स्कूल के जीवन में सभी गतिविधियां छात्रों के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. Co-Curricular activities स्कूल जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा हैं और स्कूल में छात्रों की सीखने की प्रक्रिया को विकसित करने में मदद करती है. Co-Curricular activities एक अनिवार्य गतिविधियों में से एक है जिसमें छात्रों का भाग लेना ज़रूरी होता है. Co-Curricular activities छात्रों में सोशल स्किल्स, इन्टेलेक्चुवल स्किल्स, मोरल वैल्यूज, व्यक्तित्व प्रगति और पर्सनालिटी डेवलपमेंट में एक अहम भूमिका निभाती है. Co-Curricular activities के अन्तर्गत एथलेटिक्स, सांस्कृतिक कार्यक्रम, लाइब्रेरी से जुड़ी एक्टिविटीज, लैब एक्टिविटीज, क्लास-रूम एक्टिविटीज, रचनात्मक कला और मैडिटेशन आदि शामिल हैं.
स्कूल में सह-पाठ्यचर्या गतिविधियों (Co-Curricular activities) की भूमिका और महत्व:
उचित शिक्षा:
चूंकि, सह-पाठ्यचर्या गतिविधियों को acadmics के साथ ही स्कूलों में छात्रों के लिए उपलब्ध किया जाता है. इसलिए यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि छात्र अच्छी तरह अपने Co-Curricular activities को स्कूल में समझें. विज्ञान या कंप्यूटर प्रैक्टिकल लैब, एक्सपेरिमेंट्स तथा प्रोजेक्ट से जुड़े सभी कार्य Co-Curricular activities का ही हिस्सा है.
सांस्कृतिक मूल्य:
इसके अन्तर्गत छात्रों को राष्ट्रीय समारोह जैसे- गांधी जयंती, गणतंत्र दिवस, साथ ही दिवाली, ईद, बैसाकी, ओणम, रक्षा बंधन और कई अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों सहित विभिन्न धर्मों से पारंपरिक तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने का मौका मिलता है. छात्रों को स्कूलों द्वारा आयोजित विभिन्न संस्कृतिक समारोह के आधार पर पुस्तकों के साथ-साथ Co-Curricular activities के माध्यम से कई जानकारियाँ प्राप्त होती हैं.
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व्यक्तित्व का विकास:
छात्रों को स्कूल में व्यक्तित्व विकास(personality development) की क्लासेज उपलब्ध कराई जाती हैं जोकी Co-Curricular activities का ही एक भाग होता है. इसके अन्तर्गत छात्रों में डिबेट्स या कक्षा में कराई जाने वाली अन्य गतिविधियों की मदद से कम्युनिकेशन स्किल्स, एक्सप्रेशन स्किल्स, पब्लिक स्पीकिंग जैसे स्किल्स विकसित होती हैं जोकि छात्रों के कॉन्फिडेंस को बढ़ाने में काफी हद तक सहायक साबित होती हैं.
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य:
Co-Curricular activities के लिए छात्रों को स्कूल में सक्रिय रहना अनिवार्य है क्योंकि छात्रों के पास स्कूल में इन गतिविधियों को छोड़ने का कोई विकल्प नहीं होता है अर्थात यह उनके पाठ्यक्रम का ही हिस्सा माना जाता है. छात्रों को एथलेटिक्स, जिमनास्टिक, मैडिटेशन, इनडोर गेम्स इत्यादि जैसी Co-Curricular activities में भाग लेना अनिवार्य होता है. ये गतिविधियां छात्रों की शारीरिक फिटनेस के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद हैं और उन्हें अकादमिक तनाव से भी मुक्त रखती है.
सीखने का अनुभव:
स्कूल में छात्रों को सीखने के अनुभव में सुधार के लिए Co-Curricular activities एक अहम भूमिका निभाती है. जो स्कूल में उनकी उपस्थिति भी बनाने में सहायक होती है और Co-Curricular activities में छात्रों की भागीदारी दर भी बढ़ती है. छात्रों को यदि कुछ समय के लिए कोर acadmics से ब्रेक की आवश्यकता होती है तो वह स्कूल में Co-Curricular activities में भाग लेकर अपनी attendence भी बनाए रख सकते हैं तथा नई गतिविधियों में भाग लेकर अपने स्किल्स भी विकसित कर सकते हैं.
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टीम लीडरशिप स्किल्स:
स्कूलों में Co-Curricular activities के लिए छात्रों का समूह बनाया जाता है जिसमें छात्र अपने सहपाठियों के साथ उस समूह का हिस्सा बनते हैं. साथ ही इस तरह की गतिविधियों से छात्रों में नेतृत्व कौशल, टीम वर्क और कोआर्डिनेशन स्किल्स विकसित होती हैं.
नैतिक मूल्य:
Co-Curricular activities के माध्यम से छात्र विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व के साथ-साथ अनुशासन और स्कूल जीवन नैतिकता के बारे में आवश्यक नैतिक मूल्यों को सीखते हैं. अर्थात इन गतिविधियों की मदद से छात्रों में सामाजिक नैतिकता, धैर्य, सहानुभूति, प्रेरक कौशल आदि को समझने का ज्ञान विकसित होने लगता है.
क्या आप जानते है?
असेंबली प्रेयर भी Co-Curricular activities का हिस्सा है जो छात्रों में अनुशासन, नैतिक मूल्यों को बनाए रखने में मदद करती है.
निष्कर्ष- स्कूल में Co-Curricular activities अकादमिक शिक्षा का एक भाग होने के कारण छात्रों तथा शिक्षकों दोनों के लिए शिक्षण और सीखने का अनुभव रोमांचक बना देता है. जैसे की क्लास-रूम एक्टिविटीज आदि. इसलिए Co-Curricular activities का अकादमिक शिक्षा का भाग होना छात्रों तथा शिक्षक दोनों के लिए एक अहम भूमिका निभाती है.
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