत पड़ने पर मदद ली जा सकती है.
आइये कुछ कॉलेज स्टूडेंट्स से जानते हैं कि वे रैगिंग को लेकर कितने सजग हैं ?
छात्र के लिए सवाल – सीनियर्स ज्यदातर इंट्रोडक्शन के बहाने जूनियर स्टूडेंट्स की रैगिंग करते हैं. क्या आपको भी ऐसा कोई अनुभव है ?
छात्र का जवाब- मेरा इस सम्बन्ध में अनुभव अच्छा नहीं रहा है. रैगिंग के नाम पर मेरे सीनियर्स ने मुझसे बुरा बर्ताव किया. वो मुझे अलग अलग नामों से पुकारते थे, जो मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगता था.
छात्र के लिए सवाल – कॉलेज स्टूडेंट्स पर रैगिंग के क्या प्रभाव हो सकते हैं ?
छात्र का जवाब – अधिकांश मामलों में कॉलेज स्टूडेंट्स पर रैगिंग का प्रभाव बहुत बुरा होता है. बहुत सारे स्टूडेंट्स तो इसकी वजह से डिप्रेशन में आ जाते हैं. कभी कभी तो इस रैगिंग की वजह से छात्र आत्महत्या तक करने को मजबूर होते हैं.
छात्र के लिए सवाल – कॉलेज में रैगिंग के कल्चर को तोड़ने के लिए कौन कौन से कदम उठाये जाने चाहिए ?
छात्र का जवाब – इसके लिए सबसे पहले तो सीनियर्स से ही बात करनी चाहिए. अगर वे नहीं सुने तो फैकल्टी से इस विषय में बात करनी चाहिए. अगर फैकल्टी कुछ नहीं कर पाए तो हायर ऑथोरिटी के पास जाना चाहिए और तब भी बात न बने तो पुलिस कम्प्लेन करनी चाहिए.
छात्र के लिए सवाल – क्या आप नेशनल एंटी रैगिंग हेल्पलाइन की सुविधा के बारे में जानते है ?
छात्र का जवाब- पहले तो हमें इस विषय में पता नहीं था लेकिन कॉलेज में एडमिशन लेने के बाद हमें नेशनल एंटी रैगिंग हेल्पलाइन की सुविधा के बारे में जानकारी हुई. यदि कोई स्टूडेंट रैगिंग का शिकार है, तो वह नेशनल एंटी रैगिंग हेल्पलाइन के पोर्टल पर जाकर अपनी शिकायत दर्ज कर सकता है और समय रहते इस समस्या से निजात पा सकता है. इसके लिए स्टूडेंट्स एंटी रैगिंग हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
भारत सरकार द्वारा एक राष्ट्रीय एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन लॉन्च की गई है. रैगिंग से सम्बंधित अपनी शिकायत दर्ज करने के लिए छात्र helpline@antiragging.in पर ईमेल भेज सकते हैं या फिर हेल्पलाइन नंबर 1800-180-5522 पर कॉल भी कर सकते हैं. अपना नाम बताये बिना भी स्टूडेंट्स शिकायत दर्ज करा सकते हैं. पंजीकृत शिकायतों पर हेल्पलाइन द्वारा प्रभावी कार्रवाई की जाती है.
इसलिए रैगिंग की समस्या को खत्म करने के लिए कॉलेज में एडमिशन लेने के बाद छात्रों को रैगिंग के सम्बन्ध में सजग रहना चाहिए और अगर उनके साथ ऐसा होता है तो अवश्यक और प्रभावी कदम उठाया जाना चाहिए.
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छात्र के लिए सवाल – सीनियर्स ज्यदातर इंट्रोडक्शन के बहाने जूनियर स्टूडेंट्स की रैगिंग करते हैं. क्या आपको भी ऐसा कोई अनुभव है ?
छात्र का जवाब- मेरा इस सम्बन्ध में अनुभव अच्छा नहीं रहा है. रैगिंग के नाम पर मेरे सीनियर्स ने मुझसे बुरा बर्ताव किया. वो मुझे अलग अलग नामों से पुकारते थे, जो मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगता था.
छात्र के लिए सवाल – कॉलेज स्टूडेंट्स पर रैगिंग के क्या प्रभाव हो सकते हैं ?
छात्र का जवाब – अधिकांश मामलों में कॉलेज स्टूडेंट्स पर रैगिंग का प्रभाव बहुत बुरा होता है. बहुत सारे स्टूडेंट्स तो इसकी वजह से डिप्रेशन में आ जाते हैं. कभी कभी तो इस रैगिंग की वजह से छात्र आत्महत्या तक करने को मजबूर होते हैं.
छात्र के लिए सवाल – कॉलेज में रैगिंग के कल्चर को तोड़ने के लिए कौन कौन से कदम उठाये जाने चाहिए ?
छात्र का जवाब – इसके लिए सबसे पहले तो सीनियर्स से ही बात करनी चाहिए. अगर वे नहीं सुने तो फैकल्टी से इस विषय में बात करनी चाहिए. अगर फैकल्टी कुछ नहीं कर पाए तो हायर ऑथोरिटी के पास जाना चाहिए और तब भी बात न बने तो पुलिस कम्प्लेन करनी चाहिए.
छात्र के लिए सवाल – क्या आप नेशनल एंटी रैगिंग हेल्पलाइन की सुविधा के बारे में जानते है ?
छात्र का जवाब- पहले तो हमें इस विषय में पता नहीं था लेकिन कॉलेज में एडमिशन लेने के बाद हमें नेशनल एंटी रैगिंग हेल्पलाइन की सुविधा के बारे में जानकारी हुई. यदि कोई स्टूडेंट रैगिंग का शिकार है, तो वह नेशनल एंटी रैगिंग हेल्पलाइन के पोर्टल पर जाकर अपनी शिकायत दर्ज कर सकता है और समय रहते इस समस्या से निजात पा सकता है. इसके लिए स्टूडेंट्स एंटी रैगिंग हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.