मैनेजमेंट छात्रों के लिए एमबीए प्लेसमेंट सीजन शायद उनके एकेडमिक करियर का सबसे महत्वपूर्ण चरण होता है. इस चरण में उनका परफॉर्मेंस प्रोफेशनल करियर की सफलता या विफलता को पूरी तरह से निर्धारित करता है. लेकिन जब बात रिक्रूटमेंट की आती है तो रिक्रूटर्स सिर्फ उम्मीदवारों की योग्यता तथा मैनेजेरियल स्किल्स पर ही अपना ध्यान नहीं देते बल्कि वे हायरिंग के दौरान उनकी गलत आदतों तथा अन्य विशेषताओं पार भी पैनी नजर रखते हैं. इसलिए छात्रों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपने स्किल्स की पोर्टफोलियों बनाने के अतिरिक्त अपनी उन बुरी आदतों का भी त्याग कर दें जिसकी वजह से उन्हें 6 फिगर वाली सैलरी मिलने में कठिनाई हो सकती है.
आप में से वैसे छात्र जो पीपीटी की भाषा में किसी तथ्य को समझने में रूचि रखते हैं वे नीचे दिए गए सफलता तथा असफलता के सूत्रों को देखकर उसे आसानी से समझ सकते हैं.
हमेशा याद रखिये कि एमबीए प्लेसमेंट के दौरान आपको अपनी कुछ गलत आदतों के कारण परेशानी उठानी पड़ सकती है या फिर आपके प्लेसमेंट में समस्या हो सकती है.
इसलिए अपने रिक्रूटमेंट को और आसान बनाने के लिए आइए ऐसे ही कुछ 5 बुरी आदतों पर नजर डालते हैं जिससे एमबीए उम्मीदवारों को हमेशा दूरी बनाये रखना चाहिए.
1. कल पर कोई भी कार्य न छोड़ें
Source: pinterest.com
कोई भी कार्य कल पर न छोड़े. यह बात बिलकुल सही है कि किसी कार्य को भविष्य पर छोड़ना उस मौके को गंवाने के बराबर होता है.भावी मैनेजर के रूप में छात्रों को अपने समक्ष आने वाली सभी चुनौतियों को सहर्ष स्वीकार करने की कोशिश करनी चाहिए. अपने सभी असाइंमेंट्स को निर्धारित समय के भीतर ही पूरा करने की हर संभव कोशिश करनी चाहिए. हायरिंग करते समय रिक्रूटर्स छात्रों के सभी क्वालिटिज को परखते समय उनके एकेडमिक्स पर भी बहुत ध्यान से गौर करते हैं. एमबीए करते समय कभी कभी आपके ऊपर कई असाइंमेंट पूरा करने का कार्य एक ही बार आ जाता है. इससे घबराएं नहीं. धैर्य के साथ सभी काम को निश्चित समय पर पूरा करें.
समय-समय पर आपके प्रोफेसरों की टिप्पणियां एमबीए प्लेसमेंट सीजन के दौरान रिक्रूट करने वालों को प्रभावित करने में आपकी सहायता करेंगी.
2. सोशल मीडिया : इसका उपयोग क्रिएटिव रूप में करें
सोशल मीडिया 21 वीं शताब्दी का एक बहुत ही शक्तिशाली टूल है जो लोगों, मार्केटर्स और ब्रांडों को बिना किसी व्यवधान के वैश्विक मोर्चे पर खुद को जोड़ने, बाजार बनाने और प्रचार करने में मदद करता है. लेकिन इसके कुछ दुष्परिणाम भी है. यह एक आधुनिक सामजिक रोग बन चुका है. सोशल मीडिया पर लोग अपना बहुत समय बर्बाद करते हैं.मुख्य कार्य पर फोकस करने की बजाय सारा समय व्यर्थ की बातों पर खर्च करते हैं.
हालांकि, अपने इंडस्ट्री से दूसरों को जोड़ने के लिए लिंक्डइन और फेसबुक का उपयोग करना बहुत अच्छा है, जबकि अन्य जिम्मेदारियों को अनदेखा करते समय सोशल मीडिया पर बहुत अधिक समय खर्च करना सही नहीं है. यदि इस बात का ख्याल नहीं रखा गया तो आप बर्बाद हो सकते हैं. हायरिंग के समय रिकूटर्स आपके सोशल मिडिया पर इंगेजमेंट को भी विभिन्न माध्यमों से जांचते हैं. अतः इस विषय में सचेत रहें अन्यथा निश्चित रूप से अपने प्रोफेशनल लाइफ में आपको हानि उठानी पड़ेगी.
3. सही इमेल ड्राफ्ट नहीं कर पाना
एमबीए की पढ़ाई के दौरान आपको यह बात पूरी तरह से मालूम हो गयी होगी कि कार्पोरेट वर्ल्ड में कम्युनिकेशन पूरी तरह इमेल्स के माध्यम से ही होता है.यह कम्युनिकेशन का सबसे सुविधाजनक और प्रामाणिक औपचारिक तरीका है. ई-मेल के माध्यम से उचित कम्युनिकेशन बनाए रखने की कला भविष्य के मैनेजर्स के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और रिक्रूटर्स इसे महसूस भी करते हैं. इसलिए एक एमबीए उम्मीदवार के रूप में छात्रों को बिजनेस कम्युनिकेशन की पूर्ण जानकारी होनी चाहिए तथा इसे उन्हें हल्के में नहीं लेना चाहिए.
ई-मेल कम्युनिकेशन आपको ऊंचाइयों तक पहुंचने में मदद कर सकता है और सफलतापूर्वक करियर की सीढ़ी पर चढ़ने में उत्प्रेरक का कार्य कर सकता है.
Source: pinterest.com
4. एस बॉस होना हमेशा सही नहीं होता
एक बात हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि कार्पोरेट वर्ल्ड में प्रोग्रेस के लिए यस बॉस होना बहुत ज़रूरी है.लेकिन हर जगह यस बॉस होना लाभदायक नहीं होता है. यदि आप एक एमबीए उम्मीदवार के रूप में इन्टरव्यू दे रहे हैं तथा इंटरव्यूअर की हर बात में हामी भरते जा रहे हैं तो यह सही नहीं है.सिर्फ अपने रिक्रूटमेंट के लिए इंटरव्यूअर की हर बात मान लेना सर्वथा गलत है. कुछ मामलों में आपका अलग विचार हो सकता है. कभी कभी इंटरव्यूअर आपकी दृढ इच्छाशक्ति तथा निर्णय लेने की क्षमता की जाँच के लिए आपके विपरीत राय वाले सवाल आपसे पूछते हैं और यह जानना चाहते हैं कि आपमें किसी से असहमत होने का साहस है या नहीं. इससे आपके निर्णय लेने तथा उसपर डंटे रहने की प्रवृति का पता चलता है.
5. बचत की आदत नहीं होना
यदि आप एक इंटरप्रेन्योर बनना चाहते हैं तो आपके लिए बचत की आदत बहुत जरुरी है. फिजूलखर्ची से बचें.एक नया व्यापर शुरू करने के लिए पूंजी की आवश्यकता होती है. बचत के माध्यम से ही पूंजी इकठ्ठा किया जा सकता है.वास्तविक धन बचत और निवेश के माध्यम से ही बनाया जाता है. याद रखें कभी भी संपत्ति को बर्बाद करके इसे नहीं बनाया जा सकता है.
वॉरेन बुफेट एक बहुत प्रसिद्ध उद्धरण है-
नियम संख्या 1: कभी भी पैसा न खोएं.
नियम संख्या 2: नियम संख्या 1 को कभी न भूलें
उन्होंने शेयर स्टॉक में निवेश करके 11 साल की उम्र में अपना पहला निवेश किया और आज वह अमेरिका के सबसे बड़े कॉर्पोरेट मुगलों में से एक हैं. कंजूस होने को अक्सर गलत कहा जाता है लेकिन लोग यह भूल जाते हैं कि एक एक पैसा जोड़कर ही कोई इंडस्ट्री खड़ी की जाती है. यदि रिकूटर्स को आप अपनी इस आदत के बारे में बताने में सक्षम होते हैं तो अवश्य ही आप उनका दिल जितने में सक्षम हो सकते हैं.
हालांकि यह कहना मुश्किल होगा कि स्टूडेंट्स में इन सभी आदतों का आभाव होगा. लेकिन छात्रों की हमेशा यह कोशिश होनी चाहिए कि वे इन बुरी आदतों से दूर रहें. इससे कार्पोरेट वर्ल्ड में उनके बेहतर भविष्य की कल्पना की जा सकती है. वे सहर्ष इस चुनौती को स्वीकार करें तथा इस दिशा में प्रयत्नशील रहें.
एक यहूदी कहावत है-
‘कल की तुलना में आज बुरी आदतों को छोड़ना ज्यादा आसान है’
यदि आपको लगता है कि ये लाइन,ये आदतें एमबीए प्लेसमेंट में आपके प्रदर्शन को प्रभावित कर सकती हैं, तो आज से उन पर काम करना शुरू कर दें. आपको अवश्य ही सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे.
अच्छी आदतों से परिपूर्ण एक खुशहाल करियर के लिए बहुत सारी शुभकामनाएं.
एमबीए और करियर से जुड़े अन्य अपडेट्स की जानकारी के लिए Career in MBA, को सबस्क्राइब करना न भूलें.