जॉब ऑफर लेटर में जाँच करने योग्य 6 जरुरी बातें

अपने करियर को लेकर छात्र अपने स्कूल के दिनों से ही सोचना शुरू कर देते हैं.एक सफल करियर की दिशा में प्रत्येक व्यक्ति की अपनी प्राथमिकताएं होती हैं.

Jan 2, 2018, 12:37 IST
7 aspects you must check very carefully in Job Offer Letter
7 aspects you must check very carefully in Job Offer Letter

 

अपने करियर को लेकर छात्र अपने स्कूल के दिनों से ही सोचना शुरू कर देते हैं.एक सफल करियर की दिशा में प्रत्येक व्यक्ति की अपनी प्राथमिकताएं होती हैं. लेकिन ज्योंहि हमारा सामना वास्तविकता से होता है चीजें हमारे लिए थोड़ी मुश्किल दिखाई पड़ती हैं. लेकिन जब बात करियर की आती है तो प्राथमिकताओं की लिस्ट जिसमें सेलरी, वर्क कल्चर, कंपनी का विजन, रिपोर्टिंग ऑफिसर आदि शामिल है, बड़ी लम्बी प्रतीत होती है.

इसलिए जब इन्टरव्यू में सफलता हासिल करने पर नौकरी के लिए ऑफर लेटर मिलता है उस समय कुछ विशिष्ट बातों पर ध्यान देना चाहिए.

1. पद और भूमिका

ऑफर लेटर मिलते ही सबसे पहले आप को अपने पद और रोल की जाँच अपने ऑफर लेटर में करनी चाहिए कि एचआर द्वारा आपको कौन सा पद और किस रोल के लिए नियुक्त किया गया है ? आपका पद और आपकी भूमिका आपके जिम्मेदारियों के साथ साथ कंपनी के हेरार्की में आपके अनुक्रम को बताता है. अपने पद और रोल को देखने का एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि कभी कभी इन्टरव्यू के दौरान अगर नियोक्ता को ऐसा लगता है कि आप किस अन्य पद और रोल के लिए ज्यादा उपयुक्त हैं, तो आपको अपने अप्लाई किये गए पद के अतिरिक्त कोई और पद दे दिया जाता है.

2. मैनेजर

अधिकांशतः हम इन्टरव्यू के दौरान अपने उस मैनेजर से मिलते हैं जिन्हें हमें रिपोर्ट करना होता है. अतः इस सम्बन्ध में बहुत सतर्क रहने की आवश्यक्ता होती है. आपका मैनेजर एक ऐसा व्यक्ति है जिसके साथ आपको अपने दिन के 8 घंटे बिताने होते हैं तथा आपके पर्सनल और प्रोफेशनल ग्रोथ में उसका महत्वपूर्ण योगदान होता है. अतः एचआर से अपने रिपोर्टिंग मैनेजर के विषय में पूर्ण जानकारी प्राप्त करने की कोशिश कीजिये. जानकारी प्राप्त कर लेने के बाद अगर आपको ऐसा लगे की आपका तालमेल उस व्यक्ति के साथ बैठ सकता है या फिर आप थोड़ा बहुत उसके नेचर के अनुसार एडजस्ट कर सकते हैं तभी ऑफर लेटर पर साइन करें अन्यथा जॉब ज्वाइन करने के बावजूद अपने मैनेजर से अच्छी अंडरस्टैंडिंग नहीं होने के कारण आप कंपनी को अपने पोटेंशियल से परिचित नहीं करा पाएंगे.

3. सेलरी ऑफर तथा पोटेंशियल

यह तो जाहिर है कि हर कोई अपने ऑफर लेटर में सबसे पहले अपनी सेलरी और अन्य पारिश्रमिक विवरणों की जाँच करता है. लेकिन हर कोई इस बात में ज्यादा दिलचस्पी रखता है कि आखिर अंत में कुल मिलाकर कितनी राशि हांथ में महीने के अंत में आएगी ? कंपनिया हमेशा एक कम्प्लिकेटेड

सेलरी स्ट्रक्चर बनाती हैं जिनमें अलग अलग प्रकार के भत्तों जैसे ड्यूटी, ट्रांसपोर्ट, पेंशन, पीएफ,होम अलाउएन्स आदि का वर्णन होता है. इनमें से कुछ तो आपके सीटीसी यानी कॉस्ट टू कंपनी का हिस्सा होंगे लेकिन उसे आपको हर महीने मिलने वाली सेलरी में नहीं जोड़ा जायेगा. इसके साथ ही साथ आपको यह भी ध्यान देना चाहिए कि आपको जो पद दिया गया है, आपकी सेलरी उसके अनुरूप है या नहीं. अगर आपकी सेलरी आपके पद के अनुरूप नहीं है तो आगे चलकर भविष्य में नौकरी चेंज करते समय आपको कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि आप जिस पद पर हैं उससे ऊपर या उसी पद के लिए अप्लाई करेंगे. सेलेक्ट होने के बाद जब आपसे सेलरी स्लिप दिखाने को कहा जायेगा और उस समय अगर आपका पैकेज उस पद के अनुरूप नहीं होगा तो, या तो आपको नीचे का पद दिया जायेगा या फिर उस पद के लिए अयोग्य करार दिया जाएगा. अतः ऑफर सेलरी की जाँच अवश्य करें.

4. पर्क्स एवं अन्य लाभ

बहुत सारे जॉब में सेलरी के अतिरिक्त कुछ अन्य पर्क्स तथा लाभ भी कर्मचारी को उसके द्वारा किये गए कार्यों के लिए दिया जाता है. जैसे, कार,रहने के लिए घर, मेडिकल फैसिलिटी आदि. ऑफर लेटर मिलते ही इन बातों को जरुर देखना चाहिए कि कंपनी किस तरह के पर्क्स और अन्य सुविधाएँ प्रदान करती है. उदाहरण के लिए मेडिकल फैसिलिटी के रूप में लगभग सभी कम्पनियां बीमा पॉलिसी देती है लेकिन इसमें से कुछ प्रीमियम की पूरी राशि देती हैं जबकि कुछ कंपनियों द्वारा प्रीमियम की आधी राशि दी जाती है तथा आधी राशि कर्मचारी के वेतन से दी जाती है. अतः ऑफर लेटर पर साइन करते समय  इन सभी बातों पर जरुर गौर करना चाहिए तथा यह जानना चाहिए कि संस्थान आपको वेतन के अतिरिक्त और क्या दे रहा है ?

5. होलिडेज और लीव्स

गौर करने योग्य महत्वपूर्ण बात यह है कि अक्सर लोग अपने ऑफर लेटर में यह नहीं देखते कि उन्हें एक वर्ष के दौरान कुल कितने लीव्स और कितने होलिडेज मिलेंगे ? इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि अभ्यर्थी यह सोंचकर कि छुट्टियों के बारे में पूछने से उनकी नकारात्मक छवि बनेगी इस विषय का जिक्र ही नहीं करते हैं. कुछ हद तक यह भारतीय परिदृश्य में सही हो सकता है लेकिन वैश्विक परिदृश्य में यह उम्मीदवार द्वारा की जाने वाली क्वेरी में एक महत्वपूर्ण क्वेरी है तथा इसको एचआर द्वारा भी स्पष्ट किया जाता है. अपने पर्सनल तथा प्रोफेशनल लाइफ में बैलेंस स्थापित करने में संस्थानों द्वारा दिए जाने वाली होलिडेज और लीव्स भी अहम् भूमिका निभाते हैं. यदि आपको एच आर से इस विषय में पूछना कुछ अटपटा लगता है तो आप इस विषय में उस कम्पनी के अन्य कार्यरत कर्मचारियों से बात चित कर जानकारी हासिल कर सकते हैं.

6. ज्वाइनिंग और रिलीविंग डेट-

यदि आप फ्रेशर हैं तो यह आपके जीवन को उतना प्रभावित नहीं करता लेकिन एक अनुभवी प्रोफेशनल के रूप में एक कंपनी से दूसरे कंपनी में जाते समय ज्वाइनिंग और रिलीविंग डेट का बहुत महत्व होता है. अतः अपने ऑफर लेटर में इसकी जाँच अवश्य कर ले.

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