ठेकुआ खाने के चक्कर में शुरू की थी पढ़ाई, अब राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री से किए गए सम्मानित; पढ़ें HC Verma की रोचक कहानी

बिहार का एक ऐसा लड़का जिसका मन कभी पढ़ाई में नहीं लगता था, लेकिन ठेकुए ने सारी कहानी ही बदल डाली। आइए जानते हैं पद्मश्री से सम्मानित एचसी वर्मा की रोचक कहानी।

ठेकुआ खाने के चक्कर में शुरू की थी पढ़ाई, अब राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री से किए गए सम्मानित; पढ़ें HC Verma की रोचक कहानी
ठेकुआ खाने के चक्कर में शुरू की थी पढ़ाई, अब राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री से किए गए सम्मानित; पढ़ें HC Verma की रोचक कहानी

भौतिक विज्ञान समझने के लिए हम सभी ने कभी न कभी HC Verma की किताब  'कॉन्सेप्ट्स ऑफ़ फ़िज़िक्स' (Concept of Physics) ज़रूर पढ़ी होगी और अगर नहीं पढ़ी तो इसके बारे में सुना ज़रूर होगा। आईआईटी कानपुर के पूर्व प्रोफेसर हरिश्चंद्र वर्मा की ये किताब इंजीनियरिंग से लेकर स्कूली बच्चों के बीच किसी धर्मग्रंथ से कम नहीं है। 

भौतिक विज्ञान की परिभाषाओं, सूत्रों, सवालों व नियमों को आसान बनाने वाले एचसी वर्मा को हाल ही में भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्हें पद्मश्री देने की घोषणा साल 2020 में ही कर दी गई थी, लेकिन कोरोना काल के चलते उन्हें इस सम्मान से अब नवाज़ा गया है।

कक्षा 6 से शुरू की औपचारिक शिक्षा

भौतिकी शिक्षा में क्रांति लाने वाले एचसी वर्मा का जन्म 8 अप्रैल 1952 को बिहार के दरभंगा में हुआ था। उनका अधिकतर बचपन पटना में बीता और यहीं से उन्होंने शिक्षा ग्रहण की। आपको जानकर हैरानी होगी कि एचसी वर्मा ने अपनी औपचारिक शिक्षा सीधे कक्षा 6 में दाखिला लेकर आरंभ की थी।  

इस प्रकार पढ़ाई में लगने लगा मन

पढ़ाई में ज़्यादा रूचि न रखने वाले एचसी वर्मा का एक रोचक घटना के बाद पढ़ाई में  मन लगने लगा। इस रोचक घटना का एचसी वर्मा ने एक इंटरव्यू के दौरान ज़िक्र किया था। 

एचसी वर्मा बताते हैं कि उनकी मां ने उन्हें हर घंटे दो ठेकुआ देने की बात कही थी, लेकिन शर्त ये थी कि उन्हें कॉपी-किताब लेकर बैठना होगा। मां ने पढ़ने की कोई शर्त नहीं रखी थी, लिहाजा एचसी वर्मा को लगा कि ये काम तो वह आसानी से कर सकते हैं। लेकिन बंद कमरे में 10-15 मिनट बीत जाने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि यह उतना भी आसान नहीं है जितना उन्हें प्रतीत हो रहा था। 

बोर होने से बचने के लिए उन्होंने किताब के पन्ने पलटने शुरू कर दिए और पहली बार बहुत ध्यान से किताब में लिखी चीज़ों को पढ़ने लगे। पढ़ते-पढ़ते उन्हें महसूस हुआ कि पढ़ाई-लिखाई उतनी भी बुरी नहीं है और यहीं से उनके अब तक के सफर की शुरूआत हुई।

उस महीने एचसी वर्मा को खूब ठेकुए मिले और उन्होंने परीक्षा भी अच्छे अंकों से उत्तीर्ण की। इसके बाद एचसी वर्मा ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और नई ऊंचाइयों को छूते चले गए। 

एचसी वर्मा की शैक्षिक योग्यता

बिहार के पटना से 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद एचसी वर्मा ने बीएससी की पढ़ाई की और टॉप थ्री टॉपर्स में से एक रहे। इसके बाद वह कानपुर गए और आईआईटी कानपुर से एमएससी और पीएचडी की पढ़ाई पूरी की।  

डॉक्टरेट करने के बाद शिक्षक बनने तक का सफर 

सन् 1979 में उन्होंने शिक्षक बनने की ठानी और जिस कॉलेज से स्नातक किया था, पटना के उसी कॉलेज में पढ़ाने चले गए। 15 साल वहां पर पढ़ाने के बाद सन् 1994 में उन्होंने आईआईटी कानपुर का रुख किया और अपने रिटायरमेंट तक (30 जून 2017) वहीं पर पढ़ाते रहे। वर्तमान में वह इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजिक्स टीचर्स (IAPT) की कार्यकारी समिति के सदस्य हैं। यह समिति  स्कूलों और कॉलेजों में भौतिकी शिक्षा के लिए काम करती है। 

'कॉन्सेप्ट्स ऑफ़ फ़िज़िक्स' लिखने का आइडिया

एचसी वर्मा शायद इकलौते ऐसे लेखक हैं जिनकी एकेडेमिक्स की किताब को देशभर में इतनी ज़्यादा प्रसिद्धि मिली। इस पुस्तक को लिखने का आइडिया उन्हें पटना के कॉलेज में पढ़ाते वक्त आया। उस वक्त भौतिक विज्ञान की ज़्यादातर पुस्तकें या तो अंग्रेज़ी में थीं या फिर अनका अन्य भाषाओं से अंग्रेज़ी में अनुवाद किया गया था। इस वजह से गांव और छोटे शहरों के बच्चों को न तो भौतिक विज्ञान के कॉन्सेप्ट समझ आते थे और ना ही भाषा। 

छात्रों की इस सम्स्या को हल करने के लिए एचसी वर्मा ने आठ साल की मेहनत के बाद 'कॉन्सेप्ट्स ऑफ़ फ़िज़िक्स' का पहला संस्करण छपवाया और उसके बाद तो लगभग हर साल इसके नए संस्करण छपते हैं।

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