कॉम्पिटिशन की इंपॉर्टेस
कॉम्पिटिशन कई तरह से जरूरी है। इसकी सबसे बडी खासियत है कि इससे कंपनियों को स्कि्ल्ड एंप्लाई तो मिलते ही हैं, साथ ही इसके जरिए इंस्टीट्यूट्स को बेहतरीन स्टूडेंट्स भी मिल जाते हैं, जिनकी उन्हें तलाश रहती है। एवरेज में से गुड, गुड में से बेटर और बेटर में से बेस्ट का सेलेक्शन केवल कॉम्पिटिशन से ही किया जा सकता है। नंबर ऑफ सीट्स और नंबर ऑफ कैंडिडेट्स को देखते हुए सेलेक्शन का इससे बेस्ट ऑप्शन और कोई हो ही नहीं सकता।
अर्न फ्रॉम मिस्टेक्स
हमें आगे बढना है, तो किसी न किसी को तो अपना कॉम्पिटिटर बनाना ही पडेगा। कॉम्पिटिशन चाहे कॉलेज में एंट्री के लिए हो, अच्छी जॉब के लिए हो और या फिर पर्सनल लाइफ में आगे बढने के लिए। इससे हमें सभी में इंप्रूवमेंट करने का चांस मिलता है। हम दूसरों के स्ट्रगल्स और उनकी सक्सेस स्टोरीज से सीखते हैं, फिर उन्हें अपनी लाइफ में भी अप्लाई करने की कोशिश करते हैं। साथ ही अपनी कमियों को पहचान कर और उन्हें दूर कर आगे बढ जाते हैं। गलतियों से लर्निग का बेस्ट फार्मूला कॉम्पिटिशन ही है। चाहे अच्छा करें या बुरा, कॉम्पिटिशन से हमें कुछ न कुछ सीखने को जरूर मिलता है।
पॉजिटिवली लें कॉम्पिटिशन
कॉम्पिटिशन टफ होता है और इसमें सभी को सक्सेस नहीं मिलती। बहुत से लोग असफल होकर डिपे्रशन का शिकार बन जाते हैं। वे आगे की तैयारी पर अधिक ध्यान नहीं देते। ऐसे में जिस पोजीशन पर वे खडे होते हैं, उससे भी नीचे आ जाते हैं। यहीं से शुरू होता है उनका डाउनफॉल। एक अच्छे यूथ को हर कॉम्पिटिशन पॉजिटिव वे में लेना चाहिए। हार और जीत तो लगी ही रहती है। यहां हमें ध्यान रखना चाहिए कि अगर हमें यह लगे कि हम जिस फील्ड में स्ट्रगल कर रहे हैं, उसमें सक्सेस नहीं मिलेगी तो दूसरी फील्ड में जाकर भी ट्राई कर सकते हैं। यह बात हमेशा याद रखिए कि अगर कहीं एक दरवाजा बंद होता है, तो एक खिडकी भी खुलती है। कई बार असफलता से ही सफलता की कहानी लिखी जाती है। कॉन्फिडेंस रखें, सक्सेस एक न एक दिन जरूर मिलती है।
पहचानें कॉम्पिटिशन को
लाइफ में कॉम्पिटिशन बहुत सी जगहों पर होता है लेकिन बहुत सी जगहों पर इसे सही भी नहीं माना जा सकता। हमें वहीं कॉम्पिटिशन करना है, जहां हम कर सकते हैं, जहां से हम कुछ सीख सकते हैं। किसी भी कॉम्पिटिशन से पहले इन बातों पर गौर करें, हमारी कैपेसिटी कितनी है, अर्निग पॉवर क्या है, एज क्या है और फैमिली बैकग्राउंड कैसी है? हम इसमें मैच नहीं कर रहे हैं, तो कॉम्पिटिशन का कोई फायदा नहीं है।
चूज राइट डायरेक्शन
कॉम्पिटिशन हमेशा राइट डायरेक्शन में ही होना चाहिए। जब हम कॉम्पिटिशन में अपनी कमियों को पहचान कर दूर करने की कोशिश करते हैं, कुछ ऐसा नया सीखते हैं, जिसका बेनिफिट हमें आगे मिले तो उसे राइट कॉम्पिटिशन कहा जाता है।
दूसरी ओर कई बार कॉम्पिटिशन व्यक्तिगत विद्वेष की भावना भी ला देता है। हम अपने कॉम्पिटिटर को उस फील्ड में भी डैमेज करने की कोशिश करने लगते हैं, जहां हमारी उससे कोई प्रतिद्वंद्विता नहीं है। इस तरह का कॉम्पिटिशन खतरनाक होता है और इससे कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता है।
थिंक बिफोर रन
जब हम दौडते हैं, तो हमें पता रहता है कि हमारा टारगेट क्या है, हमें कहां तक भागना है। लाइफ भी कुछ ऐसी ही है, लेकिन वहां हमें अपने टारगेट तक पहुंचने से पहले कई बार रुक कर सोचना पडता है कि हमारा टारगेट गलत तो नहीं है। हो सकता है कि हमें आसपास की चीजों का मूल्यांकन करना पडे, स्ट्रेटेजी बदलनी पडे। तब कहीं सक्सेस हमारे हाथ लगती है।
Comments
All Comments (0)
Join the conversation